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जौनपुर में ऑक्सीजन की कमी से कोरोना संक्रमित की हुई थी मौत, प्रशासनिक अधिकारियों पर हत्‍या का वाद दर्ज

गाजीपुर न्यूज़ टीम, जौनपुर. जौनपुर जिले में दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता रामसकल यादव की दरखास्त पर सीजेएम ने जिलाधिकारी, सीएमओ, सीएमएस व डॉक्टर समेत पांच पर हत्या का वाद दर्ज किया। कोर्ट ने थाना कोतवाली से 19 सितंबर को रिपोर्ट तलब किया है।

रामसकल यादव निवासी खिजिरपुर,मड़ियाहूं ने कोर्ट में धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा, सीएमओ, सीएमएस, ड्यूटी पर कार्यरत जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों और नर्सेस के खिलाफ प्रार्थना पत्र दिया कि डॉक्टर कोविड-19 की जानकारी होने पर मरीज का इलाज नहीं कराते थे। 

रसूखदार व्यक्तियों को ही ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराते थे। सामान्य मरीज ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ देता था। प्रशासन ने प्राइवेट हॉस्पिटल्स में नोटिस लगाया था कि जो प्राइवेट अस्पताल सांस लेने में तकलीफ होने वाले मरीजों को एडमिट करेगा, उसके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी। लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। 

ऐसी स्थिति में इलाज की संपूर्ण जिम्मेदारी जिलाधिकारी सीएमओ व सीएमएस की होती है। वादी की बहन चंद्रावती देवी कोरोना संक्रमित थी। सांस लेने में दिक्कत थी। प्राइवेट हॉस्पिटल गाइडलाइन के कारण बहन को एडमिट करने से मना कर दिए। 29 मई 2021 को शाम सात बजे बहन को जिला चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में एडमिट कराया, उस दिन ऑक्सीजन दिया गया। दूसरे दिन अस्पताल प्रशासन ने जानबूझकर बहन को बेड नंबर 7 पर शिफ्ट कर दिया। वहां सूचना देने के बावजूद सीएमएस ने ऑक्सीजन उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया।

जबकि उसी कैंपस में ऑक्सीजन मौजूद था। सिटी स्कैन के लिए बाहर जाने की बात कही तो कहा कि अगर बाहर ले जाएंगे तो दोबारा बेड नहीं मिलेगा। बहन का ऑक्सीजन लेवल घटकर 60 हो गया। फिजीशियन डॉक्टर कई दिन बाद वार्ड में आते थे। कहते थे कि कोरोना से मरना नहीं है। मरीज चाहे जिए चाहे मरे। समुचित इलाज के अभाव में मरीजों की मृत्यु हो जाती थी। बहन को सात की जगह दो इंजेक्शन लगाया गया। 

डॉक्टर से शिकायत किया तो कहा कि आप के मरीज को रेफर कर दे रहा हूं। बहन का ऑक्सीजन लेवल गिरता चला जा रहा था, सभी हेल्पलाइन नंबर पर उसने फोन लगाया लेकिन फोन काट दिया गया और तीन मई 2021 को दस बजे उसने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों की लापरवाही का वीडियो व अन्य साक्ष्य के साथ वादी ने कोतवाल व पुलिस अधीक्षक को सूचना दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई तब वादी ने न्यायालय की शरण ली.

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