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मां को पीटता था, जमीन भी बेच दी, इसलिए मार डाला, पिता की हत्या का बेटे को जरा भी अफसोस नहीं

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ/मेरठ. मेरठ में मोदीपुरम क्षेत्र के भराला में पिता विजयपाल की हत्या करने वाले बेटे अभिशांत को पुलिस पुलिस ने हिरासत में लेकर मंगलवार को पूछताछ के बाद जेल भेज दिया। आरोपी अभिशांत को पिता की हत्या का कोई अफसोस नहीं था। उसने बताया कि उसका पिता मां सरला के साथ मारपीट करता था। चार साल पहले जमीन भी बेचकर कहीं चला गया था, जिसका पैसा उन्हें नहीं दिया था। अब बची हुई छह बीघा जमीन भी बेचना चाहता था, इसलिए उसे मार डाला। लावड़ से 300 रुपये में वह फरसा खरीदकर लाया था।

अभिशांत ने कहा कि वह रात में पिता के पास ही चारपाई पर सो रहा था। हत्या करने से पहले शराब पी थी। फरसा खरीदने के लिए भी 300 रुपये उधार लिए थे। अपनी चारपाई पर ही अंधेरे में उसने फरसा अपने पास रख लिया था। उसने कहा कि हत्या मैंने अकेले की, घर का कोई व्यक्ति शामिल नहीं था। छोटा भाई प्रशांत और मां सरला नीचे सो रहे थे। वहीं प्रशांत का कहना था कि पता नहीं चला कि बड़े भाई ने पिता की हत्या किस समय कर दी। कोई शोर भी सुनाई नहीं दिया।

पूर्व प्रधान के खेत में मिला फरसा 

अभिशांत के घर के सामने ही पूर्व प्रधान उपेंद्र चौधरी का खेत है, जिसमें ईख खड़ी है। घर के सामने ही ट्यूबवेल है। हत्या करने के बाद वह रात में ही ट्यूबवेल पर गया और कपड़े धोए। नहाने के बाद फिर से ऊपर जाकर सो गया था। फरसा उसने ईख के खेत में ही फेंक दिया था। पुलिस सुबह आई तो कहने लगा कि रात में बदमाश आए थे। उन्होंने ही पिता की हत्या कर दी और उसे बांध दिया था। शक होने पर पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो अभिशांत ने सारी कहानी बता दी।

पुलिस का कहना था कि विजयपाल अंडरवियर में ही सोता था। मौका-ए-वारदात को देखकर लग रहा था कि विजयपाल ने जान बचाने के लिए संघर्ष किया, लेकिन बेटा एक के बाद एक वार करता रहा। पैर, हाथ, सीना, गर्दन और सिर पर भी धारदार हथियार के निशान मिले थे।  

विजयपाल का शव देखकर उड़ गए होश 

विजयपाल की हत्या का शोर होने पर सोमवार सुबह सैकड़ों ग्रामीणों की भीड़ लग गई। शव नग्न अवस्था में उल्टा पड़ा था। शरीर पर धारदार हथियार के 15-20 निशान दिखाई दे रहे थे। नीचे खून पड़ा था। दीवारों पर भी खून के छींटें थे।

हर कोई देखकर यही कह रहा था कि बहुत बेरहमी से मारा है। वहीं गांवों में चर्चा रही कि पत्नी और दोनों बेटों ने हत्या की है। छोटा भाई प्रशांत चालक है। वह रात में ही गाड़ी चलाकर आया था। अभिशांत भी जगह-जगह नौकरी करता था और कई-कई दिन तक बाहर ही रहता था।

गोली ही मार देते, तो दर्द कम होता

विजयपाल की 67 वर्षीय बड़ी बहन ब्रह्मकली ने खबर सुनी तो दौड़ी चली आई। कमर मुड़ी हुई थी, सीढ़ियों पर चढ़ा भी नहीं जा रहा था। लोग उसे नीचे ही रोक रहे थे, लेकिन वह नहीं रुकी। भाई का खून पड़ा देखकर बोली कि हे भगवान कैसा बेटा था, जो बाप को ही मार डाला। गोली ही मार देते, इतनी बेरहमी से क्यों काट डाला। सोमवार सुबह साढ़े दस बजे बहनें ब्रह्मकली और कृष्णा पहुंची, लेकिन तब तक पुलिस शव को ले जा चुकी थी।

दोनों बहनों ने विजयपाल के भतीजे विकास से बात की और ऊपर जाने लगीं। बड़ी मुश्किल से सीढ़ियां चढ़ीं। चारपाई पर खून से लथपथ मच्छरदानी पड़ी थी। नीचे और दीवारों पर खून पड़ा था। रोते हुए बोलीं कि ऐसे बेटे को तो जेल से न निकलने दो, ऐसा जुल्म ना देखा हमने, कितनी बुरी तरह काट दिया, गोली मारते तो कम दर्द होता। अरे भैया मेरे पास आ जाता, मुझे भी नहीं बताया, तेरे साथ ऐसा हो रहा था। इसके बाद विकास ने दोनों बहनों को नीचे उतारा, जहां वे अन्य महिलाओं के साथ बैठ गईं।

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