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पूर्वांचल के इस जिले में दोहरे हत्याकांड में महिला समेत दो को मृत्युदंड, 11 वर्ष पूर्व मां-बेटी की हुई थी हत्‍या

गाजीपुर न्यूज़ टीम, सोनभद्र. अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय राहुल मिश्रा की अदालत ने वृहस्पतिवार को 11 वर्ष पूर्व मां-बेटी की साड़ी से गला दबाकर की गई हत्या एवं बिस्तर पर आग से जलाने के मामले में सुनवाई करते हुए गंभीरतम अपराध मानते हुए दोषियों गीता देवी एवं अशोक शर्मा को दोषसिद्ध पाकर मृत्युदंड एवं 70-70 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड नहीं देने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अदालत ने नृशंस हत्या मानते हुए कहा है कि दोनों को अलग-अलग फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाए जब तक कि मौत न हो जाए।

अभियोजन पक्ष की ओर से अभियोजन अधिकारी विजय कुमार यादव के मुताबिक चोपन थाने में मीरजापुर जिला अंतर्गत कोतवाली कटरा के शबरी संकठा प्रसाद की गली निवासी सतीश कुमार शर्मा ने 21 दिसंबर 2010 को दी तहरीर में अवगत कराया था कि उसके दामाद श्रवण शर्मा जो राजस्थान में रहते हैं ने चार बजे भोर में फोन सूचना दिया कि उसकी पत्नी सुनीता देवी व तीन वर्षीय बच्ची झलक की साड़ी से गला दबाकर हत्या करके बिस्तर पर जलाया गया है। 

इस सूचना पर अपने घर मीरजापुर से सपरिवार चोपन आया तो देखा कि उसकी बेटी सुनीता एवं नतिनी झलक मरी हुई पड़ी थी। दोनों के गले में साड़ी का फंदा लगा हुआ था तथा शरीर एवं बिस्तर व कपड़े जले हुए थे। पूर्ण विश्वास है कि यह हत्या बेटी की सास गीता देवी एवं दूर का रिश्तेदार अशोक शर्मा ने मिलकर किया है, क्योंकि अशोक शर्मा अक्सर चोपन आता रहता था और गीता देवी से अवैध सम्बंध के चर्चे होती रही। 

तहरीर पर पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर मामले की विवेचना किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका सुनीता के पेट में गर्भ पाए जाने की पुष्टि हुई है। पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने बारी-बारी से चोपन गांव निवासी गीता देवी एवं मीरजापुर जिले के जिगना थाना क्षेत्र के हरगढ़ गांव निवासी अशोक शर्मा के विरुद्ध न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोषसिद्ध पाकर गीता देवी एवं अशोक शर्मा को मृत्युदंड एवं 70-70 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।

सोनभद्र में सुनाई गई दूसरी फांसी

सोनभद्र जिले में यह दूसरी फांसी की सजा सुनाई गई है। हालांकि पहली फांसी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। अब दूसरी फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट बरकरार रखेगा या बदलाव करेगा यह सुनवाई के बाद आने वाले निर्णय के बाद ही पता चलेगा।

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