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गाजीपुर जिला कारागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव कामायनी दुबे बोली: अपराध स्वीकार करने पर कम हो जाएगा दंड

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिला कारागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव कामायनी दुबे द्वारा बुधवार को दलील बार्गेनिग विषय पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में बंदियों को बताया गया कि यदि कोई अपराधी अपना अपराध स्वीकार करता है तो उसका दंड कम हो जाएगा। इस दौरान उन्होंने जेल का निरीक्षण भी किया।

कामायनी दुबे ने बंदियों को बताया कि सीआरपीसी में एक नया अध्याय 21-ए जोड़ा गया था। इसमें धारा 265-ए से 265-एल को नए रूप से जोड़ा गया और प्ली बारगेनिग का विवरण दिया गया। बारगेनिग एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है'' इस प्रक्रिया के तहत आरोपित अपने अपराध को मर्जी से स्वीकार करता है। दोनों पक्षों के बीच होने वाला समझौता अदालत की देखरेख में होता है। 

इससे आरोपित को दंड उस केस की न्यूनतम सजा से आधी या उससे भी कम कर दी जाती है। निरीक्षण के दौरान बंदियों से उनकी जेल अपील तथा अन्य समस्याएं पूछी गईं एवं उनके यथोचित अधिकार के लिए दिशा-निर्देश दिया गया। बंदियों को उनके संवैधानिक अधिकारों के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई। जेल अधीक्षक ने बताया कि वर्तमान में कुल 989 बंदी निरुद्ध हैं। इसमें 886 पुरुष, 36 महिला बंदियों के साथ कुल एक बच्चा भी शामिल है। 

67 अल्प वयस्क हैं। सभी को सुबह का नाश्ता-दलिया, चाय, दोपहर को भोजन-रोटी, चावल, उर्द, राजमा की दाल सब्जी (आलू, बैगन), शाम का भोजन-रोटी, चावल, अरहर दाल, सब्जी (आलू, लौकी) दी जाती है। सचिव ने कोविड-19 को देखते हुए नए बंदियों को पहले आइसोलेट रखने के साथ ही संदिग्ध लक्षण होने पर जांच और सैनिटाइजेशन के निर्देश दिया। 

सचिव ने जेल के कई बंदियों से बात कर उनकी समस्याओं को समझने के साथ ही उनके निस्तारण का निर्देश दिया। जिला कारागार में स्थित जेल लीगल क्लीनिक पर विशेष रूप से ध्यान देने के निर्देश दिया। इस अवसर जिला कारागार उप अधीक्षक, जेल विजिटर घनश्याम लाल श्रीवास्तव व विधिक प्रकोष्ठ अधिवक्ता खुर्शीदा बानों एवं पराविधिक स्वयं सेवक रहे।

 
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