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हिन्दी कविता के समकाल में 'अथर्वा मैं वही वन हूं' एक विलक्षण कृति - Ghazipur News

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शनिवार की शाम साहित्यकार प्रो. आनंद सिंह की पुस्तक 'अथर्वा मैं वही वन हूं' की रचना प्रक्रिया पर एक परिचर्चा की गयी। मुख्य अतिथि लोकनायक जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर डॉ. हरिकेश सिंह रहे। 

कार्यक्रम की शुरुवात करते हुए डॉ. निरंजन कुमार यादव ने कहा कि आनंद सिंह के पास भारतीय ज्ञान परम्परा और संस्कृति का अद्भुत ज्ञान है। हिन्दी कविता के समकाल में 'अथर्वा मैं वही वन हूं' एक विलक्षण कृति है। जिसको लिखने में उन्होंने 25 वर्ष का समय लगाया है। यह कृति सिर्फ़ एक रचना नहीं, अपितु एक साधना है। इसमें भारतीय संस्कृति, समाज व ज्ञान परम्परा के साथ गहन पर्यावरणीय चिंता मौजूद है।

प्रो आनन्द सिंह ने कहा कि कविता मनुष्यता की मातृभाषा है। यह अकारण नहीं है कि सारे धर्मग्रंथ कविता के शैली में लिखे गए है। कविता तब अधिक प्रभावी हो जाती है, जब वह संवेदनात्मक होने के साथ आलोचनात्मक भी हो। खलील जिब्रान के महान कृति 'द प्रॉफेट' से मैंने प्रेरणा ग्रहण कर अथर्व की रचना प्रश्नोत्तर विधा में की है। यह रचना लंबी कविता से और ज्यादा लंबी है, इसलिए मैंने इसे महाकविता का नाम दिया है। प्रोफेसर हरिकेश सिंह ने कहा कि गाजीपुर जनपद अपने महान साहित्यकारों के कारण सुविख्यात रहा है और 'आनंद' उसी परंपरा के वाहक हैं। 

कवि यशवीर सिंह यश ने अपनी एक कविता सुनाकर कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान की। कालेज की प्राचार्य प्रो. डा. सविता भारद्वाज ने कहा कि अथर्वा भारतीय षड्दर्शन परंपरा लोकायत और चार्वाक की यात्रा, बुद्ध, कबीर और गांधी की चिंतन परंपरा का उत्कर्ष है। इससे पूर्व महाविद्यालय में छात्राओं और शिक्षकों के मध्य परस्पर संवाद के तहत 'प्रेरिकी' कार्यक्रम का आयोजन उपमुख्य शास्ता डॉ. संगीता मौर्य के नेतृत्व में किया गया। 

इसमें नवागंतुक छात्राओं को महाविद्यालय के प्रवेश, परीक्षा, छात्रवृत्ति, कक्षा संचालन, अनुशासन, विभिन्न प्रकोष्ठों संबंधी महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए। प्राचार्य डॉ. सविता भारद्वाज की विशेष पहल पर वर्ष 2019-20 की कला वर्ग की टॉपर छात्रा विनीता चौधरी को डॉ. सारिका सिंह ने 'श्रीयुत महेंद्र प्रताप सिंह स्वर्ण पदक' व प्रमाण पत्र, शिवांगी को विज्ञान वर्ग में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर प्राचार्य डॉ. सविता भारद्वाज ने 'श्री शिव मूरत पाठक को स्वर्ण पदक' व प्रमाण पत्र, शादमानी को डॉ. दीप्ति सिंह ने प्रोफेसर अशोक चंद्र सिंह सांस्कृतिक उत्कृष्टता पदक व प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। 

इनके अलावा अन्य छात्राओं को भी पदक व प्रमाण पत्र देकर शिक्षकों ने सम्मानितकिया। मुख्य अतिथि व आगंतुकों ने इस पहल की सराहना की। इस मौके पर डॉ. बीएन पांडेय, डॉ. सत्येंद्र सिंह, डॉ. उमाशंकर प्रसाद, डॉ. संतन कुमार राम, डॉ. विकास सिंह, मीडिया प्रभारी डॉ. शिवकुमार सहित प्राध्यापक व बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. सविता भारद्वाज ने की।

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