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छवि का हौसला और शालिनी का संघर्ष, गरीबी को धुएं में उड़ाकर रेलगाड़ी दौड़ा रहीं बेटियां

गाजीपुर न्यूज़ टीम, सहारनपुर. गरीबी मुकाम पाने की राह में रोड़ा तो बन सकती है, लेकिन कदम नहीं रोक सकती। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की बेटियों ने गरीबी में संघर्ष करते हुए कामयाबी पाकर यह साबित कर दिखाया है। गरीब परिवारों की तीन बेटियां अपनी मेधा के बलबूते सहायक लोको पायलट बनकर अब मालगाड़ियों को दौड़ाकर परिवार का नाम रोशन कर रही हैं।

संघर्ष से हारी नहीं शालिनी

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के गांव इस्माइलपुर की रहने वाली शालिनी रेलवे में सहायक लोको पायलट हैं। यह इस्माइलपुर गांव की अकेली महिला हैं, जो सरकारी नौकरी में हैं। गांव के फग्गू सिंह और बालेश देवी की पुत्री शालिनी को बचपन से तंगी का सामना करना पड़ा। पिता परचून की छोटी सी दुकान चलाते थे, दुकान से पढ़ाई के खर्चे पूरे नहीं हो पाते थे, इसलिए घर में गाय पालन किया। शालिनी अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। 

गाय पालकर शालिनी अपने छोटे भाई बहनों की पढ़ाई का खर्च निकलती थीं। शालिनी ने इंटर पासकर आइटीआइ में फिटर ट्रेड में प्रवेश लिया। शालिनी बताती हैं कि पिता को कम दिखाई देने से दुकान ठीक से नहीं चल पाती थी। वह खुद दुकान पर उनका हाथ बंटाती थीं। मां पढ़ी-लिखी नहीं थीं, फिर भी पूरा हौसला देती थीं। शालिनी का रेलवे में सहायक लोको पायलट के रूप में अगस्त 2016 में चयन हुआ और 28 मार्च 2017 को मुरादाबाद से तैनाती मिली।

छवि का हौसला देखकर सफलता ने चूमे कदम

अनिल सेन व कंचन सेन के घर जन्मी छवि रेलवे में सहायक लोको पायलट बनकर मालगाड़ियों का संचालन करती हैं। छवि का परिवार पहले सहारनपुर में रहता था। छवि के पिता प्राइमरी स्कूल के शिक्षक हैं। तब छवि ने इलेक्ट्रानिक में आइटीआइ डिप्लोमा किया। वर्ष 2017-18 में सहायक लोको पायलट की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 2019 में सहारनपुर में तैनाती मिली। छवि कई मार्गों पर मालगाड़ियों का संचालन करती हैं। सहारनपुर की मीनू यादव भी सहायक लोको पायलट तैनात हैं, महिला पायलट की कमी के चलते तीनों को लोको लॉबी में अटैच किया गया है।

इन्‍होंने कहा

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की तीन बेटियां सहायक लोको पायलट हैं, आवश्यकता के अनुसार इन्हें मालगाड़ी संचालन के लिए भेजा जाता है।-कपिल शर्मा, वरिष्ठ स्टेशन अधीक्षक

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