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जिन्ना की जय-जयकार पर चौतरफा घिरे अखिलेश यादव, भाजपा बोली-सपा आतंकियों व देशद्रोहियों की सरपरस्त

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. भारत विभाजन के जिम्मेदार कहे जाने वाले मो. अली जिन्ना की जय-जयकार कर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने प्रदेश की राजनीति को एक गर्म मुद्दा दे दिया। जिन्ना को महात्मा गांधी और सरदार पटेल के समान आजादी का श्रेय दिए जाने पर भाजपा ने कड़ा ऐतराज जताया है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सि‍ंह ने सपा को आतंकियों-देशद्रोहियों का सरपरस्त बताया है तो बसपा प्रमुख मायावती ने इसे माहौल बिगाडऩे का षड्यंत्र करार देते हुए सपा और भाजपा पर मिलीभगत का आरोप लगाया है।

हरदोई में एक कार्यक्रम के दौरान गत दिवस सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंच से बयान दिया कि सरदार पटेल, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और जिन्ना एक ही संस्था से पढ़कर बैरिस्टर बनकर आए थे। उन्होंने आजादी दिलाई। उन्हें किसी भी तरह का संघर्ष करना पड़ा, लेकिन वे पीछे नहीं हटे। रविवार को सरदार पटेल की जयंती भी थी। उनकी तुलना जिन्ना किए जाने के बाद से ही भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे पटेल का अपमान बताया। अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है। स्वतंत्रदेव सि‍ंह ने कहा है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव देशद्रोहियों और देश तोडऩे वालों के साथ खड़े हैं। भारत को अखंडता के सूत्र में बांधने वाले सरदार बल्लभभाई पटेल से देश को तोडऩे वाले जिन्ना की तुलना देश व राष्ट्रीयता का अपमान है। यह बताता है कि सपा और उसके मुखिया देशद्रोहियों के साथ खड़े हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि सपा हमेशा से ही आतंकियों और देशद्रोहियों की सरपरस्त रही है। सपा मुखिया ने सत्ता में रहते हुए देश को असुरक्षित करने का षड्यंत्र करने वाले आतंकियों के मुकदमे वापस लेने का प्रयास किया था। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिन्ना का समर्थन इस देश की एकता के लिए बलिदान होने वाले हर सेनानी, हर सैनिक और हर राष्ट्रभक्त का अपमान है। विपक्ष को यह नहीं भूलना नहीं चाहिए कि देश में मोदी व प्रदेश में योगी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार है। इसमें देश तोडऩे की सोच रखने वाले, देशद्रोहियों, आतंकियों और उनके आकाओं के मंसूबे कुचलकर रख दिए जाएंगे।

मायावती ने इस घटनाक्रम को अपने चश्मे से देखा है। उनका कहना है कि सपा मुखिया द्वारा जिन्ना को लेकर हरदोई में दिया गया बयान व उसे लपककर भाजपा की प्रतिक्रिया, यह इन दोनों पार्टियों की अंदरूनी मिलीभगत व इनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, ताकि यहां यूपी विधान सभा आम चुनाव में माहौल को किसी भी प्रकार से हि‍ंदू-मुस्लिम करके खराब किया जाए। उन्होंने कहा कि सपा व भाजपा की राजनीति एक-दूसरे की पोषक व पूरक रही है। इन दोनों पार्टियों की सोच जातिवादी व सांप्रदायिक होने के कारण इनका अस्तित्व एक-दूसरे पर आधारित रहा है। इसी कारण सपा जब सत्ता में रहती है तो भाजपा मजबूत होती है, जबकि बसपा के शासनकाल में कमजोर।

सलाहकार बदलें, इतिहास पढ़ें अखिलेश : ओवैसी

एआइएमआइएम अध्यक्ष असदउद्दीन ओवैसी ने भी इस टिप्पणी को लेकर अखिलेश यादव की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यदि अखिलेश को लगता है कि ऐसे बयान देकर वे लोगों के वर्ग को खुश कर सकते हैं तो मुझे लगता है कि वे गलत हैं। उन्हें अपने सलाहकार बदल लेने चाहिए। खुद को शिक्षित भी करना चाहिए और कुछ इतिहास पढऩा चाहिए।

ट्वि‍टर पर ट्रेंड- जिन्ना प्रेमी अखिलेश : सपा मुखिया के बयान को लेकर लोगों में इंटरनेट मीडिया पर भी नाराजगी जाहिर की। सोमवार को ट्व‍िटर पर 'जिन्ना प्रेमी अखिलेश' घंटों ट्रेंड करता रहा। लोगों ने तरह-तरह के ट्व‍िट  किए। यह हैशटैग नंबर एक पर भी ट्रेंड करता रहा।

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