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वाराणसी में आ गईं इलेक्ट्रिक AC बसें, 28 सीटर बस 7 रूटों पर फर्राटा भरेंगी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. योगी सरकार की महत्‍वाकांंक्षी इलेक्ट्रि‍क बसों के संचालन की परियोजना यानी पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए किए जा रहे प्रयास को लेट लतीफी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जिले में इलेक्ट्रिक बसों के चार्जिंग प्‍वाइंट के अधूरे रहने से अब तक बसों के आने के बाद भी इसका संचालन ठप है। बसों का संचालन बाधित रहने से लोगों को इसका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है और धुआं उगलते बसों का संचालन बेधड़क जारी रहने से वायु प्रदूषण का दौर भी जारी है। इलेक्ट्रिक एसी बस की एलईडी पर स्टापेज के बारे में रिपोर्ट भी दिखेगी और आवाज भी सुनाई देगी। इस दौरान वाराणसी में 28 सीटर बस सात रूटों पर फर्राटा भरेंगी और इससे यातायात भी आधुनिक सुविधाओं से युक्‍त करने की तैयारी पूरी हो चुकी है।

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की इलेक्ट्रिक बसों को बनारस की सड़कों पर फर्राटा भरने में अभी कुछ और दिनों का इंतजार करना पड़ेगा। हालांकि, मिर्जामुराद में बन रहे सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज के इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग स्टेशन बनाने का काम तेजी से चल रहा है। यहां पर 50 इलेक्ट्रिक बसों की चार्जिंग सुविधा व मेंटनेंस का काम होगा।जिसमें एक साथ 30 बसें चार्ज होंगी। बनारस में बढ़ते वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने व ईंधन (डीजल) की बचत हेतु इलेक्ट्रिक बसे चलाई जा रही हैं। बस चार्जिंग स्टेशन बनाने हेतु 12 करोड़ 30 लाख रुपया स्वीकृत हुआ है। इस कार्य को उत्तर -प्रदेश जल निगम के कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज व पीएमआइ द्वारा कराया जा रहा है।बनारस में चलने के लिए हरियाणा से ट्रेलर पर लदकर पीएमआइ की ग्यारह बसें मिर्जामुराद में पहुंच गई हैं। बसें एक महाविद्यालय परिसर में खड़ी की गई हैं। दिसम्बर माह से बसों के सड़क पर उतर कर चलने की संभावना जताई गई है।

वाराणसी रेलवे स्टेशन से 23 किमी दूर वाराणसी- प्रयागराज हाइवे मार्ग पर राजातालाब तहसील व आराजीलाइन ब्लाक अंतर्गत पड़ने वाले मिर्जामुराद के गौर गांव में ग्राम पंचायत द्वारा वर्ष 2019 में हाइवे किनारे इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग डिपो बनाने का प्रस्ताव पारित कर ग्राम पंचायत की 0.635 हेक्टेयर (करीब 53 बिस्वा) भूमि दी गई थी।जिस भूमि का प्रस्ताव दिया गया उस पर मौजूदा समय में तालाब मौजूद था। उक्त तालाब में करीब 25 वर्षों से गौर गांव के डेढ़ सौ घरों के सीवर का पानी आता रहा। बीते दिसंबर माह से उक्त तालाब से पानी निकाल जेसीबी मशीन से खोदाई कर उसमें मिट्टी भरने का काम शुरू कराया गया था।

निर्माण कार्य शुरू होते ही जलनिकासी की व्यवस्था न बनने के साथ ही आस-पास के काश्तकारों द्वारा भूमि सीमांकन की मांग उठाएं जाने से बीच-बीच में काम भी रुकता रहा। सीवर के पानी की व्यवस्था हेतु चार्जिंग स्टेशन के पीछे ग्राम सभा की कुछ खाली पड़ी भूमि को छोड़ी गई हैं, जिसमे गढ्ढा खोद जलनिकासी का वैकल्पिक व्यवस्था बनाया गया हैं। पानी का दबाब चार्जिंग स्टेशन की चहारदीवारी पर भी पड़ रहा। टिनशेड के दो फ्लोर का वर्कशाप बनकर तैयार हो गया है। वर्कशाप में कुल 18 कमरे बनाए गए हैं। लालपुर विद्युत उपकेन्द्र से बिजली के खंभे और तार लगा सप्लाई चालू कर दिया गया है। दो बड़े-बड़े विद्युत ट्रांसफार्मर लगने के साथ ही पानी हेतु पंप की बोरिंग की जा चुकी है। बसों को चार्ज करने हेतु इलेक्ट्रिक चार्जिंग प्वाईंट बनाएं जा रहे हैं।

चार्जर समेत इलेक्ट्रिक उपकरण भी आ गए हैं। चार्जिंग प्वाइंट का काम करा रहे पीएमआइ के जेई शुभम गुप्ता ने बताया कि पन्द्रह चार्जिंग प्वाइंट बनेंगे। एक प्वाइंट पर दो बसें चार्ज होंगी। एक प्वाइंट बनाने में पन्द्रह स्क्वायर मीटर भूमि ली जा रही। चार्जिंग प्वाइंट का काम प्रगति पर चल रहा है, पूरा होने में अभी कुछ समय लगेगा। नौ मीटर लंबी बस में यात्रियों को बैठाने के लिए 28 सीटें हैं। चालक की सीट अलग है। बस को चार्ज करने में 45 से 60 मिनट का समय लगने की उम्‍मीद है। बस चार्ज होने पर डेढ़ सौ किमी की दूरी तय करेगी। शहर के सात रूटों पर बसें यहां से चलाई जाएंगी। बस के अंदर सीसी कैमरे लगने के साथ लगी एलईडी पर स्टापेज के जगह का स्थान दिखने के साथ ही नाम का भी उच्‍चारण होगा।

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