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PNB बैंक प्रबंधक की डायरी से खुल रहा कैबिनेट मंत्री के बड़े भाई के दामाद IPS आशीष तिवारी का राज

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. पापा-मम्मी मेरे सुसाइड की वजह विवेक गुप्ता, आशीष तिवारी (एसएसएफ हेड) और अनिल रावत (पुलिस फैजाबाद) ये तीन हैं। आई एम सॉरी.. श्रद्धा । शहर में पंजाब नेशनल बैंक की मुख्य शाखा में सहायक प्रबंधक पद पर तैनात बिटिया का यह तीन लाइन का सुसाइड नोट अब आईपीएस आशीष तिवारी पर भारी पड़ने वाला है। बिटिया के फांसी लगाने के बाद उसके कमरे में बरामद एक डायरी तिवारी की कारस्तानी की परत दर परत खोल रही है। मामला आईपीएस और उनके रसूखदार परिवार का है,  प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मोती सिंह के बड़े भाई वीरेंद्र कुमार सिंह उर्फ मानी के आशीष दामाद हैं। इसलिए, पुलिस अधिकारी सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे..नीति पर काम करती दिख रही है।

जून 2019 में फैजाबाद जिले के एसएसपी रहे आशीष तिवारी महिला अपराध के प्रति बेहद गंभीर और पति-पत्नी विवाद सुलझाने में बेहद समझदारी भरे रवैये अपनाते थे। आशीष को 2018 में दिल्ली में फिक्की द्वारा स्मार्ट पुलिस ऑफिसर्स सम्मान से भी नवाजा गया था। इन्होने महिलाओं के लिए काफी काम किये हैं। इसके साथ ही अक्सर अपने अधीनस्थों के लिए भी तरह तरह के कदम उठाते रहते हैं। शायद इसी का फायदा विवेद गुप्ता ने उठाया। सूत्रों के अनुसार बिटिया के कमरे से मिली एक डायरी में आशीष तिवारी का नाम लेकर विवेक की धमकियां दर्ज पाई गई हैं।

यह भी सामने आ रहा है कि विवेक या श्रद्धा गुप्ता से आईपीएस की कोई सीधी बातचीत नहीं है, बैंक के ही एक कर्मी व कुछ दोस्तों के माध्यम से विवेक ने अपनी परेशानी उनके तक पहुंचाई थी, सूत्र बताते हैं आरोपी अनिल रावत अयोध्या पुलिस में कोई शख्स नहीं मिला, अब लेकिन शक की सुई आईपीएस आशीष  के करीबी पुलिस वालों पर टिकी है, शायद उनमें कोई हो। जिसके माध्यम से विवेक की टूटी शादी जोड़ने के लिए आईपीएस आशीष संदेश पहुंचाते रहे हों। लेकिन बिटिया ने विवेक का पता नहीं कौन सा सच जान लिया था, कि आईपीएस और सिपाही दोनों को ही विवेक के साथ बराबर का कसूरवार समझने लगी और अंतत: हंसती-मुस्कराती उंचाईयों को छू रही अपनी जिंदगी को नरक मान बैठी।

विवेक, आशीष तिवारी और अनिल रावत के खिलाफ केस दर्ज कर ली गई है, मृतका की एक डायरी और मोबाइल मिली है, डायरी में दर्ज बातों से आरोपों के लिए साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। साथ ही मोबाइल का लॉक खोलने का प्रयास हो रहा है, खुलते ही जांच की जाएगी। पुलिस पूरी सच्चाई सामने लाएगी।-शैलेश पांडेय, एसएसपी

बिटिया ने कहा था, पापा, विवेक ठीक नहीं है...

बिटिया का परिवार हतप्रभ और बदहवास है। बातचीत में मृतका श्रद्धा गुप्ता के पिता रामजकुमार गुप्ता उर्फ राजू कहते हैं कि सब कैसे हो गया.. कुछ समझ में नहीं आ रहा, दिल बैठा जा रहा है। बिटिया की बचपन की यादें, उंगली पकड़ कर चलने से लेकर दिन-रात लगन से पढ़ाई करते रहने फिर नौकरी पाने का उत्साह याद करके फफक पड़ते हैं। बोले, श्रद्धा मेरी ही नहीं, परिवार और राजाजीपुरम मोहल्ले की भी आन थी। कभी किसी से शिकायत का मौका नहीं दिया।

राजू कहते हैं कि मेरी पसंद से बिटिया ने शादी का रिश्ता स्वीकारा लेकिन क्या पता था कि मेरी यही पसंद एक दिन मौत का कारण बनेगी। बोले, बलरामपुर के उतरौला में विवेक के पिता उमाशंकर गुप्ता की ज्वेलरी की बड़ी दुकान है,  विवेक लखनऊ के एचसीएल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। अच्छा परिवार देख रिश्ता पक्का किया था, लेकिन बिटिया ने जब बताया कि पापा, विवेक ठीक नहीं है..। शादी तय होने के बाद दोनों के बीच बातचीत में उसे उसके चाल-चलन पर शक हुआ था। बिटिया ने कहा-मैं शादी नहीं करूंगी और बेटी की मर्जी से शादी टूट गई। किंतु विवेक तमाम तरीके से मेरी बेटी को प्रताड़ित करता था। अवकाश बेटी घर आई तो मैने समझा बुझाकर भेजा था, लेकिन थोड़ा सा भी हमें और श्रद्धा की मम्मी को अहसास नहीं हुआ कि बेटी आत्महत्या जैसा कदम उठा सकती है।

इटारसी के रहने वाले हैं आशीष विदेश की नौकरी छोड़ बने आईपीएस

झांसी में एसपी रेलवे रहे आशीष तिवारी को साल की शुरुआत में ही विशेष सुरक्षा बल (एसएसएफ) का पहला सेनानायक बनाया गया था। आशीष तिवारी 2012 बैच के आईपीएस हैं। वह इससे पहले मिर्जापुर, जौनपुर और अयोध्या के पुलिस कप्तान रह चुके हैं। आशीष तिवारी मूल रूप से मध्य प्रदेश के इटारसी के रहने वाले हैं। उनके पिता कैलाश नारायण तिवारी, रेलवे इटारसी में सेक्शन इंजीनियर हैं। आशीष की 12वीं तक की पढ़ाई इटारसी के केंद्रीय विद्यालय में हुई। इसके बाद 2002 से 2007 तक उन्होंने कानपुर आईआईटी से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक और फिर एमटेक कम्प्लीट किया। 2007 में आशीष का कैंपस सिलेक्शन लंदन की कंपनी में हो गया। वह लंदन की लेहमैन ब्रदर्स कंपनी में सिलेक्ट हुए, जहां उन्होंने डेढ़ साल काम किया।


इसके बाद उन्होंने जापान के नोमुरा बैंक में डेढ़ साल जॉब की। वहां उनका सालाना पैकेज 1 करोड़ से भी अधिक था। दोनों बैंकों में एक्सपर्ट एनालिस्ट पैनल में उनका सिलेक्शन हुआ था लेकिन उनके मन में शुरू से ही देश सेवा का जज्बा था। 2010 में आशीष अपने वतन वापस लौट आए। उन्होंने 1 करोड़ के पैकेज वाली जॉब छोड़ दी। इंडिया वापस आकर वह सिविल सर्विस की तैयारी में लग गए। 2011 में आशीष का सिलेक्शन (इनकम टैक्स विभाग) में हुआ। 

इसमें उन्हें 330वीं रैंक मिली। एक कार्यक्रम में उन्होंने अपनी पढ़ाई और लक्ष्य बच्चों को जरूर बताते थे, कहते थे कि उनका लक्ष्य आईपीएस बनना था, लिहाजा 2012 में उनका आईपीएस में सिलेक्शन हुआ। इसमें उन्होंने 219वीं रैंक हासिल की। 2013 में उनका आईपीएस ट्रेनिंग के दौरान एक बार फिर आईपीएस में सिलेक्शन हुआ और उन्हें 247वीं रैंक मिली। जिसके बाद से आज तक वो लगातार लोगों के हित में काम करते आ रहे हैं। अयोध्या विवाद पर आए फैसले के बाद जब पूरे विश्व की निगाह अयोध्या पर टिकी थी तब आशीष तिवारी की सूझबूझ से पूरी तरह से अमन शांति रही थी।

आईजी और एसएसपी में हुई मिटिंग

सुसाइड नोट में आईपीएस अफसर का नाम आने के बाद पुलिस प्रशासन में लखनऊ से लेकर अयोध्या तक हड़कंप का माहौल है। आरोपी आईपीएस ने खुद को बेदाग बताते हुए कहा कि वह श्रद्धा गुप्ता को जानता तक नहीं, उससे बातचीत कभी नहीं हुई। लेकिन पुलिस की जांच टीम को जो साक्ष्य मिल रहे हैं, उसमें आईपीएस सीधे बिटिया तक नहीं जुड़े हैं, मगर उनका कारखास सिपाही रावत को लेकर बिटिया के मोबाइल में काफी राज है, डायरी में एक-एक शब्द किसी बेटी के लिए अपने समझ से लिए गए निर्णय को बदलवाने की हरकत हो सकती है, उसे सामने लाने वाले हैं। आईजी केपी सिंह और एसएसपी शैलेश पांडेय एक साथ इन साक्ष्यों पर सुबह से चर्चा करते दिखे। न किसी को मिलने की इजाजत थी, न फोन पर बात करने की।

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