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सूप, दौरी और हंसुआ से आज भी खदेड़ा जाता है दरिद्र को, उल्लू की भी होती है पूजा और जारी है...

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर/चंदौली. दीपावली की भोर में दरिद्र भगाने की सदियों की परंपरा आज भी कायम है। इसकी शुरूआत कब हुई, इसका सही अनुमान लगा पाना कठिन है लेकिन, इसे अब भी निभाया जा रहा है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में दीपावली की भोर में परिवार की महिलाएं सूप या दौरी और लोहे के हंसुआ से दरिद्र को खदेड़ने का काम करती हैं।

मान्यता है कि दरिद्र भगाने से घर में पूरे वर्ष सुख, समृद्धि व शांति बनी रहती है। यह प्रथा लगभग हर घरों में निभाई जाती है। भोर में महिलाएं घर को दरिद्रता से दूर रखने के लिए बांस की सूप को घर के कोने-कोने में बजाती हैं। सदियों से चल आ रही इस परंपरा के अनुसार सूंप बजाकर दरिद्र भगाने का संबंध सुख समृद्धि से जोड़ा गया है। दीपावली की भोर में परिवार की महिलाएं बांस के बने सूप, पंखे, व अन्य सामग्रियों को लोहे के हंसुआ से पीटती हुई मकान के हर कोने तक ले जाती हैं और दरिद्र भागे का उच्चारण करती रहती हैं। 

इसके साथ ही परिवार की दूसरी महिला तेल से दीपक जलाकर साथ चलती हैं। इसके बाद महिलाएं उक्त पात्र को गांव के बाहर लेकर जाकर निश्चित स्थान पर फेंक देती हैं। सदियों से यह परंपरा निभाने के बावजूद गरीबों की गरीबी तो दूर नहीं हुई लेकिन, अनेक घरों में यह प्रथा और तेजी से निभाई जाने लगी। वहीं जिस घर में किसी व्यक्ति को चर्म रोग होता है तो उस घर की महिलाएं सूप दौरी को आग में जला देती हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से चर्म रोग दूर हो जाता है।

उल्लू की भी होती है पूजा

दीपावली पर उल्लू को लक्ष्मी का वाहन मानकर उसका पूजन करने के बाद महिलाएं तेल का दीपक जलाकर उससे निकलने वाले धुएं को कजरौटा में समेटती हैं और उसमें घी मिलाकर आंखों में लगाती हैं। उनका मानना है कि इससे आंखों की रोशनी कभी खराब नहीं होगी। यह सब मान्यताएं विज्ञान की कसौटी पर कितने खरे हैं, इसका अंदाजा तो नहीं लगाया जा सकता है, परंतु यह परंपरा पूर्व की भांति अभी भी निभाई जा रही हैं।

जारी है जुआ खेलने की परंपरा

गांवों में दीपावली की पूर्व संध्या पर घर के बाहर यम का दीपक निकाला जाता है। इसमें एक कौड़ी डाल दी जाती है। वहीं दीपावली पर जुआ खेलने की परंपरा भी बहुत पुरानी है। ऐसी मान्यता है कि उक्त कौड़ी को अपने साथ रखकर जुआ खेलने पर जीत अवश्य होती है। इसमें सच्चाई भले ही न हो परंतु लोग उसे अपने पास रखकर जुआ पर दांव लगाने से बाज नहीं आते हैं।

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