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श्रीकाशी विश्वनाथ धाम : गंगा की लहरों से 22 मीटर ऊपर है मंदिर का चौक

 गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र, भगवान शिव के स्वयंभू ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रमुख आदि विश्वेश्वर श्रीकाशी विश्वनाथ का धाम अपने दिव्य एवं भव्य रूप में आकार ले चुका है। विश्वाधार को गंगधार से एकाकार कराने वाले इस महान धाम के आधुनिक स्वरूप की परिकल्पना को साकार करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को ऐतिहासिक आयोजन में देश भर के संतों-महंतों, शंकराचार्यों, योग-धर्म के गुरुओं की उपस्थिति में इसका लोकार्पण करेंगे। 

धाम की दिव्यता तो जगजाहिर है, इसकी भव्यता का हाल यह कि 50 हजार 200 वर्ग मीटर के विस्तृत क्षेत्रफल में 14 हजार वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र है। स्थापित इस धाम का चौक मां गंगा की लहरों से 22 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि अपने पुराने गर्भगृह में सदियों से विराजित बाबा विश्वनाथ गंगा की लहरों से 15 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित भक्तों का कल्याण कर रहे हैं।

देश-विदेश से बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु गंगा स्नान करने के बाद कुल 80 सीढिय़ां चढ़कर धाम के चौक तक पहुंचेंगे। सीढिय़ों का निर्माण होना अभी बाकी है। गंगा घाट की ओर खुलने वाले धाम के प्रमुख द्वार को रविवार की देर शाम तक कारीगरों ने 24 घंटे के अंदर बनाकर तैयार कर दिया है। इस द्वार में कोई फाटक नहीं लगाया जाना है। द्वार के सामने से ही गंगा की ओर जाने के लिए या गंगा स्नान कर धाम की ओर आने के लिए सीढिय़ों का निर्माण सुरसरि तट तक किया जाना है। इन सीढिय़ों की चढ़ाई तय करने के बाद मुख्य द्वार तक पहुंचकर श्रद्धालु कुछ दूर तक तक ढलुआ फर्श पर चलकर धाम चौक के द्वार पर पहुंचेंगे। 

वहां से लगभग दो दर्जन सीढिय़ां उतरकर चौक में पहुंचेंगे। ये सीढिय़ां बनकर तैयार हैं। चौक के आंगन में विश्राम करने के बाद वे पूर्वी फाटक को पारकर गर्भगृह की ओर जा सकेंगे। वहां सर्वप्रथम अविमुक्तेश्वर महादेव के दर्शन होंगे। उनके ठीक बाद गर्भगृह है, जहां पहुंचते ही ढुंढिराज गणेश को नमन करते हुए श्रद्धालु तारणकर्ता मोक्ष प्रदाता भगवान आदि विश्वेश्वर भगवान शिव का दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद परिसर में स्थित मणि माला में स्थापित देव विग्रहों का दर्शन-पूजन कर उनका आशीर्वाद लेकर जीवन को धन्य बना सकते हैं।

जो न चढ़ सकें सीढिय़ां, उनके लिए है स्वचालित सीढ़ी और रैंप

गंगा स्नान के बाद जो श्रद्धालु 80 सीढिय़ां चढऩे में किन्हीं कारणों से असमर्थ होंगे, उनके लिए घाट द्वार के दाहिनी ओर स्वचालित सीढ़ी लगाई गई है, उन सीढिय़ों की सहायता से दिव्यांग, अस्वस्थ एवं वयोवृद्ध श्रद्धालु धाम के चौक तक पहुंच सकेंगे। इसके बाद बने हुए रैंप का प्रयोग करते हुए अशक्त श्रद्धालु चौक के पश्चिमी छोर पर पहुंच सकेंगे। वहां बने मुख्य पूर्वी द्वार को पार कर भगवान महादेव का दर्शन पा सकेंगे।

संस्कृति व इतिहास से लगायत प्रत्येक सुविधाओं का रखा गया है ध्यान

नवनिर्मित श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में प्रतिदिन देश-विदेश से आने वाले हजारों श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ध्यान रखा गया है। काशीपुराधिपति स्वयं आदिदेव महादेव हैं। विश्व की इस सबसे प्राचीन व जीवित नगरी का सांस्कृतिक, धार्मिक महत्व व इतिहास बताने के लिए यहां व्यूइंग गैलरी, वाराणसी गैलरी व सिटी म्यूजियम हैं तो समृद्ध पुस्तकालय भी स्थापित किया गया है। स्नान, दर्शन-पूजन व धाम भ्रमण के पश्चात भूख लगे तो जलपान केंद्र भी बनाया गया है, जहां बनारसी खान-पान से लगायत दक्षिण भारतीय जलपान व भोजन की व्यवस्था होगी। 

तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए गंगा की ओर से सीढिय़ां चढ़ते ही टूरिस्ट फेसिलिटी सेंटर की स्थापना की गई है। दूर से आए श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धाम से सटे ही अतिथिगृह की व्यवस्था की गई है। धाम परिसर में ही विभिन्न आयोजनों के लिए चौक से लगे ही मल्टीपरपज हाल है तो चौक के भीतरी क्षेत्र में दोनों तरफ यात्रियों के ठहरने, विश्राम करने या बड़े धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों के लिए बड़े-बड़े हाल ऊपर और नीचे बनाए गए हैं।

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