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मैंने आसमान में देखा... उन आखिरी सेकेंड्स में क्या हुआ था, 5 चश्मदीदों ने जानें क्या देखा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. तमिलनाडु के कुन्नूर के नीलगिरी के जंगलों में भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर क्रैश के बाद का मंजर काफी दर्दनाक था। दुर्घटना की खबर मिलते ही बचाव दल घटनास्थल पर पहुंचा था। हेलिकॉप्टर के मलबे से बचावकर्मियों ने दो लोगों को जिंदा निकाला था। इसमें एक सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी थे।

'200 मीटर ऊपर उड़ते देखा, 100 मीटर पर हुआ क्रैश'

बर्लियार हैमलेट निवासी प्रकाश ने हेलीकॉप्टर को 100 फीट दूर से दुर्घटनाग्रस्त होते देखा। उन्होंने बताया, 'सुबह बहुत धुंध थी। मैंने हेलिकॉप्टर को अपने घर से सिर्फ 200 मीटर ऊपर उड़ते देखा। यह एक विशाल पेड़ से टकराया और एक धमाके के साथ दुर्घटनाग्रस्त हो गया। आसपास रहने वाले लोग डरकर अपने घरों से भाग गए।' प्रकाश और इलाके के अन्य निवासी दुर्घटनास्थल पर पहुंचे जहां उन्होंने देखा कि हेलिकॉप्टर जल रहा है।

'दर्द भरी आवाज में मांग रहे थे पानी'

एक अन्य ग्रामीण और मौके पर पहुंचने वाले पहले लोगों में से एक शिवकुमार थे। उन्होंने बताया कि जलते हुए हेलिकॉप्टर में 11 लोग थे, जबकि तीन कुछ मीटर की दूरी पर पाए गए, हेलिकॉप्टर क्रैश होने के बाद वह शायद छिटक कर दूर गिरे होंगे या फिर जान बचाने के लिए भागे होंगे। उनके शरीर पर गंभीर चोटें थीं। घायलों में से एक कराह रहा था। दबी हुई आवाज में उसने हमसे पानी मांगा।

आवाज सुनी और तुरंत कटवाई बिजली

दुर्घटनास्थल से लगभग 100 मीटर की दूरी पर, कटेरी गांव में, दिहाड़ी मजदूर पोथम पोन्नम ने दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले हेलिकॉप्टर को सिर के ऊपर से घूमते हुए देखा था। कुछ ही समय में, हमने गड़गड़ाहट की आवाज़ सुनी और जान गए कि हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। कटरी के निवासियों ने जिला अधिकारियों को सतर्क किया और क्षेत्र की बिजली आपूर्ति तुरंत काट दी गई। पोथम ने कहा कि जब हमने दुर्घटनास्थल पर जाने की कोशिश की, तो हमें पुलिस ने रोक दिया।

कटा पेड़ बना रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा

एक उखड़ा हुआ पेड़ जिसे काटा गया था। रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा बन गया। इस पेड़ के कारण सबने हमारे बचाव कार्य में देरी हूई। 12 शव बरामद कर लिए गए और दो लोगों को जिंदा निकाल लिया गया, दोनों गंभीर रूप से झुलस गए थे।

बर्तनों में पानी लाकर बुझाई आग

प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि बचाव दल को कठिनाइओं का सामना करना पड़ा। आग बुझाने के लिए दमकल इंजन को ले जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था। हमें पास की नदी और घरों से बर्तनों में पानी लाना पड़ा और आग में डालना पड़ा। ऑपरेशन बहुत कठिन था, शवों को निकालने के लिए हमें हेलिकॉप्टर के दांतेदार टुकड़ों को खोलना पड़ा। बहुत मुश्किल से लोगों को बाहर निकाला जा सका।

बिपिन रावत का शरीर का निचला हिस्सा बुरी तरह हुआ क्षतिग्रस्त

रेस्क्यू में लगे एन सी मुरली ने कहा, 'हमने दो लोगों को जिंदा बचाया। एक थे सीडीएस रावत। जैसे ही हमने उसे बाहर निकाला, उसने रक्षा कर्मियों से हिंदी में धीमे स्वर में बात की और अपना नाम बोला। अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। हम दूसरे व्यक्ति को अस्पताल ले गए। उनकी पहचान नहीं कर सके जिसे अस्पताल ले जाया गया और उसका अभी इलाज चल रहा है।' उसने बताया कि बिपिन रावत के शरीर का निचला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। उन्हें चादर में लपेटकर एम्बुलेंस में ले जाया गया।

चादरों और कंबलों को बनाया स्ट्रेचर

फायरमैन सी दंडपाणि ने कहा कि चूंकि एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंच सकीं, इसलिए उन्हें घाट से घायलों को ले जाने के लिए निवासियों से चादरें मिलीं। उन्होंने कहा कि हमने पहले हेलिकॉप्टर के बाहर पाए गए तीनों को बचाया और उन्हें वेलिंगटन में सेना के अस्पताल भेज दिया। बाद में क्रैश हुए जल रहे मलबे से आग बुझाने के साथ लोगों को बाहर निकालना जारी रखा।

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