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यह लक्षण दिखे तो ओमिक्रोन को लेकर हो जाएं सतर्क, पढ़ें एक्‍सपर्ट की राय

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. यूपी में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ओमिक्रोन की भी दहशत पनप रही है। ओमिक्रोन को लेकर घबराहट पैदा करने की बजाए इससे बचाव के बारे में ज्‍यादा सोचना चाहिए। घर से मास्‍क पहनकर ही निकलें और भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करना चाहिए। इसके लक्षण दिखने पर इस वायरस को हल्‍के में नहीं लेना चाहिए। एहतियात बरतकर ही इस वायरस से मुकाबला किया जा सकता है।

यह भी बताया 

मेरठ में प्रो. अरिवंद कुमार ने बताया कि ओमिक्रोन संक्रमित हो रहे मरीज में संक्रमण गले में ही रुक जा रहा है। पूर्व की लहर की तरह ओमिक्रोन संक्रमितों में फेफड़ों के टिश्यू को नुकसान नहीं पहुंच रहा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोग बेपरवाह हो जाएं। घर की कमजोर कड़ी यानी बुजुर्ग या पहले से गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के लिए यह घातक साबित हो सकता है। ऐसे में पूरी तरह से सावधानी बरतें।

ये हैं ओमिक्रोन संक्रमण के लक्षण

- सर्दी, जुकाम के साथ 100-101 फारेनहाइट बुखार होना।

- कमजोरी महसूस होना।

- नाक बहना

- गले में खराश व सुगंध न आना।

- गले में खराश के साथ बलगम रहित खांसी या सूखी खांसी।

- सामान्य संक्रमण होने पर तीन से चार दिन के बाद रोगी अच्छा महसूस करने लगता है लेकिन ओमिक्रोन के मामले में मरीज को स्थिति में सुधार नहीं महसूस होता।

यह कहना है जानकारों का

फिलहाल ओमिक्रोन Omicron संक्रमण 1.5 से तीन दिन में दोगुना हो रहा है। वहीं मेरठ के सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. वीरोत्तम तोमर का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर भी यूरोप के बाद भारत आई थी और अब भारत में ओमिक्रोन Omicron के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं विशेषज्ञों का दावा है कि संक्रमण की नई लहर जनवरी-फरवरी 2022 में तेजी पकड़ सकती है। मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग ने बताया कि आरएनए वायरस में म्यूटेशन होता रहता है, ऐसे में ओमिक्रोन आने वाले दिनों में ज्यादा खतरनाक बन सकता है या कमजोर पड़ जाएगा। 

वहीं मेरठ मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ अरविंद का कहना है कि कोरोना वायरस नाक, गला और फेफड़ों में संक्रमित होता है। नाक और गले में रुक जाए तो मरीज आसानी से सप्ताह भर में ठीक हो जाता है, लेकिन अगर संक्रमण फेफड़ों में पहुंच गया तो यह गंभीर निमोनिया बनकर जानलेवा हो जाता है। इसका खतरा सर्दियों में कई गुना होता है। पारा 15 डिग्री से कम रहने पर वायरस तेजी से बढ़ता है। ऐसे ठंड में मौसम पूरी एहतियात बरतना ही सही रहेगा।

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