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औकात पता चल जाएगी, घमंड चूर-चूर हो जाएगा, स्वामी प्रसाद मौर्य ने BJP को खूब सुनाई खरी-खोटी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने अचानक योगी कैबिनेट से इस्तीफा देकर राज्य का सियासी पारा बढ़ा दिया है. सपा में शामिल होने पर अब तक सस्पेंस रखने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने तीखे बयान से यह साफ कर दिया है कि वह वापस भारतीय जनता पार्टी में नहीं लौटने वाले हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी में बात नहीं सुनी गई. भाजपा से अलग राह अपनाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा को औकाता दिखाने की बात तक कह डाली. उन्होंने कहा कि 2022 में भाजपा को अपनी औकात पता चल जाएगी और उसका घमंड चूर-चूर हो जाएगा.

सपा में शामिल होने को लेकर जारी अटकलों के बीच स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कैबिनेट से इस्तीफे के बाद मैंने किसी का फोन फोन नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि दो दिनों तक समर्थकों से बातचीत कर 14 जनवरी को फैसला सुनाऊंगा. उन्होंने कहा कि 14 जनवरी को साफ जाएगा कौन किधर है. 2022 में बीजेपी को औकात पता चल जाएगी. बीजेपी का घमंड चूर-चूर जाएगा. इतना ही नहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी पर पिछड़ों से भेदभाव का आरोप लगाया है और आरक्षण को लेकर भी सवाल उठाए हैं.

दरअसल, स्वामी प्रसाद मौर्य ने भले ही योगी आदित्यनाथ कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है, मगर अभी तक वह आधिकारिक तौर पर सपा में शामिल नहीं हुए हैं, क्योंकि रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा सीट पर अब भी मामला फंसा हुआ है. स्वामी इस सीट पर अपने बेटे को उतारना चाहते हैं, जबकि अखिलेश अपने मौजूदा विधायक पर ही दांव लगाना चाहते हैं. यही वजह है कि बात न बन पाने की स्थिति में स्वामी प्रसाद मौर्य अभी वेट एंड वॉच मोड में हैं और सियासी-नफा नुकसान का आंकलन करने के बाद ही कोई कदम उठाएंगे.

सूत्रों की मानें तो स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे के लिए भी टिकट चाहते थे. स्वामी भाजपा के टिकट पर बेटे को ऊंचाहार सीट से लड़वा चुके हैं, मगर उसमें उनके बेटे को हार मिली थी. स्वामी फिर से इसी सीट से बेटे के लिए टिकट की मांग कर रहे थे, मगर भाजपा टिकट देने के मूड में नहीं थी. इसके अलावा वह अपने दूसरे साथियों को (जिनमें से कुछ वर्तमान विधायक है) भी बीजेपी से टकिट दिलाना चाहते थे, जबकि भाजपा उन्हें टिकट देने को तैयार नहीं थी. इन्हीं कारणों से स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा से नाराज चल रहे थे. पार्टी के वरिष्ठ नेता उनसे लगातार बात कर रहे थे. सोमवार रात और मंगलवार सुबह भी स्वामी से बात हुई थी लेकिन वह नहीं माने और इस्तीफा दे दिया.

स्वामी के इस्तीफे से भाजपा में भगदड़ मचने की उम्मीद है. मौर्य के साथ तीन विधायक पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. माना जा रहा है कि स्वामी के साथ-साथ कम से कम पांच-छह विधायक भाजपा का दामन छोड़ सकते हैं. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी अपनी इस टूट को टालने की कोशिश में जुट गई है. अमित शाह के निर्देश पर स्वतंत्र देव सिंह और सुनील बंसल मोर्चा संभाल चुके हैं. सुनील बंसल और स्वतंत्र देव सिंह लगातार नाराज विधायकों को फोन कर मनाने में जुटे हुए हैं. 

स्वामी प्रसाद मौर्य ने अभी तक किसी पार्टी को ज्वाइन नहीं किया है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि वे अपने तीन समर्थकों तिंदवारी विधायक बृजेश प्रजापति, बिल्हौर के भगवती सागर और तिलहर के रोशनलाल वर्मा के साथ समाजवादी पार्टी का दामन थाम सकते हैं. इसके अलावा, औरैया के बिधूना सीट से बीजेपी विधायक विनय शाक्य के भी पार्टी छोड़ने की खबर आ रही है.

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