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दो साल बाद होली की मस्ती में कहीं 'रंग' न डाल दे भंग, बरतें ये सावधानियां

गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. कोरोना महामारी के लगातार कमजोर पड़ने के बीच देशभर में इस बार होली का त्योहार मनाया जा रहा है। दो साल बाद इस बार दिल्ली में होली बिना कोविड के भय के लोग मना सकेंगे। हालांकि, डॉक्टर अभी भी भीड़ से बचने की सलाह दे रहे हैं। हर बार की तरह इस बार भी डॉक्टर लोगों से सेफ होली खेलने की अपील कर रहे हैं। होली में अपने आप को अलग-अलग तरह के केमिकल वाले रंगों से बचाना बेहद ही जरूरी है। असुरक्षित होली से स्किन के साथ ही आंखों को भी नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में खुद का और अपने परिवार के सदस्यों के साथ ही बच्चों का विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

स्किन केयर : सेंटर फॉर स्किन एंड हेयर क्लिनिक की डॉ. दीपाली भारद्वाज ने कहा कि रंगों के सबसे ज्यादा साइड इफेक्ट्स स्किन पर दिखते हैं। होली के बाद लगातार लोग स्किन प्रॉब्लम लेकर इलाज के लिए आते हैं। रंग आसानी से न छूटे, तो ज्यादा प्रयास न करें। कई लोग रंग छुड़ाने के चक्कर में स्किन घिस देते हैं। जहां रंग लगा हो, वहां तेल या एलोवेरा क्रीम लगाएं। धीरे-धीरे रंग उतर जाएगा। सिंथेटिक रंगों के इस्तेमाल से खुजली, लाली, चकत्ते, फफोले, स्किन काली होने जैसी शिकायतें आ सकती हैं। प्राकृतिक रंग के इस्तेमाल से इस दिक्कत से बचा जा सकता है।

होली खेलने के लिए बाहर जाने से पहले कम से कम 30 मिनट पहले सनस्क्रीन और तेल लगाएं। नाखूनों को ट्रिम करें और ग्लॉसी नेल पेंट लगाएं ताकि रंग आपके नाखूनों पर कई दिनों तक न चिपके रहे। नाखूनों पर क्लियर-कोटेड नेल पेंट लगाएं। नाखूनों के रंग को रिसने या फंसने से बचाने के लिए नाखूनों के आसपास की त्वचा पर भी पॉलिश करें।-डॉ. परणीता कौर

आई केयर : विजन आई सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. तुषार ग्रोवर ने कहा कि सिंथेटिक रंगों में भारी धातुएं हो सकती हैं, जो कॉर्नियल घर्षण, संक्रमण और आंखों में गंभीर केमिकल जलन पैदा कर सकती हैं। होली के दौरान हमेशा चश्मा या प्रोटेक्टिव आईवियर पहनें। होली खेलते समय कॉन्टैक्ट लेंस न पहनें, क्योंकि रंग लेंस की सतह पर फंस सकता है, जिससे केमिकल चोट लग सकती है और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। रंगों के संपर्क में आने पर लेंस में भी दाग लग सकता है। इसे दोबारा इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता है। रंगो से सनी उंगलियों से लेंस न उतारें।

आंखों में हो सकती हैं ये परेशानियां

डॉक्टर ने कहा कि कुछ लोगों में आंखें मलने की आदत होती है। रगड़ने से नुकसान कई गुना बढ़ सकता है, क्योंकि आंख में कोई भी कण, जब रगड़ा जाता है, तो कॉर्नियल घर्षण हो सकता है, जिससे बहुत दर्द हो सकता है। डॉक्टर भी पानी के गुब्बारों से होली न खेलने की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे व्यक्ति को गंभीर आंखों की चोटें जैसे कि कॉर्नियल आंसू, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के साथ-साथ रेटिना डिटेचमेंट का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।

बालों का करें बचाव

आकाश हेल्थकेयर की डॉ. परणीता कौर ने कहा कि बालों में तेल लगाने से रंगों को बालों के शाफ्ट तक पहुंचने से रोकने में मदद मिलती है। जिस कारण धोने से बाल नहीं टूटते हैं। बालों को रंगों से बचाने के लिए नारियल या जैतून का तेल लगाएं। तेल लगाने के बाद बालों को दुपट्टे या रुमाल से ढक लें। बालों को एक बन में घुमाएं या पोनीटेल में खींच कर बांध लें।

नाक-कान : बाबा साहिब अंबेडकर हॉस्पिटल के ईएनटी एक्सपर्ट डॉ. पंकज कुमार ने कहा कि मिलावटी रंग अगर कान के अंदर पहुंच जाए तो ईयर कैनाल के सेंसेटिव टिश्यू को डैमेज कर सकता है। यह साउंड को इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदलकर ब्रेन तक पहुंचाती हैं। इससे बहरापन हो सकता है। ध्यान रहे कि होली खेलते समय रंग या पानी कानों के अंदर न जाएं। दिक्कत होने पर डॉक्टर के पास जाएं।

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