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पंकज उधास ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में किया दर्शन-पूजन, कहा - 'अद्भुत है श्री काशी विश्वनाथ धाम'

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. प्रसिद्ध गजल गायक पंकज उदास सुबह श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन पूजन के लिए पहुंचे। इस दौरान उन्‍होंने विधि विधान से दर्शन पूजन किए। पंकज उधास सोमवार की सुबह अपने अन्य सहयोगियों समेत न्यास सदस्य दीपक मालवीय के साथ बाबा दरबार पहुंचे। न्यास सदस्य की देख रेख में अर्चक डॉ. श्रीकांत मिश्रा के आचार्यत्व में उन्होंने षोडशोपचार पूजन व स्पर्श दर्शन किया। इसके बाद विश्वनाथ धाम में भ्रमण कियाा।

जाते समय न्यास सदस्य ने अंगवस्त्र और बाबा की प्रसाद पोटली भेंट की। उन्होंने कहा कि बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद बना रहे। गोदौलिया द्वार पर प्रशंसकों ने सेल्फी ली और हर-हर महादेव के उद्घोष से स्वागत किया। उन्‍होंने काशी विश्‍वनाथ धाम को अद्भुत बताते हुए बाबा दरबार की भव्‍यता की तारीफ भी की। 

पद्मश्री पंकज उधास के गीत-गजलों से गूंजा रूद्राक्ष : जियें तो जियें कैसे बिन आपके, लगता नहीं दिल कहीं बिन आपके... फिल्म साजन का ये गीत जैसे ही गूंजा रूद्राक्ष अंतराष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन कक्ष में लोग झूम उठे। तीन दशक बाद भी इस गीत और इस गीत को स्वर देने वाले मशहूर गजल गायक पद्मश्री पंकज उधास के लिए लोगों में जबरदस्त दीवानगी दिखी। मौका था अग्रवाल महासभा चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रविवार को आयोजित शाम-ए-बनारस कार्यक्रम का।

रामनवमी का मौका था इसलिए पंकज उधास ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत मीराबाई के भजन पायो जी मैंने राम रतन धन पायो... से की। बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ को समर्पित भजन ना फूल चढ़ाऊं ना माला चढ़ाऊं , गीतों की गंगा तुझको चढ़ाऊं... सुनाया। कोरोना काल की यादों के साथ गजल सुनाया निकलो ना बेनकाब जमाना खराब है...। 

अगली प्रस्तुति सबको मालूम है मैं शराबी नहीं फिर भी कोई पिलाये तो मैं क्या करूं... से माहौल बना दिया। हर लय पर लोगों की तालियां बजती रहीं। नज्म दुख-सुख था एक है सबका अपना या बेगाना, एक वो भी था जमाना एक ये भी है जमाना... के जरिए वक्त की करवट को बताया। गीत-गजल का दौर देर तक चलता रहा। 

शुभारंभ अतिथि कलाकार पद्मश्री पंकज उधास ने दीप प्रज्वलित कर व महाराज अग्रसेन की मूर्ति पर माल्यार्पण कर किया। स्वागत संस्था अध्यक्ष संतोष कुमार अग्रवाल, संचालन डा. राजेश अग्रवाल व डा. रचना अग्रवाल, संयोजन नीरज अग्रवाल, धन्यवाद ज्ञापन डा. मधु अग्रवाल, आमोद अग्रवाल व सलिल अग्रवाल ने किया।

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