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बिना दर्द दिए कुत्ते के पेट का आपरेशन कर निकाला रबर बैंड, बनारस में पहली बार हुआ इस तरह का आपरेशन

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. बीएचयू के राजीव गांधी दक्षिणी परिसर बरकछा स्थित पालकप्य पशु चिकित्सालय में चिकित्सकों ने बिना दर्द दिए पालतू कुत्ते का आपरेशन कर उसके पेट से 80 ग्राम का रबर बैंड निकाला। यह सफलता उन्होंने गैस के माध्यम से कुत्ते को एनेस्थिसिया देकर प्राप्त की। चिकित्सकों का दावा है कि इस तरह का यह पहला आपरेशन है। उन्होंने ऐसा कर कीर्तिमान बनाया है।

भदोही निवासी प्राची गुप्ता का बिगल नस्ल, चार साल का, 21 किलोग्राम वजन का, सफेद-भूरा मादा कुत्ता तीन दिन से उल्टी कर रहा था। जो भी खाता, उल्टी हो जाती थी। प्राची उसे बरकछा ले गईं, चिकित्सकों को बताया कि तीन दिन पहले इसने लाल रंग हेयर रबर बैंड खा लिया है। रेडियोग्राफी के बाद पता चला कि पेट मे कुछ है। कुत्ते को आपरेशन के लिए तैयार किया गया और गैस से एनेस्थिसिया दिया गया। आपरेशन कर रबर बैंड निकाला गया। जानवरों में पहली बार बिना दर्द दिए एक जटिल आपरेशन सफलतापूर्वक किया गया। इस पर दक्षिणी परिसर के आचार्य प्रभारी प्रो. वीके मिश्र ने चिकित्सकों की टीम को बधाई दी। आपरेशन सहायक प्राध्यापक सर्जन डा. विनोद कुमार ने अपनी टीम के साथ किया।

909 कछुओं के भोजन के लिए दो वर्ष से नहीं आया बजट : नदियों की सेहत को दुरुस्त रखने में अहम भूमिका निभाने वाले कछुओं के भोजन पर इस समय शामत है। पिछले दो साल से एक पैसा बजट नहीं जारी हुआ। कछुआ प्रजनन केंद्र सारनाथ पर मौजूद 909 कछुओं के लिए भरपेट भोजन का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा है। कर्मचारी ऐन केन प्रकारेण भोजन का इंतजाम कर रहे हैं। यहां से तैयार होने वाले कछुए गंगा में छोड़े जाते हैं जो नदी की गंदगी को साफ करके उसकी सेहत बनाए रखते हैं।

व्यस्क हो चुके पांच सौ कछुए छोडऩे की तैयारी है। बजट के अभाव में पिछले दो साल से अंडे न आने के कारण कछुओं की नई पीढ़ी भी तैयार नहीं हो पा रही है। सारनाथ में वर्ष 1987 में कछुआ प्रजनन केंद्र बनाया गया। यहां हर साल कछुओं के दो हजार अंडे आगरा के यमुना व अन्य नदियों से लाए जाते हैं। अंडे से बच्चों के निकलने के बाद इनके बड़े होने तक केंद्र में ही रखा जाता है। इसके बाद उन्हें गंगा में छोड़ दिया जाता है। पिछले 30 सालों में लगभग 50 हजार कछुए गंगा में छोड़े जा चुके हैं।

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