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रजिस्ट्री और आरटीओ में भ्रष्टाचार में 3 गिरफ्तार, उप निबंधक फरार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. गोरखपुर में रजिस्ट्री विभाग और आरटीओ से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सोमवार को कैंट और शाहपुर पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। जबकि उप निबंधक सहित अन्य फरार हैं। कैंट पुलिस ने रजिस्ट्री विभाग में भ्रष्टाचार से जुड़े दो लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि शाहपुर पुलिस ने आरटीओ कार्यालय में डीएल बनवाने के साथ ही अन्य मामलों से जुड़े भ्रष्टाचार में होमगार्ड को गिरफ्तार किया है। 

तीनों आरोपितों को कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। डीएम के निर्देश पर रजिस्ट्री विभाग और आरटीओ में आ रहे भ्रष्टाचार की शिकायत पर स्टिंग ऑपरेशन कराया गया था। स्टिंग ऑपरेशन में कई लोग वीडियो में रंगेहाथ कैद हुए। इसके बाद डीएम के निर्देश पर सदर तहसीलदार वीरेन्द्र कुमार गुप्ता ने रविवार की रात में रजिस्ट्री कार्यालय से जुड़े भ्रष्टाचार में कैंट थाना तो वहीं चरगांवा स्थित आरटीओ कार्यालय के भ्रष्टाचार में शाहपुर थाने में केस दर्ज कराया।

रजिस्ट्री कार्यालय के उप निबंधक सहित पांच पर केस, दो गिरफ्तार

रजिस्ट्री कार्यालय के उप निबंधक केके तिवारी तथा निबंधन कार्यालय से जुड़े प्राइवेटकर्मी विजय कुमार मिश्र, अशोक उपाध्याय, जितेंद्र जायसवाल, राजेश्वर सिंह के खिलाफ केस दर्ज कर इंस्पेक्टर शशिभूषण राय ने इनमें से दो आरोपित विजय मिश्रा पुत्र रविन्द्र मिश्रा निवासी जंगल एकला नम्बर दो थाना गुलरिहा, वर्तमान पता पीडब्ल्यूडी बंगला नंबर 11बी सिविल लाइन थाना कैण्ट और अशोक उपाध्याय पुत्र कैलाश उपाध्याय निवासी ग्राम पोस्ट अण्डिला थाना मईल जिला देवरिया, वर्तमान पता पीडब्ल्यूडी बंगला नंबर 11बी सिविल लाइन थाना कैण्ट को गणेश चौराहे के पास से गिरफ्तार किया।

आरटीओ दफ्तर में बिना घूस के नहीं बन रहा था डीएल, होमगार्ड गिरफ्तार

डीएम की तरफ से आरटीओ विभाग में कराई गई स्टिंग में पता चला कि डीएल लर्निंग से लेकर मुख्य डीएल बनाने तक की प्रक्रिया में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और परीक्षण के बाद भी डीएल बनाने के सम्बन्ध में पैसा लिया जाता है। शासन द्वारा निर्धारित शुल्क से अधिक शुल्क अन्य माध्यमों से यह रकम वसूली जा रही है। सीधे तौर से स्वयं पैसा न लेकर पटल के कर्मचारी विभिन्न माध्यमों कार्यालय के आस-पास स्थित दुकानदारों आदि से पैसा लेते हैं। आम जनता के लोगों का काम बिना पैसे के नहीं हो रहा है। स्टिंग में कर्मियों के साथ होमगार्ड कैफे संचालक आदि की भूमिका मिली। शाहपुर थाने में होमगार्ड अर्जुन व पटल के कर्मचारी, कार्यालय के आस पास प्राइवेट दुकान के लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ। शाहपुर इंस्पेक्टर ने बगहा बाबा मन्दिर के पास से होमगार्ड अर्जुन को गिरफ्तार कर लिया है जबकि अन्य की तलाश है।

एक अफसर के बंगले में थे गिरफ्तार दोनों कर्मचारी

उप निबंधन कार्यालय से जुड़े भ्रष्टाचार में पकड़े गए रविन्द्र मिश्रा और अशोक उपाध्याय निबंधन कार्यालय के एक अफसर के सिविल लाइंस स्थित पीडब्लूडी के बंगला नम्बर 11 में रहते थे। जबकि अफसर स्वयं कहीं और किराये पर रहते हैं। पुलिस की जांच में सामने आया है कि अधिकारी के जरिये दोनों रजिस्ट्री की जांच सौंपी जाती थी। वह मौके पर जाते थे और डील करते थे। यही नहीं, स्टाम्प चोरी का भी रास्ता बताते थे। यह दोनों महीने में एक लाख रुपये तक की खुद की कमाई कर लेते थे। इनके जरिये उस अधिकारी को भी विवेचना में पुलिस शामिल कर सकती है। वहीं दूसरी तरफ उप निबंधक केके तिवारी के लिए जितेंद्र जायसवाल, राजेश्वर सिंह काम करते थे। तीनों की तलाश की जा रही है।

कैफे संचालक को दिया था सर्वर का पासवर्ड

आरटीओ के भ्रष्टाचार में पता चला कि डीएल के लिए परेशान कोई व्यक्ति कार्यालय पहुंचता तो होमगार्ड अर्जुन उसे पास में स्थित साइबर कैफे लेकर जाता। कैफे वाला कहता है कि अभी स्लाट बहुत लम्बा है। नम्बर आने में दो महीने तक का समय लग सकता है। डीएल बनवाने वाले से वह सेटिंग करता और 3000 रुपये तक अधिक देने पर उसका काम करा देता। पटल के कर्मचारियों के जरिये उसे सर्वर का पासवर्ड मिला था। वह पैसा लेने के बाद जल्द का नम्बर देता और इसके बारे में कर्मचारियों तक को जानकारी देता। ताकि उसका काम हो जाए। इसके बदले सभी की हिस्सेदारी तय थी। यही वजह है कि पुलिस ने पटल बाबू के खिलाफ भी केस दर्ज किया है। हालांकि वह अभी पकड़ में नहीं आए हैं।

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