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हाईकोर्ट ने पूछा- मां हो, बच्चों की चिंता नहीं तो उसने कहा.....जानिए पूरा मामला

गाजीपुर न्यूज़ टीम, प्रयागराज. इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश हुई मां ने कहा कि दो बच्चों से वह कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती और न ही उनसे मिलने की अनुमति मांगेगी। इसी के साथ कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही उसने अपने दो मासूम बच्चों से रिश्ता तोड़ दिया और कहा कि उसका बच्चों से कोई वास्ता नहीं है। बच्चों में एक दिव्यांग है। मां ने यह बात तब कही जब याची के अधिवक्ता ने कहा कि वह नौकरी कर रही है और बच्चों का गुजारा भत्ता दिलाया जाए।

हाई कोर्ट ने पूछा था कि मां हो, बच्चों की चिंता नहीं है? तो इस पर कोर्ट में पेश हुई महिला ने कहा कि वह वह अपने बच्चों को साथ नहीं रखना चाहती है। महिला ने किसी पुरुष के साथ लिव इन रिलेशन के आरोप से भी इन्कार किया। उसने कोर्ट में बताया कि पति के उत्पीड़न के चलते अपनी एक सहेली के साथ दिल्ली में रह कर नौकरी कर रही है।

न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की कोर्ट में फतेहपुर निवासी प्रमोद कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह प्रसंग सामने आया। याची ने पत्नी को अंकुर नामक व्यक्ति की अवैध निरुद्धि से मुक्त कराने की हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। पीठ ने महिला का बयान सुन याचिका खारिज कर दी।

सुनवाई के दौरान पत्नी कोर्ट में उपस्थित हुई तो कोर्ट ने उससे कई सवाल किए। कोर्ट ने पूछा कि क्या उसे किसी ने बंधक बनाया है, तो महिला ने कहा कि उसे किसी ने बंधक नहीं बनाया है। वह दिल्ली में रहकर नौकरी कर रही है। पति उसे परेशान करता है। उसका प्रमोद कुमार से कोई लेना देना नहीं है। सुनवाई के दौरान पति और उसके दोनों बच्चे वैभव (9 वर्ष) और शौर्य (5 वर्ष और एक पैर से दिव्यांग) भी मौजूद थे।

हाई कोर्ट ने महिला से पूछा कि वह अपने बच्चों को साथ रखना चाहती है या नहीं। जिस पर महिला ने स्पष्ट तौर पर अपने बच्चों को साथ रखने से इन्कार कर दिया। जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि उसे बच्चों से मिलने नहीं दिया जाएगा, तो महिला ने कहा कि वह बच्चों ने नहीं मिलना चाहती। कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को पोषणीय न पाते हुए उसे खारिज कर दिया। बच्चों को उसके पिता के पास ही रहने दिया।

वहीं, सुनवाई के दौरान याची अधिवक्ता ने एक बार जब यह कहा कि महिला झूठ बोल रही है वह गर्भ से है। पीठ ने टिप्पणी की, आपको कैसे पता चला? बच्चों को गुजारा भत्ता, अवैध संबंध के मुद्दे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में तय नहीं हो सकते। इसके लिए अलग कानून और फोरम है, वहां जाइए। 

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