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मुख्तार की जमानत अर्जी खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- र‍िहा हुआ तो सबूतों से करेगा छेड़छाड़

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बाराबंकी के एम्बुलेंस प्रकरण में बाहुबली मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मुख्तार के खिलाफ जघन्य अपराधों से जुड़े 56 मामलों का इतिहास है और उसका डर ऐसा है कि यदि वह जमानत पर छूटता है तो वह गवाहों को प्रभावित करेगा और सबूतों से भी छेड़छाड़ करेगा।

यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सि‍ंह की एकल पीठ ने मुख्तार की जमानत अर्जी पर दिया। बाराबंकी की कोतवाली पुलिस ने मुख्तार को इस मामले में अभियुक्त बनाया है। अभियोजन के अनुसार उस पर आरेाप है कि उसने डा अलका राय को डराकर फर्जी कागजों के आधार पर एक एम्बुलेंस निकलवाई और उसका प्रयोग पंजाब में मोहाली जेल से कोर्ट आने-जाने के लिए किया जाता था। कहा गया कि इस एम्बुलेंस में मुख्तार के आदमी हथियार बंद हेाकर उसकी सुरक्षा के लिए तैनात रहते थे।

अवमानना में अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद को किया तलब:

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद को अदालती अवमानना के एक मामले में 18 अगस्त को तलब किया है। कोर्ट ने उनसे पूछा है कि क्येां न उन्हें अदालत के आदेश की अवमानना करने के लिए दंडित किया जाए।

यह आदेश जस्टिस जसप्रीत सि‍ंह की एकल पीठ ने डॉ. अनिल कुमार शुक्ला की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित किया। याची के वकील प्रांशु अग्रवाल का कहना था कि 18 दिसंबर 2020 को ही याची की सेवा सबंधी एक याचिका पर रिट कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए कहा था कि याची के निलंबन काल का यदि कोई निर्वाह भत्ता बकाया हो तो उसका हिसाब लगाकर उसे दिया जाए।

रिट कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि ऐसा करने में कोई विधिक बाधा हो तो उसकी जानकारी कोर्ट को और याची को दी जाए। कहा गया कि उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा था और जब याची ने कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी तो उसके बाद 10 अगस्त 2021 को एक आदेश पारित करते हुए याची के बकाए भुगतान के दावे को खारिज कर दिया गया।

मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया कि 10 अगस्त 2021 के आदेश की भी जानकारी 11 महीने बाद 18 जुलाई 2022 को याची को तब दी गई जब 6 जुलाई 2022 को कोर्ट ने स्पष्ट जवाब तलब किया। वहीं 10 अगस्त 2021 के उक्त आदेश की जानकारी आज तक रिट कोर्ट को जवाबी हलफनामा दाखिल कर नहीं दी गई है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि प्रथम²ष्टया रिट कोर्ट के 18 दिसंबर 2020 के आदेश का अनुपालन न किए जाने का मामला बनता है। इसके साथ ही कोर्ट ने अमित मोहन प्रसाद के अनुपालन शपथ पत्र को भी खारिज कर दिया है।

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