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गाजीपुर में रिहायशी इलाकों में पहुंचा बाढ़ का पानी, गंगा गोमती के तटवर्ती दर्जनों गावों पानी में डूबे

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. बीते 1 सप्ताह से तेजी से बढ़ रही गंगा और गोमती नदी का जलस्तर शनिवार को भी बढ़ता रहा। हालांकि शनिवार को पानी के बढ़ाव की गति में कमी देखने को मिली। दोनों नदियों का बढ़ता हुआ जलस्तर शनिवार को क्षेत्र के दर्जनों बाढ़ प्रभावित गांवों के रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर गया। जिसके कारण एक गांव से दूसरे गांव को जोड़ने वाले दर्जनों संपर्क मार्ग डूब गए। साथ ही दर्जनों घरों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। इससे क्षेत्र के तटवर्ती गांवों में दहशत का माहौल है।

यह है गोमती नदी की बाढ़ का हाल है

गोमती की बाढ़ से प्रभावित खरौना, सिधौना, गौरी, गौरहट, गोरखा और तेतारपुर आदि गांव के तटवर्ती इलाकों की फसल लगभग पूरी तरह डूब गई है। सैकड़ों बीघे की लाखों रुपए मूल्य की फसल, बाढ़ की भेंट चढ़ चुकी है। इन गांवों में दर्जनों घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। ये लोग अपने सामानों को लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर गए हैं। सिधौना गांव स्थित निषाद बस्ती चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिर गई है। हर तरफ त्राहि-त्राहि मची हुई है।

यह है गंगा नदी की बाढ़ का हाल

गंगा नदी की बाढ़ से प्रभावित कुसही, हथौड़ा, पटना, फुलवारी, जेवल, देवचंदपुर, दूबैठा, नारीपचदेवरा, चकेरी, मझारी, रामपुर माझा आदि गांव में भी गंगा की बाढ़ का पानी घुस चुका है। यहां भी दर्जनों घर बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। बाढ़ प्रभावित घरों के लोग अपने मवेशियों और सामानों के साथ ऊंचाई की तरफ जाने लगे हैं।

बाढ़ के पानी में डूबे दर्जनों मार्ग

बाढ़ प्रभावित गांव में निचले इलाकों के दर्जनों मार्ग पानी में डूबते जा रहे हैं। जिससे कई गांवों का एक दूसरे से संपर्क कट गया है। लोगों को वैकल्पिक दूसरे रास्तों से लंबी दूरी तय कर, मुख्य मार्ग तक आना जाना पड़ रहा है। कुछ स्थानों पर आवागमन के लिए प्रशासन ने नाव की व्यवस्था की गई है। वहीं कुछ स्थानों पर तटवर्ती इलाकों के लोग अपनी निजी नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं।

बाढ़ प्रभावित गांवों में शौच और पशुओं के चारे की समस्या

गंगा और गोमती नदी की बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र के दर्जनों गांवों में ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी समस्या शौच और पशुओं के चारे की खड़ी हो गई है। आम तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच करते हैं। लेकिन सभी खुले मैदान और खेतों में बाढ़ का पानी भरे होने के कारण, गांव के सीवेज सिस्टम में भी बहाव नहीं रह गया है। जिससे कई लोग शौचालय का भी प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। लोगों को निजी नावों में बैठकर, शौच के लिए ऊंचाई वाले सूखे क्षेत्रों में जाना पड़ रहा है।

उप जिलाधिकारी ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि शनिवार की दोपहर से गंगा और गोमती के जलस्तर के बढ़ने की गति बहुत धीमी हो गई है। उम्मीद है कि जल्द ही दोनों नदियों का जलस्तर स्थिर हो जाएगा। फिर भी प्रशासन की नजर बाढ़ की स्थिति पर बनी हुई है। अभी बाढ़ प्रभावित तटवर्ती गांवों के रिहायशी इलाकों में बहुत समस्या नहीं शुरू हुई है। लेकिन अब इससे ज्यादा पानी बढ़ेगा, तो समस्या गंभीर होने लगेगी।

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