Today Breaking News

बलिया में अचानक ही तेज आवाज से धंसने लगी जमीन, अंधेरे में लोग घर छोड़कर भागने लगे

गाजीपुर न्यूज़ टीम, बलिया. बलिया में गंगा में बाढ़ का नजारा देखकर लोगों का दिल दहल जा रहा है। बाढ़ की वजह से लोग अपनी मेहनत की कमाई गंगा में समाते देखकर सिर्फ अफसोस ही कर पा रहे हैं। लगातार बाढ़ का पानी घरों को दावानल की तरह निगल रहा है और लोग बेबस होकर सिर्फ जिंदगी की तबाही का मंजर देख रहे हैं।  

बैरिया के सेमरिया का डेरा गांव के सामने गंगा के किनारे बुजबुजिया कटान बस्ती। यही कोई शुक्रवार को शाम साढ़े आठ बजे होंगे। राधाकिशन यादव, जगदीश यादव, रामाशीष यादव, सुरेंद्र यादव, लालू यादव और जद्दू यादव अपने घर में भोजन करने की तैयारी में थे। बिजली नहीं होने के कारण पूरी बस्ती अंधेरे के आगोश में थी। इसी बीच अचानक गंगा मेें लहरें उठनें लगीं। तेज आवास के साथ जमीन धंसने लगी। उनका परिवार सहम गया, तभी बस्ती में शोर होने लगा कि गंगा में कटान हो रहा है, भागो... यह सुनकर हर कोई ईश्वर को याद करने लगा।

इस तरह जिंदगी मुश्किल के भंवर में फंस गई। सभी बदहवास हो गए। उन्हें एकदम सूझ नहीं रहा था कि वह अंधेरे में अपनों को कैसे बचाएं। हर कोई अपने सामान को समेटने लगा। उधर गंगा तेजी से कटान कर रहीं थीं। एक एकड़ भूमि पलक झपकते ही लहरों में समा गई। इस भयावह मंजर के बीच हर कोई सुरक्षित निकलने की जद्दोजहद करने लगा। पल भर में सब कुछ बदल गया। उपजाऊ भूमि गंगा में अनवरत समाहित होती रही। कटान बस्ती के समीप आ गया, वह तबाही से सिर्फ 50 मीटर ही दूरी पर थे। आधा किलोमीटर दूरी तक कटान हुआ, जो दो घंटे तक यूं ही चलता रहा। बस्ती के तीन सौ लोगों ने पूरी रात जागकर गुजारी। वह सभी लोग गृहस्थी के सामानों को सुरक्षित करने की कोशिश करते दिखाई पड़े।

गंगा में बह गए 51 पीपे : गंगा के पचरुखिया घाट पर रखा 51 पीपा शनिवार को सुबह तेज लहरों के बीच बह गया। हालांकि वह थोड़ी दूरी पर मिल गया, लेकिन घटना के चलते लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों में हड़कंप मच गया। निर्माण खंड के तीन इंजीनियर इसे खोजने के लिए लगा दिए गए। अधीक्षण अभियंता सीपी गुप्ता ने बताया कि घटना की जानकारी उन्हें तब मिली, जब पीपा खोजकर वापस घाट पर वापस लाया गया। मोटर बोट की मदद से प्रक्रिया को एक घंटे में पूरा किया गया। इसके लिए जूनियर इंजीनियरों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। बता दें कि पीपों की आपूर्ति प्रयागराज मेें विभाग से होती है। पानी जब घटाव पर होता है तो इसे आवागमन सुचारू के लिए लगा दिया जाता है। पानी बढ़ते ही उसे सुरक्षित स्थान पर रख दिया जाता है।

सूरज की रोशनी में दिन, लेकिन रात में ढिबरी भी मयस्सर नहीं : बाढ़ लोगों को परेशान कर रहा है। बादिलपुर, पोखरा, बाबू बेल, सुनार टोला, रामगढ़, बनिया टोला, सुघरछपरा, दुबेछपरा, गोपालपुर, उदई छपरा व प्रसाद छपरा समेत 50 से अधिक गांव के लोग पानी से घिर गए हैं। ग्रामीणों की मानें तो दिन तो किसी तरह सूरज की रोशनी में गुजर जा रहा है, लेकिन रात में ढिबरी भी मयस्सर नहीं हो रहा है। लोग सड़क के किनारे बदहाल जिंदगी जीने को विवश हैं। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। अब पानी गांवों में घुसकर तबाही मचा रहा है। इसके चलते लोगों के सामने रहने-खाने की समस्या खड़ी हो गई है।

विपदा का दंश पीड़ितों की जुबानी

बहुत सारे परिवार अपने सामान व मवेशियों के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग-31 के दुबे छपरा पर शरण लिए हैं। खाना बनाने के लिए जो लकड़ी इकट्ठा किए थे, वह पानी में डूब गया है। बच्चों के लिए रोटी भी नहीं मिल रही है। -  शंभू नाथ, गोपालपुर

गांव में बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है, लेकिन प्रशासन ने वैकल्पिक रोशनी की व्यवस्था नहीं की है। नाव भी नहीं है ताकि लोग सामानों को बाहर से खरीद कर ला सकें। किसी की तबीयत खराब होने पर समस्या बढ़ जाती है। - अक्षय चौधरी, उदई छपरा

अभी तक प्लास्टिक का एक टुकड़ा भी प्रशासन ने उपलब्ध नहीं कराया है। हम लोग इस चिलचिलाती धूप में रह रहे हैं। अपने बच्चों को सिर छुपाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इस दिश में पहल करनी चाहिए। -- वीरेंद्र पाल, उदई छपरा

आखिर कब तक हम बाढ़ का दंश झेलते रहेंगे। गांव में बिजली की सप्लाई बंद है। प्रशासन की तरफ से मिट्टी के तेल की भी व्यवस्था नहीं कराई गई है। आखिर कैसे उनकी जिंदगी चलेगी। कोई सुनने वाला नहीं है। -- हरेराम चौधरी, उदई छपरा

प्रति घंटे एक सेंटीमीटर बढ़ रहा जलस्तर, बंधा पर डाली जा रही मिट्टी

मझौवा में गंगा के जलस्तर में शनिवार को भी वृद्धि हुई। केंद्रीय जल आयोग गायघाट केंद्र के अनुसार दोपहर 12 बजे गंगा का जलस्तर 59.17 मीटर दर्ज किया गया। प्रति घंटा एक सेंटी मीटर की रफ्तार से बढ़ोत्तरी हो रही है। बाढ़ खंड के अफसरों ने एनएच-31 के दक्षिण बना सुरक्षात्मक बंधा को मिट्टी डालना शुरू किया है। खाली स्थल को भरने की कोशिश चल रही है, ताकि पानी सड़क को पार नहीं कर सके। लोगों का कहना है समय रहते सुरक्षात्मक उपाय किए गए होते तो यह स्थिति देखने को नहीं मिलती। मिट्टी लदे ट्रैक्टरों के चलते रामगढ़ में दिन भर जाम की स्थिति बनी रही। लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

'