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1 कमरा, 150 छात्र, 8 क्लासेज और 8 ब्लैकबोर्ड - Ghazipur News

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर के सैदपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय का एक कमरा…इस एक कमरे में 388 बच्चों का रजिस्ट्रेशन है। जगह न होने के कारण क्लास में 100 से डेढ़ सौ बच्चे ही आते हैं। एक से 8 तक की कक्षाओं के लिए बने इस कमरे में जब पढ़ाई शुरू होती है तो एक अलग ही माहौल दिखता है। यहां जब टीचर 8वीं क्लास के बच्चों को पढ़ाते हैं तो 1 से 7 तक के बच्चे चुप हो जाते हैं।

आइए अब आपको स्कूल के अंदर ले चलते हैं…

स्थान: सैदपुर का उच्च प्राथमिक विद्यालय। इस विद्यालय के और क्लास जर्जर हो चुके हैं। यहां अब सारी क्लास एक ही कमरे में लग रही हैं।

समय: सुबह 8.30 बजे, दिन: शनिवार

स्कूल के अंदर 18 बाई 35 का एक कमरा है। घंटी बजने के बाद बच्चे उसी क्लास में बैठना शुरू होते हैं। लगभग 80 बच्चे किसी तरह से बैठ जाते हैं। क्लास के अंदर 8 ब्लैक बोर्ड लगे हैं। सबके ऊपर क्लास का नाम लिखा हुआ है। जो बच्चा जिस क्लास का है अपने ब्लैक बोर्ड के सामने बैठ जाता है। कुछ देर बाद एक घंटी और बजती है। क्लास के अंदर 8 टीचर आती हैं। बच्चे टीचर को नमस्ते बोलते हैं। 1-1 करके टीचर बच्चों की अटेंडेंस लेती हैं। उसके बाद बच्चों से किताब निकालने के लिए कहती हैं। सभी बच्चे बैग से किताब निकालते हैं।

क्लास में बच्चे गोद में बैग रखकर बैठे हुए हैं। जगह न होने के कारण अपनी जगह से हिल तक नहीं पा रहे हैं। जब उनको दिक्कत होती है तो वो खड़े हो जाते हैं। कुछ बच्चे अपने साथी के पैर के ऊपर पैर रखकर बैठे हुए हैं। क्लास 8 की टीचर बच्चों के बीच आकर पढ़ाना शुरू करती हैं।

क्लास 7 की टीचर जमीन पर बैठकर बच्चों की कॉपी चेक रही हैं। वहीं, क्लास 6 की टीचर बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर बुलाकर सवाल हल करवा रही हैं। बाकी क्लास के बच्चे शांत बैठे हुए हैं। वहीं कुछ बच्चे क्लास के बाहर खड़े हुए हैं। 20 मिनट पूरे होने के बाद क्लास 5, 4 और 3 की पढ़ाई शुरू होती है। तब क्लास 8, 7 और 6 के बच्चे अपना कॉपी में काम कर रहे हैं। उनकी टीचर वहीं पास में बैठी हुई हैं। क्लास 1 और 2 के बच्चे आर्ट बना रहे हैं।

पूछने पर टीचर रीता (बदला हुआ नाम) बताती हैं, हम लोग रोज ऐसे ही बच्चों को पढ़ाते हैं। एक साथ पढ़ाएंगे तो बच्चों को कुछ समझ नहीं आएगा। इसलिए क्लास को 20-20 मिनट के गैप में पढ़ाते हैं। दिक्कत तो बहुत होती है लेकिन हम लोग कर भी क्या सकते हैं। पढ़ाने नहीं आएंगे तो एक्शन हो जाएगा।

लड़कियों को दिक्कत न हो इसलिए लड़कों को बाहर बैठाया

कमरे के बाहर भी एक क्लास चल रही है। इसमें क्लास में ज्यादातर लड़के बैठे हुए हैं। पूछने पर पता चला कि क्लास में लड़कियां ज्यादा हैं, उनको दिक्कत न हो इसलिए लड़कों को बाहर बैठाया हुआ है। यह पूरी क्लास जुगाड़ से चल रही थी। ब्लैक बोर्ड को ईंट के बीच में फंसा कर रोका गया था। बच्चे अपनी गोद पर कॉपी रखकर लिख रहे थे। 20 बच्चों को पढ़ाने के लिए 3 टीचर बैठे थे, क्योंकि उनके पास पढ़ाने के लिए दूसरे बच्चे नहीं थे।

पीपल के पेड़ के नीचे चल रही है 20 लड़कियों की क्लास

क्लास के बगल में एक पीपल का पेड़ लगा हुआ है। उस पेड़ के नीचे लगभग 20 लड़कियों की क्लास चल रही है। एक टीचर बच्चों को बोल-बोलकर कुछ लिखवा रहे हैं। पूछने पर वो बताते हैं क्लास के अंदर जगह नहीं थी इसलिए ये लोग यहां बैठी हुई हैं। पेड़ पर बच्चियों के बैग टंगे हुए थे। शिक्षक ने बताया, जब तक मौसम ठीक है…पढ़ाई चल रही है। बारिश के दिनों में बच्चियों को वापस कर दिया जाता है।

स्कूल में बाथरूम नहीं है, शौच के लिए घर जाना पड़ता है

छात्र नवीन ने बताया हम लोगों से कहा गया था कुछ दिन के बाद स्कूल सही हो जाएगा, लेकिन हुआ नहीं। वहीं छात्रा अनीता ने बताया यहां न क्लास है न ही बाथरूम। शौच के लिए वापस घर जाना पड़ता है। कई बार तो धूप में खड़े होकर हम लोग पढ़ाई करते हैं। छात्रा रेशमा ने बताया यहां सब जगह सीमेंट और ईंट रखी हुई है। जिसकी वजह से हम लोगों के कपड़े गंदे हो जाते हैं। कई बार तो हमारे खाने में भी गंदगी चली जाती है।

क्लास में जगह नहीं तो खेलने लगते हैं बच्चे

क्लास से बाहर सीमेंट मिलाने वाली मशीन रखी हुई है। जिसके साथ कुछ बच्चे खेल रहे हैं। पूछने पर एक छात्र ने बताया कि आज हमें क्लास में बैठने की जगह ही नहीं मिली। घर वापस जाएंगे तो पापा मारेंगे। इसलिए यहां खेल रहे हैं। जगह मिल जाएगी तो बैठ जाएंगे।

क्लास के लिए दो कमरों को खाली करवाया जा रहा है

मामले में BSA आलोक यादव ने बताया, परिसर स्थित दो अन्य कमरों को खाली करवाया जा रहा है। जिसे कुछ दिनों में विद्यालय से जोड़ दिया जाएगा। विद्यालय के जर्जर भवन का निर्माण फिर से शुरू करवाया जाएगा। इसके लिए एस्टीमेट तैयार कर लिया गया है। सारी चीजें पूरी होने के बाद सरकार को रिपोर्ट भेज दी जाएगी। तब तब के लिए दूसरी व्यवस्था की जा रही है।

 
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