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अखिलेश यादव को आखिर मिल ही गया न्‍योता, राहुल गाँधी को दिया धन्‍यवाद

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. राहुल गांधी की अगुवाई में निकल रही कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा एक अल्‍पविराम के बाद कल यानि तीन जनवरी को उत्‍तर प्रदेश से फिर शुरू हो रही है। इस यात्रा का निमंत्रण सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव को मिलने या न मिलने को लेकर पिछले कई दिनों से कयास लगाए जा रहे थे। सोमवार को एक ट्वीट के जरिए अखिलेश यादव ने खुद ही इन कयासों पर विराम लगा दिया है। उन्‍होंने एक तरह से न्‍योता मिलने की पुष्टि करते हुए राहुल गांधी को इसके लिए धन्‍यवाद दिया है। साथ ही उन्‍हें यात्रा के लिए शुभकामनाएं भी दी हैं लेकिन अखिलेश यात्रा में शामिल होंगे या नहीं इस पर सस्‍पेंस अभी भी बरकरार है।


अखिलेश यादव ने सोमवार को अपने आफिशियल ट्विटर हैंडल से समाजवादी पार्टी के पैड पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए लिखी एक चिट्ठी पोस्‍ट की। इस चिट्ठी में उन्‍होंने लिखा है- 'प्रिय राहुल जी, 'भारत जोड़ो यात्रा' में आमंत्रण के लिए धन्‍यवाद एवं 'भारत जोड़ो' की मुहिम की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं। भारत भौगोलिक विस्‍तार से अधिक एक भाव है, जिसमें प्रेम, अहिंसा, करुणा, सहयोग और सौहार्द ही वो सकारात्‍मक तत्‍व हैं, जो भारत को जोड़ते हैं। आशा है ये यात्रा हमारे देश की इसी समावेशी संस्‍कृति के संरक्षण के उद्देश्‍य से अपने लक्ष्‍य को प्राप्‍त करेगी। आपका अखिलेश।'

बता दें कि इसके पहले कांग्रेस ने जब अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती और रालोद अध्‍यक्ष जयंत चौधरी सहित तमाम विपक्षी नेताओं को यात्रा का न्‍योता भेजे जाने का दावा किया था तो अखिलेश यादव ने इस दावे का खंडन कर दिया था। अखिलेश ने कहा था कि उन्‍हें कोई न्‍योता नहीं मिला है। यही नहीं उन्‍होंने कांग्रेस और बीजेपी को एक जैसी पार्टी बताते हुए दोनों पर हमला भी बोला था। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा था कि वह यात्रा की भावना के साथ हैं। अखिलेश को अब जब न्‍यो‍ता मिल गया है और उन्‍होंने राहुल गांधी को इसके लिए धन्‍यवाद भी दे दिया है तो अब देखने वाली बात यह है कि वह इस यात्रा में शामिल होते हैं या नहीं। 

क्‍यों कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रहे हैं अखिलेश 

अखिलेश ने जब भारत जोड़ो यात्रा का न्‍योता न मिलने का हवाला देते हुए कांग्रेस पर हमला बोला था तो लोग पूछने लगे थे कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर दो लड़कों की जोड़ी बनाने वाले अखिलेश ने अचानक से राहुल से इतनी दूरी क्‍यों बना ली है? वो भी तब जब देश में 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्षी लामबंदी और मोर्चाबंदी की बातें हो रही हैं। 

अब जब उन्‍होंने कांग्रेस के न्‍योते के लिए राहुल को धन्‍यवाद दे दिया है तो भी यह सवाल बरकरार है। सपा की राजनीति को नजदीक से समझने वाले जानकारों का कहना है कि सपा अभी कांग्रेस से दूर रहने में ही अपनी भलाई मानती है। इसी वजह से इस यात्रा में साथ नहीं दिखना चाहती। कांग्रेस से दूर रहने की वजह शायद यह भी है यूपी में कांग्रेस का संगठन बेहद कमजोर है और सपा को 2017 के अनुभव से इतना साफ हो गया कि फिलहाल साइकिल और पंजे के साथ आने से कोई खास चुनावी फायदा नहीं मिलने वाला। लिहाजा कांग्रेस के साथ दिखकर अखिलेश कोई नया संदेश नहीं देना चाहते। 

शायद उन्‍हें यह भी आशंका है कि बीजेपी को एक बार फिर उनकी घेराबंदी का मौका मिल जाएगा। बता दें कि पिछले चुनावों में बीजेपी सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों को एक जैसी पार्टी और एक-दूसरे के साथ बताते हुए तंज कसते रही है। इसका खामियाजा भी सपा को उठाना पड़ा था इसलिए अब अखिलेश फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं।

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