गाजीपुर में हो रहा संरक्षित जीव साही का शिकार, क्लच वायर से बनाया जा रहा फंदा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सैदपुर क्षेत्र स्थित गंगा नदी के किनारे बड़े पैमाने पर संरक्षित जीव पॉर्कुपाइन (साही) का अवैध शिकार किया जा रहा है। इसके बाद इनके मांस को इसे खाने वाले लोगों और नगर के कुछ रेस्तरांओं में ₹3 सौ से ₹4 सौ प्रति किलो की दर से बेच दिया जा रहा है। जिसके कारण सैदपुर क्षेत्र स्थित गंगा नदी के किनारे अपने प्राकृतिक आवास से इस जीव के विलुप्त होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
गौरतलब है कि सैदपुर क्षेत्र स्थित गंगा नदी के किनारे झाड़ीदार टीले नुमा इलाकों में बड़े पैमाने पर संरक्षित जीव साही अपनी मांद बनाकर रहते हैं। जो रात में घास फूस और कंदमूल चरने के लिए बाहर निकलते हैं। क्षेत्र के आदिवासी समाज के लोग पहले से ही इसका शिकार करते आ रहे हैं। जो बहुत छोटे पैमाने पर होता था। लेकिन इन दिनों इनके मांस को कुछ रेस्तरांओं और होटलों में ₹300 से ₹400 प्रति किलो की दर से बेचा जाता है। जिन्हें रेस्तरां वाले ₹300 प्लेट की दर से खाने वालों को परोसते हैं।
शिकारी, क्लच वायर से बनाते हैं जानलेवा फंदा
शाही के मांस की मांग बढ़ने के कारण वर्तमान समय में इनका अवैध शिकार बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया गया है। शाम के समय में शिकारी इन जीवो की मांद के बाहर बाइक के क्लच और एक्सीलरेटर में प्रयुक्त होने वाले मजबूत वायर के प्रयोग से जानलेवा फंदा लगा देते हैं। रात के समय जैसे ही साही अपनी मांद से बाहर निकलता है, उन्हें यह जानलेवा फंदे जकड़ लेते हैं। अगले दिन सूर्योदय के पहले ही भोर में शिकारी घूमकर सभी फंदों को चेक करते हैं। यहां से फंसे हुए शाही का मांस बेचने के लिए शिकारी, उन्हें मौके पर ही मार डालते हैं। इसके बाद वह इसे लेकर चले जाते हैं।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची में संरक्षित है जीव
साही को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 4 के संरक्षित जीवों की श्रेणी में रखा गया है। इसके शिकार पर अधिनियम में 3 वर्ष की कैद, जिसे दोबारा उसी अपराध में पकड़े जाने पर 7 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है तथा ₹25 हजार जुर्माना का प्रावधान किया गया है। ताकि इन जीवों के अवैध शिकार पर रोक लगाकर, इन्हें संरक्षित किया जा सके। लेकिन वन विभाग की अनदेखी से शिकारियों द्वारा सैदपुर में इस संरक्षित जीव का अवैध शिकार बेधड़क किया जा रहा है।