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गाजीपुर में आस्था का केन्‍द्र है मां कामाख्‍या धाम, जुड़ी है अनुठी मान्यता

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर के गहमर गांव में स्थापित मां कामाख्या मंदिर के साथ कई रोचक धार्मिक प्रथाएं जुड़ी हुई है। मान्यता है कि फौजियों के इस गांव के हर वासिंदे के रक्षा का आर्शीवाद देवी कामाख्या ने दिया है और मां के आर्शीवाद के चलते ही आज तक यहा का कोई भी सैनिक सीमा पर शहीद नही हुआ है।

यहां के लोग परम्परागत रूप से मां कामाख्या को अपनी कुल देवी मानते आ रहे है। नवरात्रि में यहां दर्शन पूजन करने वालो का सैलाब उमड़ पड़ता है। इतना ही नहीं धार्मिक आस्था और विश्वास के चलते सूदूर बिहार और बंगाल प्रांत के देवी भक्त नवरात्रि के दिनों में मां कामाख्या का आर्शीवाद लेने इस मंदिर में आते है। मंदिर के पुजारी बताते है कि गंगा तट पर स्थापित मां कामाख्या देवी के मंदिर के बारे में कई ऐतिहासिक प्रथाएं प्रचलित है।



5 सदी पहले स्थापित हुआ था मंदिर

लगभग 5 सदी पहले स्थापित इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि सिकरवार क्षत्रिय वंश के राजाओं द्वारा अपनी कुलदेवी के रूप में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। लेकिन तत्कालिक राजवंश के समाप्त होने के बाद मंदिर जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच गया। बावजूद इसके देवी भक्तों और श्रद्धालुओं की आस्था और धार्मिक विश्वास में कोई कमी नहीं आया। जिसके चलते समय समय पर श्रद्धालुओं ने इस मंदिर का पुनःनिर्माण कर भव्य रूप प्रदान किया।

गांव से हजारों लोगों ने अपनी सेवा दी

कहते है कि संकट और विपदाओं से रक्षा करने वाली मां कामाख्या के धाम में मांगी गई मनोकामनाएं कभी अधूरी नहीं रहती।। मंदिर के पुजारी केदार पाण्डेय बताते है कि मां सबकी रक्षा तो करती है, लेकिन खास बात यही है की वर्षों से सेना में इस गांव से हजारों लोगों ने अपनी सेवा दी है। मगर कोई भी इस गांव से आज तक शहीद नहीं हुआ है।

दूर दूर से देवी भक्त यहां आते हैं

कई सदी प्राचीन इस देवी मंदिर के साथ लोगों की आस्था जुड़ी है कि यहां पर सच्चे मन से मांगी गई मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती है। यही वजह है कि दूर दूर से देवी भक्त और श्रद्धालु मां कामाख्या के दर्शन पूजन के लिए इस मंदिर में आते हैं। पूरे नवरात्र भर मंदिर के आसपास का नजारा मेले जैसा नजर आ रहा है।

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