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7 माह का बच्चा, 8KG वजन...पेट में 2KG का भ्रूण, डॉक्टरों ने 4 घंटे ऑपरेशन कर निकाला

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, प्रयागराज. प्रयागराज से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां 7 महीने के बच्चे के पेट से 2 KG का भ्रूण निकाला। डॉक्टरों ने 4 घंटे ऑपरेशन कर भ्रूण को निकाला। बच्चा अभी सुरक्षित है और डॉक्टरों की निगरानी में है। ऑपरेशन के वक्त बच्चे का वजन 8 किलो था।

बच्चे का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर डी. कुमार ने बताया, बच्चा प्रतापगढ़ के कुंडा का रहने वाला है। बच्चे के पेट में दर्द रहता था। इसके बाद परिजन OPD में लाए थे। बच्चे का पेट काफी फूला था। उसका वजन 8KG था। उसके पेट की CT स्कैन कराई गई। जांच में भ्रूण का पता चलते ही ऑपरेशन किया गया। इसके बाद उसका वजन 6KG हो गया है। चिकित्सकीय भाषा में इसे फीटस इन फीटू कहते हैं। देश में करीब 200 केस मिले हैं।

भ्रूण के अंदर तैयार होने लगता है दूसरा भ्रूण

डॉ. डी कुमार ने बताया, कुछ केस में मां के गर्भ में पल रहे भ्रूण के अंदर ही दूसरा भ्रूण तैयार होने लगता है। 7 महीने के बच्चे मनु का जन्मजात रूप से पेट फूला हुआ था। पेट फूलने से उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी। बच्चे को भूख भी नही लगती थी। उसका वजन लगातार कम हो रहा था। परेशान पिता ने कुछ दिन पहले बच्चे को लेकर लखनऊ के SGPGI में दिखाया। लेकिन पैसों के कमी के चलते वहां बच्चे का इलाज नहीं करा पाए।

पहले डॉक्टरों को लगा बच्चे के पेट में ट्यूमर है

पड़ोसियों के सुझाव पर पिता ने प्रयागराज के सरोजनी नायडू बाल रोग चिकित्सालय में दिखाया। जहां पहली बार डॉक्टरों ने बच्चे के पेट में ट्यूमर जैसा दिखाई दिया। लेकिन जब CT स्कैन कराया गया तो बच्चे के पेट में भ्रूण दिखा। शुक्रवार को डॉ. डी कुमार की अगुवाई में डॉ. नीतू और डॉ. अरविंद यादव की टीम ने करीब चार घंटे का ऑपरेशन करके भ्रूण को निकाला।

मां के पेट में बनता तो जुड़वा बच्चे होते

डॉ. डी. कुमार ने बताया कि दो स्पर्म और दो ओवम के आपस में मिलकर दो जाइगोट बनाने से इस तरह की परिस्थिति बनती है। पहले जाइगोट से बच्चा बनता है और दूसरा जाइगोट बच्चे के भीतर चला जाता है। जिससे पेट में भ्रूण बनने लगता है। उन्होंने बताया कि यही दूसरा जाइगोट अगर बच्चे के शरीर से बाहर यानी मां की पेट में बनता तो जुड़वा बच्चे का रूप धारण कर लेता।

जन्म के बाद ही हो गई थी मां की मौत

डॉ. डी. कुमार ने बताया कि 7 महीने पहले मनु की मां की डिलीवरी स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में हुई थी। उसी समय बच्चे के पेट में सूजन था, लेकिन लोग समझ नहीं सके। प्रसव के 9 दिन बाद ही मां की मौत हो गई। परिवार के अन्य सदस्य 7 माह से बच्चे की देखभाल कर रहे थे।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कीर्तिका अग्रवाल ने बताया कि इस तरह के केस बहुत ही रेयर होते हैं। दरअसल, इसमें बच्चे के पेट में ही बच्चा बन रहा होता है। जब मां के गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे होते हैं तो कुछ इस तरह के केस आते हैं। जिसमें एक भ्रूण, दूसरे भ्रूण के अंदर बढ़ने लगता है। बच्चे के अंदर जो दूसरा बच्चा होता है। वह उसकी जुड़वा होता है।

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