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उत्तर प्रदेश में पहली बार 2 नायब तहसीलदार बनेंगे आईएएस, ये अधिकारी पाएंगे प्रमोशन

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक सेवा के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब दो नायब तहसीलदार पद पर भर्ती हुए अधिकारी आईएएस बनेंगे. प्रमोशन के लिए 21 अगस्त को चयन समिति की बैठक होगी. इस बैठक में दो अधकारियों के नाम पर प्रमुख रूप से चर्चा की जाएगी. ये दो अधिकारी उमाकांत त्रिपाठी और नरेंद्र सिंह हैं. ये दोनों नायब तहसीलदार के पद पर भर्ती हुए थे. बताया जा रहा है कि इस बैठक में शामिल होने संघ लोक सेवा आयोग और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि भी लखनऊ आएंगे.

चयन सूची-2022 के तहत उत्तर प्रदेश कोटे से आईएएस बनने के लिए 22 पद रिक्त हैं. इन पदों को भरने के लिए 2004 और 2006 बैच के पीसीएस अधिकारियों वरीयता दी जाएगी. वरिष्ठता क्रम के आधार पर अधिकारियों का चयन किया जाएगा. हालांकि घोटाले के आरोपों और विभिन्न जांचों में फंसे होने के कारण कुछ अधिकारियों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा. इनमें एक अधिकारी भर्तियों के घपले में फंसे हैं. वहीं 5 के खिलाफ जांच चल रही है.

जिनके खिलाफ चल रही जांच, उनका पत्ता कटा

माना जा रहा है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप है और जांच चल रही है, उनको इसमें वरीयता नहीं मिलेगी. फिलहाल कुल 17 अधिकारियों को ही आईएएस कैडर मिल सकेगा. इन 17 अधिकारियों में उमाकांत त्रिपाठी और नरेंद्र सिंह भी शामिल हैं. इन दोनों को 2006 में पीसीएस कैडर में पदोन्नति मिली थी. तब से यह दोनों राज्य में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं देते चले आ रहे हैं.

इन अधिकारियों के नाम पर होगी चर्चा, लिस्ट में है नाम

बात अगर नरेंद्र सिंह की करें तो यह वर्तमान में अपर आयुक्त परिवहन व मुख्य महाप्रबंधक, उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के पद पर तैनात हैं. वहीं उमाकांत त्रिपाठी बांदा जिले में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के पद पर तैनात हैं. वहीं प्रमोशन पाने वाले अधिकारियों में भीष्म लाल, हरीश चंद्रा, श्रीप्रकाश गुप्ता, प्रभु नाथ, अंजु कटियार, प्रीति जायसवाल, रितु सुहास, संतोष कुमार वैश्य, शत्रोहन वैश्य, धर्मेंद्र सिंह इत्यादि का नाम है.

वहीं नियम है कि जिन अधिकारियों की उम्र 56 साल से अधिक नहीं है और इस कैडर में आठ साल की सेवा पूर्ण कर चुके हैं, उनके नाम प्रोन्नति के लिए भेजे जा सकते हैं. नरेंद्र सिंह और उमाकांत त्रिपाठी, ये दोनों अफसर इस अर्हता को पूर्ण करते हैं. इसलिए उनका नाम भी डीपीसी के लिए भेजा जाएगा.

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