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बलिया जिले में 2005 से 2023 तक तैनात 31 चकबन्दी अधिकारियों व कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज; प्रथम दृटया दोषी

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, बलिया. बलिया के बैरिया तहसील क्षेत्र अंतर्गत दलन छपरा गांव के बहुचर्चित चकबंदी प्रकरण में कुल 31 अधिकारियों व कर्मचारियों पर चकबंदी आयुक्त उत्तर प्रदेश के आदेश के क्रम में कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ।बन्दोबस्त अधिकारी आरके सुरेश कुमार की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
दलन छपरा निवासी सुशील पांडेय के शिकायती पत्र में चकबंदी में धांधली कुट रचित दस्तावेजों से दूसरे की जमीन दूसरे के नाम करना, सहित कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। जिसमें आयुक्त चकबंदी उत्तर प्रदेश के आदेश पर भूमि बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी राधेश्याम, दयानंद सिंह चौहान, धनराज यादव, अनिल कुमार, ओंकारनाथ, अवधेश कुमार, चकबंदी अधिकारी राजेश कुमार, कमलेश कुमार शर्मा, बरमेश्वर नाथ उपाध्याय, अमरेश चंद्र, विनय कुमार श्रीवास्तव, उमाशंकर,प्रभात कुमार पांडेय व शिव शंकर प्रसाद सिंह,सहायक चकबंदी अधिकारी पुलीराम, हरिशंकर यादव, ओम प्रकाश श्रीवास्तव, जयदेव,चकबंदीकर्ता जुगेश लाल, संत राम, राजेश कुमार पुत्र राम निहोर, राजेश कुमार पुत्र रामनाथ, राजेश कुमार, शशिकांत,केदारनाथ सिंह के अलावा चकबन्दी लेखपाल सुरेंद्र चौहान, अनिल गुप्त, आयुष कुमार सिंह, ललन यादव, अवितेश उपाध्याय, कन्हैयालाल का नाम शामिल है।

चकबन्दी आयुक्त ने इस मामले को गम्भीरता से लिया था

कुल 31 लोगों के खिलाफ प्राथमिक की दर्ज हुई है।उक्त मुकदमे की विवेचना कर रहे उप निरीक्षक राज कपूर सिंह ने बताया कि प्रकरण मे जांचोंपरान्त आगे की कार्रवाई नियमानुसार की जाएगी। चकबन्दी आयुक्त ने प्रकरण को गंभीरता से लिया था। शिकायतकर्ता सुशील पांडेय के शिकायती पत्र को चकबन्दी आयुक्त ने इस मामले को गम्भीरता से लिया था।

चकबन्दी प्रक्रिया मे शिथिलता सहित कई खामी पाई थी

वहीं दो सदस्यी टीम से जांच कराया था।जांच रिपोर्ट के आधार पर कई खामी पाया था।जिसमें सन् 2005 से सन् 2023 तक तैनात 31 बन्दोबस्त अधिकारी से लेकर लेखपाल को प्रथम दृटया दोषी पाया।जिसमें भाग 23 का फटना,कुट रचित दस्तावेज के आधार पर जमीनों में हेर फेर चकबन्दी प्रक्रिया मे शिथिलता सहित कई खामी पाई थी।

शिकायतकर्ता सहित पीड़ित किसानों ने कहा

शिकायतकर्ता सुशील पाण्डेय ने कहा कि हमारे गांव दलनछपरा में भूमाफियाओं और चकबन्दी अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत से इतना बड़ा फ्राड हुआ है कि भरोसा खत्म हो गया।मेरे जैसा आदमी 30 दिन चकबन्दी विभाग का दरवाजा पीटा है और मैं गया हूं। 30 दिनों में मेरा सुनने‌ वाला कोई नहीं मिला।उसके बाद मैं सीधे मंडलायुक्त के यहां गया।

उन्होंने मुझे भरोसा दिलाया।कहा कि मैं तो जीएस की 80 एकड़ भूमि के विषय में जानकारी लेने चकबन्दी विभाग गया था।लेकिन वहां पता चला कि मेरी ही भूमि को मतरूक दिखाकर फ्राड कर लिया गया है।पीड़ीत किसान ने बताया कि मैं इंतखाप लेकर चकबन्दी आफिस गया और कहा कि साहब मेरा खेत कहां है।

मौका मुआयना के लिए आवेदन दिया, नहीं हुई सुनवाई

मुझे यह जबाब दिया गया कि तुम्हारा खेत नहीं है तुम अपना खेत ढ़ूढो।एक अन्य पीड़ीत किसान ने बताया कि मेरी जमीन 10 कट्ठा है लेकिन 30 वर्षों से मैं पांच कट्ठे ही बुआई कर रहा हूं।अपनी पांच कट्ठे जमीन के लिए बार बार चकबन्दी कार्यालय जाता हूं। मौका मुआयना के लिए आवेदन दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
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