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जज साहब रहम कीजिए... सजा से परेशान बाहुबली मुख्‍तार ने कोर्ट से लगाई गुहार

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. कभी पूर्वांचल से लेकर पूरे यूपी में जिस बाहुबली की तूती बोलती थी आज उसी मुख्‍तार अंसारी की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश MP/MLA सिविल जज (सीनियर डिविजन) उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट ने मुख्‍तार को रूंगटा परिवार को धमकाने में मुख्तार अंसारी को दोषी पाया और से पांच साल छह माह की कैद के साथ 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा से दंडित किया। यह सजा सुनने के बाद बुरी तरह परेशान नज़र आ रहे मुख्‍तार अंसारी ने जज से गुहार लगानी शुरू कर दी। 

अदालत ने जैसे ही सजा सुनाई मुख्‍तार अंसारी ने दोनों हाथों से माथे को पकड़ लिया और सिर झुकाकर बैठ गए। इसके बाद बाहुबली ने जज से गुहार लगाई, 'जज साहब इतना रहम कर दीजिए कि मेरी सभी सजाएं एक साथ चलें।' हालांकि अदालत ने जो फैसला सुनाया उसमें यही कहा है कि जेल में बिताई गई अवधि सजा की अवधि में मुख्‍तार की सजा में समायोजित की जाएगी। बता दें कि मुख्‍तार अंसारी के पुराने मामलों में अब लगातार फैसले आ रहे हैं।

पिछले 15 महीने में सात सजाएं मिल चुकी हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को वाराणसी की अदालत ने रूंगटा परिवार को धमकी देने के मामले में मुख्‍तार को सजा सुनाई। इस दौरान बाहुबली को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए जोड़ा गया था। सजा सुनाई जाने के बाद मुख्‍तार को तन्‍हाई बैरक में भेज दिया गया। 

चर्चित कोयला कारोबारी और विहिप के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नंदकिशोर रूंगटा के 22 जनवरी 1997 को अपहरण के बाद उनकी पत्नी ने सीबीआई जांच के लिए आवेदन किया था, जो मंजूर कर लिया गया। इसे लेकर रूंगटा परिवार पैरवी कर रहा था।

इस बीच पांच नवंबर 1997 को मुख्तार अंसारी का धमकी भरा फोन आया। कहा कि संभल जाओ, पैरवी करना बंद कर दो। तुम लोग पुलिस में, कोर्ट में या सीबीआई में शिकायत करना बंद कर दो। नहीं तो तुम लोगों को बम से उड़ा दिया जाएगा। तुम्हारा घर बम से उड़ा दिया जाएगा। पुलिस को खबर मत करना। इसके बाद महावीर प्रसाद रूंगटा ने 13 नवंबर को तत्कालीन डीआईजी से मिलकर बचाव की गुहार लगाई। डीआईजी के आदेश पर एक दिसंबर 1997 को भेलूपुर पुलिस ने मुख्तार अंसारी पर केस दर्ज किया था। उसके बाद से कार्रवाई शुरू हुई।

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