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नाना पाटेकर का रसोइया 'मुर्दा' संतोष मूरत सिंह 108वीं बार हिरासत में, गले में टांग रखी 'मै जिंदा हूं' की तख्ती

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. वाराणसी के चौबेपुर थानाक्षेत्र छितौनी गांव निवासी 'मुर्दा' संतोष मूरत सिंह को शुक्रवार को 108वीं बार हिरासत में ले लिया है। संतोष मूरत सिंह खुद को दस्तावेज में खुद को जिन्दा करवाने के लिए पिछले 21 सालों से लड़ाई लड़ रहा है। प्रधानमंत्री के वाराणसी दौरे को देखते हुए पुलिस ने उसे हिरासत में लिया था। वाराणसी में जब भी कोई वीवीआईपी मूवमेंट होता है तो संतोष को हिरासत में लिया जाता है क्योंकि यह कार्यक्रम स्थल पर पहुंच कर हंगामा करता है।
नाना पाटेकर का रसोइया था संतोष
संतोष मूरत सिंह को साल 2000 में छितौनी में आंच फिल्म की शूटिंग करने पहुंचे थे। यहां संतोष ने उन्हें खाना बनाकर खिलाया था। इससे खुश नाना पाटेकर उसे अपने साथ मुंबई ले गए। वहां उसने 2003 में दलित युवती से शादी कर ली। शादी के बाद घर वालों ने विरोध किया पर वो नहीं माना। इसी बीच मुंबई में हुई एक घटना का फायदा उठाते हुए उसके पट्टीदारों ने उसे वाराणसी में अभिलेखों में मृत दिखाकर उसकी जमीन अपने नाम चढ़वा ली। इस बात की जानकारी जब संतोष को लगी तो वह गांव पहुंचा पर उसे उसके घर में पनाह नहीं मिली, जिसके बाद कई साल तक उसने सरकारी कार्यालयों के धक्के खाए।
दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी किया प्रदर्शन
संतोष मूरत सिंह ने इसके बाद अपनी आवाज उठाने के लिए और खुद को दस्तावेजों में जिंदा करने के लिए संतोष ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। अन्ना हजारे के प्रदर्शन में भी उन्होंने अपनी आवाज बुलंद की पर वह जिंदा नहीं हो पाया। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी से सासंद बने तो वह वाराणसी आ गया और यहां प्रदर्शन शुरू कर दिया।
कई बार राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, सांसद, विधायक चुनाव में किया नामांकन
खुद को जिंदा करने की जद्दोजहद में संतोष ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सांसद, विधायक और कई अन्य चुनावों में नामांकन किया पर उसकी दाल नहीं गली और उसका नामांकन हमेशा रद्द कर दिया गया। दस्तावेजों में वह खुद को जिंदा नहीं कर पाया।
साल 2019 में डीएम ने दस्तावेजों में चढ़वाया था नाम
साल 2019 में तत्कालीन जिलाधिकारी वाराणसी सुरेंद्र सिंह ने संतोष को अभिलेखों में जिंदा करवाया था। उसके घर पहुंचकर उसका नाम घर पर चढ़वाया था और कब्जाधारकों पर कार्रवाई की बात कही थी पर अब संतोष अपनी सारी जमीन पर अपना नाम चढ़वाना चाहता है। उसकी जमीन को चार बार बेचा गया था। उसे अपनी साढ़े 12 एकड़ जमीन वापस चाहिए।
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