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गाजीपुर जिले की मस्जिदों में पढ़ी गई​​​​​​​ माह-ए-रमजान की अंतिम जुमा...अदा हुई अलविदा की नमाज

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले में रमजान के अलविदा जुमा की नमाज नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में शुक्रवार को अदा हुई। मस्जिदें रोजेदारों से भरी थी, रमजानउल मुबारक के जाने का गम उनके चेहरे से साफ दिख रहा था। दिलदारनगर की जामा मस्जिद, फखरिया, सुलेमानिया, कादिरी मस्जिद, उसिया के फाटक वाली मस्जिद, जामा मस्जिद, रकसहा, बहुआरा, सहित कुर्रा, चित्रकोनी, मिर्चा आदि गांव में नमाज अदा की गई। आखिरी जुमे पर काबुलियत और गुनाहों की माफी मांगी गई।
बता दें कि अलविदा जुमा के अवसर पर उपस्थित नमाजियों को संबोधित करते हुए उसिया फाटक वाली मस्जिद के पेश इमाम कारी परवेज खान ने कहा कि आज हम सभी रमजान-उल-मुबारक के आखिरी जुम्मा को अलविदा कहने के लिए इकट्ठा हुए हैं। हम सभी लोगों को सिर्फ रमजान-उल- मुबारक को अलविदा कहना है न कि नमाज को। उन्होंने कहा कि जिस तरह रमजान-उल-मुबारक के दौरान लोग खुदा की इबादत करने के साथ ही नमाज अदा करते थे। उसे जारी रखने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि हर मुसलमान को जकात व फितरा निकाल कर गरीबों में तकसीम करनी चाहिए। ताकि गरीब व असहाय लोग भी खुशी-खुशी ईद का त्योहार मना सकें। उन्होंने कहा कि जो शख्स अपने माल का जकात निकालता है। उसका माल पाक व साफ हो जाता है। साथ ही उसके माल में बरकत होती है। उन्होंने कहा कि जो रोजेदार सदका-ए- फितर अदा नहीं करता है। उसका रोजा आसमान व जमीन के बीच लटका रहता है। उसका रोजा खुदा की राह में कबूल नहीं होती है।

हाफिज अब्दुस सलाम ने कहा कि रमजान-उल-मुबारक महीना के दौरान एक ऐसी रात आती है। जो हजार रातों से बेहतर है। इस रात को शब-ए-कद्र के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि इस रात में लोगों को खुदा की ज्यादा से ज्यादा इबादत करनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि रमजान के महीने में रहमतों की बारिश होती है। जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। साथ ही जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिये जाते हैं। इसके अलावा शैतान को कैद कर दिया जाता है।

उन्‍होंने कहा कि रमजान का महीना खुदा का पसंदीदा महीना है। अलविदा जुमा अदा करने के बाद लोगों ने खुदा से दुआएं की। इस दौरान बड़ी संख्या में मस्जिदों में रोजेदार भरे पड़े थे।
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