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मुख्तार अंसारी कब्र में दफन हो गया है...फिर भी घर पहुंच रहे नेता; जानिए क्यों

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. माफिया डॉन मुख्तार अंसारी भले ही कब्र में दफन हो गया है, मगर उसके सहारे लोकसभा चुनाव में राजनीति की नैया पार करने वाले कम नहीं हैं। दरअसल, मुख्तार की मौत के बाद से ही गाजीपुर के मुहम्मदाबाद में मुख्तार के घर पर आम लोगों के साथ-साथ सियासी लोगों का भी आना-जाना लगा हुआ है।
लेकिन सियासत में हलचल तब मची, जब एक दिन पहले AIMIM पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी खुद मुख्तार के घर पहुंच गए। यह पहला मौका रहा होगा, जब कोई साउथ का बड़ा नेता पूर्वांचल में किसी को श्रद्धांजलि देने पहुंचा होगा।

जानकार मानते हैं, ''मुख्तार का सियासी रसूख गाजीपुर समेत आस-पास की 4 से 5 लोकसभा सीटों पर रहा। एक वक्त था जब मुख्तार किसी पार्टी के साथ होता, तो इन लोकसभा सीटों पर उसकी मर्जी से कैंडिडेट उतारे जाते थे। यह तस्वीर लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनावों में भी दिखती थी।
यही वजह रही कि बीते शुक्रवार से मुख्तार के घर फाटक पर कई सियासतदान उसे श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो कभी मुख्तार से राजनैतिक दूरी बनाकर रखते थे।''

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि जब मुख्तार जिंदा था तो कई सियासतदान उससे दूरी बनाकर चलते थे। मगर उसके मरने के बाद मुस्लिम वोटों की वजह से अब उसको श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं। हालांकि, मुख्तार अब कैसे सीटों को प्रभावित कर रहा है। इसे जानने से पहले यह जानते हैं कि कौन सा राजनेता कब मुख्तार के घर पहुंचा। इससे वहां के समीकरण भी समझते हैं।...
मुख्तार की मौत के बाद आस-पास के नेता तो जरूर पहुंचे, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा तब शुरू हुई जब स्वामी प्रसाद मौर्य, अफजाल अंसारी से मिलने रविवार को गाजीपुर पहुंचे। हालांकि, देखने में यह जरूर लगता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य, अफजाल को संत्वाना देने पहुंचे थे। लेकिन राजनीतिक जानकार बताते हैं कि इसके पीछे उनका अपना मकसद है।

  • भाजपा छोड़कर सपा जॉइन करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य 2022 चुनाव में बुरी तरह हारे थे। अब सपा से भी अलग हो चुके हैं। ऐसे में उन्हें ऐसा कोई सपोर्ट नहीं है कि वह अपने दम पर चुनाव जीत सके।
  • कुशीनगर लोकसभा सीट का समीकरण देखें तो स्वामी एससी/एसटी, कुर्मी और मुस्लिम वोटों के समीकरण के भरोसे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने उन्हें फाजिलनगर से उतारा था, लेकिन वह जीत नहीं सके थे।
  • जानकार मानते हैं, स्वामी प्रसाद के सपा से अलग होने के बाद सपा भी उन्हें सपोर्ट नहीं करेगी। हाल ही में उन्होंने बयान दिया था कि देखते हैं PDA मुझे सपोर्ट करती है या नहीं। इससे साफ जाहिर है कि मौर्य को कुशीनगर जीतने के लिए किसी का साथ चाहिए। उनका यह इंतजार मुख्तार पर खत्म हुआ। यह उनके लिए एक मौके जैसा था। जिसे उन्होंने लपक लिया है। हालांकि, अब इसका उनके चुनाव में कितना असर होगा यह भविष्य तय करेगा।
असदुद्दीन ओवैसी रविवार देर रात में गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के घर पहुंचे। जहां मुख्तार के छोटे बेटे उमर ने उनका स्वागत किया। ओवैसी ने वहां काफी वक्त बिताया और उसके बाद वह लौट कर चले आए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर ओवैसी वहां पहुंचे क्यों?
दरअसल, जिस दिन ओवैसी मुख्तार के घर पहुंचे उस दिन दोपहर में उन्होंने लखनऊ में अपना दल कमेरावादी के साथ गठबंधन का ऐलान किया था। इसके बाद दोनों दलों ने मिलकर तीसरा मोर्चा यूपी में PDM बनाया। यानी पिछड़ा, दलित और मुसलमान।
चूंकि इससे पहले के चुनावों में ओवैसी का फोकस ज्यादातर पश्चिमी यूपी या फिर मुस्लिम बहुल सीटों पर रहता था लेकिन इस बार पल्लवी पटेल के अपना दल (कमेरावादी) से हाथ मिला चुके हैं। ओवैसी जानते हैं कि पल्लवी पटेल जो कुछ भी कर सकती हैं, वह पूर्वी यूपी में ही कर सकती हैं। उनसे गठबंधन के नाम पर पश्चिम में वोट नहीं मिलेगा।

पूर्वी यूपी में ओवैसी का जनाधार नहीं है, ऐसे में उनके सामने एक रास्ता मुख्तार बचा। जहां वह पहुंचे और अपनी संत्वाना जाहिर की। अब यहां खास बात यह है कि इस मुलाकात से ओवैसी राजनीतिक फायदा न उठा लें, इसलिए अफजाल अंसारी ने उनसे मुलाकात नहीं की।

यही नहीं उन्हें अंसारी परिवार के घर में भी नहीं बैठाया गया। दरअसल, पल्लवी पटेल का साथ लेकर ओवैसी पूर्वी यूपी में भी कैंडिडेट उतार सकते हैं, तो मुस्लिमों के एक ऐसे नेता की जरूरत होगी जिसका असर पूर्वांचल में हो। ऐसे में ओवैसी को मुख्तार से बढ़िया कोई जरिया नहीं लगा। यही वजह रही कि वह मुख्तार के घर पहुंचे।

मुख्तार के घर पहुंचने के बाद ओवैसी के सोशल मीडिया पर लिखा “इस मुश्किल वक्त में हम उनके खानदान, समर्थक और चाहने वालों के साथ खड़े हैं।” रात के ट्वीट के बाद ओवैसी लगातार मुख्तार की मौत की जांच के लिए बयान दे रहे हैं। साथ ही राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
अखिलेश यादव नहीं पहुंचे लेकिन धर्मेंद्र यादव ने मुख्तार की कब्र पर चढ़ाए फूल

ओवैसी के मुख्तार के घर पहुंचने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। इसके बाद खबर आई कि सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर धर्मेंद्र यादव गाजीपुर जाएंगे। लगभग वह ढाई बजे के आसपास वहां पहुंचे। जहां सबसे पहले वह मुख्तार की कब्र पर गए और वहां फूल चढ़ाए। इसके बाद परिवार के साथ मुख्तार के घर पहुंचे।

इसके बाद AIMIM के राष्ट्रीय प्रवक्ता आसिम वकार ने एक बयान दिया कि ओवैसी के डर की वजह से अखिलेश यादव ने धर्मेंद्र यादव को मुख्तार के घर भेजा है। जबकि उन्हें खुद वहां आना चाहिए था।

हालांकि, सवाल यह भी था कि आखिर जब धर्मेंद्र को ही आना था तो शनिवार को जब मुख्तार सुपुर्द-ए-खाक किया गया, तो उस दिन क्यों नही गए? लेकिन राजनीतिक जानकार इसे कुछ पॉइंट्स में समझाते हैं।...

मुख्तार अंसारी जबसे राजनीति में आया, वह बसपा में भी रहा और सपा में भी रहा। समाजवादी पार्टी को उसके सियासी रसूख के बारे में अच्छे से पता है। सपा के थिंक टैंक को यह पता है कि मुख्तार का आसपास की 5 लोकसभा सीटों पर अच्छा खासा प्रभाव रहता है। यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के पास M-Y समीकरण होने के बावजूद पार्टी को मुख्तार के सिंपैथी वोट की दरकार है।
यह सभी जानते हैं कि अंसारी परिवार शिवपाल यादव के ज्यादा करीब है। लेकिन मुख्तार के घर धर्मेंद्र यादव को भेजने के पीछे राजनीतिक जानकार एक और कारण बताते हैं कि धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे है। 2014 और 2019 में यह सीट सपा जीती थी, मगर अखिलेश यादव के करहल से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को भाजपा कैंडिडेट निरहुआ ने हरा दिया था। हालांकि, इसके पीछे मुस्लिम वोट बंटने को वजह माना गया था। ऐसे में आजमगढ़ सीट पर मुस्लिम एकजुट होकर धर्मेंद्र के समर्थन में आए इसलिए मुख्तार सपा के लिए जरूरी है।

गाजीपुर मुस्लिम बाहुल्य सीट है। यहां लगभग 3 लाख से अधिक मुस्लिम वोटर हैं। सपा ने गाजीपुर से अफजाल अंसारी को लोकसभा उम्मीदवार बनाकर पूर्वांचल भर के मुसलमानों को खास संदेश दे ही दिया है।

राजनीतिक जानकारों की मानें, तो पहले उम्मीद थी कि बसपा कैंडिडेट मुस्लिम वोट बैंक में कुछ तोड़फोड़ करेगा। मगर अब मुख्तार की मौत के बाद ऐसी उम्मीद कम है। मुस्लिम वोट बैंक एकजुट हो जाएगा, जिसका सीधा फायदा अफजाल अंसारी यानी सपा को होता दिख रहा है। हालांकि, चुनाव में जिस तरह से ओवैसी की एंट्री हुई है। वह सपा का कितना समीकरण पूर्वांचल में बिगाड़ेगी यह समय बताएगा।

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