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माफिया मुख्तार के विधायक पुत्र अब्बास अंसारी अभी जेल में ही रहेंगे, विधायकी भी जाएगी

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, मऊ. माफिया मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में 2 साल की सजा हुई है। शनिवार को मऊ कोर्ट ने यह फैसला दिया। सजा के ऐलान के साथ ही अब्बास की विधायकी भी चली जाएगी। कोर्ट ने अब्बास के साथ ही उनके चुनाव एजेंट मंसूर को 6 महीने की सजा सुनाई है। दोनों पर 2-2 हजार का जुर्माना भी लगाया।
कोर्ट ने आज सुबह साढ़े 11 बजे दोनों को दोषी करार दिया, जबकि अब्बास के छोटे भाई उमर अंसारी को बरी कर दिया था। विधायक के वकील दरोगा सिंह ने कहा- सजा होने के बाद अब्बास और मंसूर ने 20-20 हजार के बेल बॉन्ड भर दिए, जिसके बाद दोनों को जमानत मिल गई।

जमानत मिलने के बाद जब अब्बास कार से घर के लिए निकले तो पुलिसकर्मी ने उन्हें रोकने की कोशिश की। कहा- आधे घंटे रुक जाइए। इस पर अब्बास ने कहा- सुबह से भूखे हैं, खाना खाने के बाद आ जाऊंगा। पुलिसकर्मी ने जवाब दिया- जिले का बॉर्डर क्रॉस मत करिएगा। अब्बास ने पलटकर जवाब दिया- हम खुद ही फंसे हैं, अब क्या और फंसने का काम करेंगे?

अब्बास को जिस मामले में सजा हुई है, वह 2022 में हुए विधानसभा चुनाव का है। इस दौरान एक चुनावी रैली में अब्बास ने कहा था- सपा मुखिया अखिलेश यादव से कहकर आया हूं, सरकार बनने के बाद 6 महीने तक किसी की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं होगी। जो जहां है, वहीं रहेगा। पहले हिसाब-किताब होगा। फिर ट्रांसफर होगा।
अब्बास ने कोर्ट परिसर में पहुंचते ही अपने समर्थकों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया।
सजा के ऐलान के बाद कोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। पुलिस के साथ एसओजी के जवान भी तैनात रहे। कोर्ट में पेशी से पहले अब्बास के एक समर्थक ने जबरन कोर्ट में घुसने का प्रयास किया, जिसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

अब्बास ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा से विधायक हैं। वह अपने छोटे भाई उमर अंसारी और समर्थकों के साथ शनिवार सुबह 8 बजे कोर्ट पहुंचे। उन्होंने हाथ हिलाकर समर्थकों का अभिवादन भी किया।

विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने बताया-
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत किसी भी सांसद-विधायक 2 या 2 से अधिक साल की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता खुद समाप्त हो जाती है। कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने पर विधानसभा सचिवालय संबंधित सीट को रिक्त करने की घोषणा करता है। इसके बाद इसकी सूचना मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजी जाती है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी के जरिए भारत निर्वाचन आयोग को उप-चुनाव कराने का प्रस्ताव भेजा जाता है।

विधायकी बचाने के लिए अब्बास के पास क्या रास्ते, जानिए
कानून के जानकारों का कहना है कि सजा के खिलाफ हाईकोर्ट जा सकते हैं। इस मामले में उन्हें अधिकतम सजा हुई है। वे सजा को रद्द या कम कराने की अपील कर सकते हैं। हाईकोर्ट अगर सजा पर रोक लगाता है, तो सदस्यता फिलहाल बनी रह सकती है।

लेकिन, यह कार्रवाई सीट रिक्त घोषित होने से पहले होनी चाहिए। मामला अब्बास अंसारी से जुड़ा है। इसलिए कोर्ट के आदेश की प्रति सोमवार को विधानसभा पहुंच जाएगी। विधानसभा सचिवालय सोमवार या मंगलवार तक ही सीट रिक्त करने की घोषणा कर देगा।

हाईकोर्ट से अगर राहत नहीं मिलती, तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अगर वहां से भी राहत नहीं मिलती, तो विधायकी जाना तय है।

अब्बास वकील ने कहा- सजा के खिलाफ सेशन कोर्ट जाएंगे
अब्बास के वकील दरोगा सिंह ने कहा- 2022 में इस मामले में सिर्फ धारा- 171-एच और 506-बी के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। लेकिन पुलिस ने इसमें 186, 189 और 153-ए की धाराएं बढ़ा दीं। पूरे मामले में गवाही भी केवल पुलिस की ही हुई। कोर्ट ने अब्बास और मंसूर को दोषी माना है। अब्बास को 2 साल और मंसूर को 6 महीने की सजा हुई है। 2 साल की सजा पर विधायकी जाने का नियम जरूर है, लेकिन यह अंतिम अदालत नहीं है। हम सेशन कोर्ट जाएंगे और वहां स्टे ले लेंगे। अफजाल बोले- मुझे नहीं पता क्या हुआ
 
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