कहानी: नया सवेरा
आकाश के प्यार को ठुकरा कर नेहा अपनी जिंदगी में खुश थी, मगर फिर क्या हुआ उस के साथ कि सालों बाद उसे आकाश की याद आ गई और वह उस से मिलने को बेकरार हो उठी...
दिल्ली जैसे बड़े शहर के होस्टल में छोटी जगह से आई नेहा को अभी कुछ ही दिन हुए थे, पर वह यह देख कर हैरान थी कि कैसे कुछ लड़कियां इस अनजान शहर में बौयफ्रैंड बनाने में माहिर हो गई थीं. उस ने तो अपने आसपास इस तरह का माहौल कम ही देखा था। रातरात भर मोबाइल पर लगे रहने और सुबह देर से उठने के कारण औफिस देर से पहुंचना उन की आदत सो हो गई थी. नेहा भी नौकरी के सिलसिले में अपने गांव से दूर यहां दिल्ली के एक होस्टल में रह रही थी। वह पढाई में तेज थी और घर वालों ने भी पढ़ाई में उस का साथ दिया था, जिस कारण उसे दिल्ली की एक मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छी जौब मिली.
सुबह से तो होस्टल खाली ही रहता पर जैसेजैसे दिन ढलता सभी एकएक कर के वापस आने लगतीं और सभी पूरे दिनभर की गाथा सुनाती रहतीं. आज भी नेहा अपनी रूम पार्टनर पूजा के साथ छत पर बैठी चाय पी रही थी कि तभी एक लड़की फोन पर बात करतेकरते रोने लगी, शायद अपने बौयफ्रैंड से बात कर रही थी जो उस से ब्रेकअप की धमकी दे रहा था.
“हर किसी ऐरेगैरे से दिल लगाओगी तो ऐसा ही होगा,” हलका सा डांटते हुए पूजा ने उसे समझाया. सच बात तो यह थी कि यह सब उन का टाइमपास था, पर उन में से कुछ ऐसी भी थीं जिन को सच में किसी से सच्चा प्यार था और उन के प्यार में कोई दिखावा नहीं था.
इन सब बातों में खोई नेहा को अचानक ही पूजा ने छेड़ा,”कहां खोई हो मैडमजी, आप को भी किसी अपने की याद आ रही है क्या? तुम भी बातें कर लो…”
“नहींनहीं, ऐसा तो कुछ भी नहीं है, चल नीचे कमरे में चलते हैं,” नेहा उठने ही वाली थी की पूजा ने हाथ खींच कर बैठा लिया.
“बैठो न कुछ देर, कितना अच्छा मौसम है, दिनभर औफिस में सब की सुनतेसुनते सिर पक गया है,” कहते हुए पूजा वहीं बैठ गई. दोनों एक ही कमरा शेयर करती हैं पर उन की जौब अलगअलग है, इसलिए उन के बीच बातें कम ही हो पाती हैं. बात करतेकरते पूजा अपने घरपरिवार, दोस्तों के बारे में बात करतेकरते अपने बौयफ्रैंड की बातें भी बड़े मजे से करने लगी. पूजा खुले मन की लड़की थी जो नेहा से सब बातें शेयर करती थी.
“तू भी बता, तू किसे पसंद करती है? कौन है तेरा फर्स्ट लव या फिर शादीवादी का चक्कर है, क्या करता है? कहां रहता है…” एक ही सांस में ढेरों सवाल कर दिए पूजा ने. तभी पूजा के घर से कौल आई और वह बात करने में बिजी हो गई। नेहा न चाहते हुए भी कहीं खो सी गई जैसे किसी ने तेज धक्का दिया हो, यह सोचने के लिए कि सच में उस का पहला सच्चा प्यार कौन था?
जतिन, जिसे उस ने कच्ची उम्र में एकतरफा प्यार किया था, जिसे जतिन ने कभी समझा ही नहीं या आकाश जिस ने नेहा को टूट कर चाहा, पर नेहा ने उस की कोई कदर न की. उस के प्यार, उस की भावनाओं को जरा भी न समझा और मुंह फेर लिया, पर आज अचानक नेहा को आकाश से इतना लगाव क्यों महसूस हो रहा है? क्यों उस की याद आ रही है? वह समझ नहीं पा रही थी.
आकाश उस के पापा के दोस्त का बेटा था। उन के घरों के बीच बहुत अच्छे संबंध थे. बचपन से साथ खेलतेखेलते आकाश कब नेहा को पसंद करने लगा उसे खुद नहीं पता था जबकि वह यह भी जानता था कि नेहा जतिन को पसंद करती है और वह अच्छे मिजाज का नहीं है, फिर भी उस ने नेहा से दोस्ती निभाई.
नेहा ने तो जतिन को सच्चे मन से चाहा था पर जतिन तो सिर्फ उस के साथ टाइमपास कर रहा था और यह बात आकाश बहुत अच्छी तरह जानता था. मौका पा कर एक दिन आकाश ने अपनी मोहब्बत का इजहार नेहा के सामने कर दिया.
“नेहा, तुम जानती हो कि मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं, बहुत चाहता हूं, तुम क्यों मेरे प्यार को जान कर भी अनजान बनी हो?” आकाश ने बड़ी उम्मीदों के साथ अपने दिल की बात नेहा के सामने रखी थी।
“तुम क्यों अनजान बने हो यह जान कर कि मैं जतिन को पसंद करती हूं, हम बस दोस्त ही रहें वही ठीक है,” नेहा ने बेकदरी से उसे जवाब दिया था।
“पर तुम जिस जतिन के पीछे भाग रही हो वह बस तुम्हारे साथ टाइमपास कर रहा है, तुम्हारे लिए उस के मन में कोई प्यार नहीं है,” इतना सुनते ही नेहा ने आकाश को खूब खरीखोटी सुना दी.
खाने की बेल बजने लगी तभी पूजा उसे बुलाने आ गई, पर उस का मन तो पुरानी बातों पर अटक गया. आज नेहा का मन न तो खाने में लग रहा था और न ही अपने काम में. शायद कहीं न कहीं उस के दिल में पछतावा था, आकाश को न समझ पाने का.
आज उसे आकाश की हर बात याद आने लगी. कैसे वह उसे देखता रहता था. तेज धूप में खड़ा उस का इंतजार करता रहता था. यहां तक कि जब नेहा उस के घर जाती तो वह गानों के जरीए उसे एहसास दिलाता कि वह उसे कितना चाहता है और आज अनायास ही नेहा उन गानों को गुनगुनाने लगी.
कई साल बीत गए, नेहा ने आकाश से कोई बात नहीं की थी, पर आज अचानक ही अपने फोन पर उस का नंबर ढूंढ़ने लगी. जतिन की असलियत भी उस के सामने आ गई थी इसलिए नेहा ने खुद को इतना कठोर बना दिया कि प्यार नाम की चीज से भी उस का विश्वास टूट गया और इसी कठोरता की वजह से उस ने आकाश को कभी समझा ही नहीं और अपना सारा ध्यान सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई में लगा दिया. उधर आकाश भी निराश हो कर दूर पढ़ने चला गया पर आज नेहा का दिल जोरजोर से धड़क रहा था आकाश के लिए. जैसे ही मोबाइल स्क्रीन पर आकाश का नंबर आया उस का दिल घबराने लगा.
कितनी ही देर वह सोचती रही कि फोन करे या न करे? पर उस की बेचैनी इतनी अधिक बढ़ गई कि आखिर उस ने नंबर डायल कर दिया. धड़कते दिल के साथ हाथ भी कांपने लगे. अगर आकाश ने उसे डांटा या खूब खरीखोटी सुनाई या बात करने से इनकार कर दिया तब वह क्या करेगी…
ऐसे कितने ही बुरे खयाल उस के मन में आतेजाते रहे. यह सब सोच कर उस ने फोन काट दिया पर कौल तो जा चुकी थी. अब उस का दिल और घबरा रहा था. जाने क्या सोचेगा वह मेरे बारे में. यही सब सोचतेसोचते उस की आंख लग गई.
दूसरी तरफ अपने फोन पर नेहा की मिस्ड कौल देख कर आकाश भी हैरान था. जो लड़की उस से नफरत करती थी आज उस की मिस्ड कौल देख कर बेचैनी महसूस करने लगा. गलती से कौल लग गई होगी ऐसा सोच कर आकाश खुद को बहलाने लगा… पर दिल तो पुरानी यादों में खो गया, जब उस ने नेहा को उस के बर्थडे पर लव बर्ड का एक शोपीस दिया था पर नेहा ने उसे यह कह कर वापस कर दिया कि वह उसे किस हक से दे रहा है? कितना रोया था वह उस के लिए पर शायद नेहा ने कभी उसे समझा ही नहीं… काफी देर तक आकाश भी यही सोचता रहा कि वह कौल बैक करे या न करे. कहीं फिर से नेहा फिर से कुछ उलटासीधा न कह दे पर आज भी उसे नेहा का इंतजार था और वह इंतजार कई सालों से कर रहा था.
अगले दिन न इधर नेहा का मन लग रहा था न उधर आकाश का. नेहा को परेशान देख पूजा ने उस से उस की परेशानी जाननी चाही. थोड़ाबहुत मना करने के बाद नेहा ने पूजा को आकाश के बारे में सब बता दिया कि कैसे वह कई साल से उस की हां का इंतजार करता रहा और शायद आज भी कर रहा है. सब जानने के बाद पूजा ने नेहा को ही कौल करने को कहा और अगर वह उस के प्यार को समझती है तो अपने दिल की बात उसे बता दे. पर नेहा अब डर रही थी कि कहीं आकाश की लाइफ में कोई और न हो और वह उसे बेइज्जत न कर दे। पूजा के जोर देने पर नेहा ने कौल कर दी.
स्क्रीन पर नेहा का नंबर दोबारा देख कर आकाश खुश तो हुआ पर यह सोच कर दुखी भी हो गया कि कहीं दोबारा तो गलती से कौल नहीं लग गई, पर रिंग तो बराबर हो रही थी.
“हैलो…” संजीदा होते हुए आकाश बोला.
“मैं नेहा, पहचाना आकाश…” कहते हुए नेहा के होंठ कांपने लगे.
“तुम को कैसे भूल सकता हूं, तुम्हारी यादें आज भी मेरे जेहन में ताजा हैं और तुम्हारी नफरत को अभी भी संजो कर रखा है,” कह कर आकाश कहीं खो सा गया।
“मुझे माफ कर दो आकाश, मैं ने तुम्हें कभी समझा ही नहीं या शायद जानबूझ कर अनजान बनी रही पर आज मुझे अपनी गलती का एहसास है… मैं ने तुम्हे बहुत रूलाया है,” कह कर नेहा खुद ही रो पड़ी.
“प्लीज नेहा…रो मत… मैं ने कभी भी तुम से जबरदस्ती नहीं की मेरी बात मानने के लिए…. वह फैसला भी तुम्हारा खुद का था और आज का फैसला भी तुम्हारा खुद का है.”
“तुम्हें जो भी कहना हो कह लो… जितनी भी नाराजगी तुम्हारे मन में है सब कह डालो पर मुझे माफ कर दो, मैं अब और इस बोझ के साथ नहीं जी सकती… नेहा परेशान हो गई, “जिस के लिए मैं ने तुम्हें कभी समझा ही नहीं, उस ने भी मुझे नहीं समझा.”
आकाश औफिस में बिजी था इस कारण ज्यादा कुछ कह न सका,“कुछ देर बाद बात करता हूं,” कह कर आकाश ने फोन रख दिया.
इधर नेहा और भी ज्यादा परेशान हो गयी…क्या आकाश की लाइफ में और कोई है या वह अभी भी मुझे ही चाहता है, इसी तरह के खयाल उस के मन में आ जा रहे थे।
अब नेहा का दिल बैठने लगा और वह सच में सोचने लगी कि आकाश की लाइफ में कोई और है.
‘होनी भी चाहिए कोई दूसरी लड़की, तू ने कब उस की परवाह की है, उस के प्यार को समझा है,’ उस के मन से ही कोई आवाज निकली.
पूरा दिन बीत गया पर आकाश का कोई फोन नहीं आया। औफिस में भी नेहा का दिल नहीं लग रहा था. इधर नेहा भी डर के कारण कोई कौल न कर सकी। पूरी रात उस को नींद न आई. अभी उस की आंख लगी ही थी कि सुबह लगभग 4 बजे उस का फोन बज उठा.
‘इतनी सुबह किस का फोन हो सकता है,’ उस के मन में अजीब सी उलझन होने लगी.
“सौरी नेहा… इतनी सुबह तुम्हें परेशान करने के लिए, तुम्हारी नींद खराब हो गई होगी,” फोन रिसीव करते ही नेहा को आकाश की आवाज सुनाई दी.
“नहीं, मैं सोई नहीं थी बस पुरानी यादों में खोई थी,” आज उसे नींद भी अच्छी नहीं लग रही थी.
“नेहा, मैं तुम से बस इतना कहना चाहता हूं कि आज से पहले मुझे तुम्हारे जिस हां का इंतजार था आज भी वही है. मैं ने कभी भी तुम्हारे आलावा किसी और के बारे में सोचा भी नहीं और मुझे यकीन था कि तुम कभी न कभी मेरे प्यार को जरूर अपनाओगी,” आकाश की बातों से उस की खुशी बयां हो रही थी.
इधर नेहा के मन से सालों पहले का बोझ हमेशा के लिए उतर गया था. एक नया सवेरा उस के इंतजार में खङा था और वह इस पल को अब अपने हाथों से जाने देना नहीं चाहती थी। - शिवानी