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गाजीपुर अफीम फैक्ट्री की सुरक्षा के लिए गंगा किनारे 8 करोड़ की लागत से बोल्डर और पिचिंग कार्य शुरू

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर में स्थित 200 वर्ष पुरानी अफीम फैक्ट्री की सुरक्षा के लिए पहली बार ठोस कदम उठाए गए हैं। 1820 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित यह फैक्ट्री गंगा किनारे स्थित है। अब तक कई बार बाढ़ का सामना कर चुकी इस फैक्ट्री की दीवारों को सुरक्षित करने के लिए बोल्डर और पिचिंग का कार्य प्रारंभ किया गया है।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि अफीम फैक्ट्री की पिछली दीवार की लंबाई लगभग 575 मीटर है। इस दीवार की सुरक्षा के लिए लॉन्चिंग अप्रोच और पत्थर पिचिंग का कार्य ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना को अगस्त तक पूरा करने का लक्ष्य है।

विभाग ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। फैक्ट्री की दीवार के पास स्थित शिव मंदिर के निकट एक नया गंगा घाट बनाया जाएगा। यह घाट 60 से 65 फीट चौड़ा होगा। समूची परियोजना की लागत लगभग 8 करोड़ रुपए है और कार्य पहले ही शुरू हो चुका है।

गाजीपुर में स्थित अफीम एवं क्षारोद कारखाना एशिया का सबसे बड़ा अफीम कारखाना माना जाता है। यह कारखाना अंग्रेजी शासन काल में गंगा किनारे स्थापित किया गया था। वर्तमान में गाजीपुर में अफीम की खेती नहीं होती है। कच्ची अफीम मध्य प्रदेश के नीमच और अन्य क्षेत्रों से रेल मार्ग द्वारा लाई जाती है। इस कारखाने में कच्ची अफीम का विशेष प्रसंस्करण किया जाता है। प्रसंस्करण के बाद इसे दवा निर्माण के लिए उपयुक्त बनाया जाता है।
 
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