आर. के. मोहन अपने केबिन से निकले और मुस्कुराते हुए बोले, “आइए मिस के. वाई., आपके आते ही ऑफ़िस में ख़ुशबू फैल गई. देखिए, ज़रा जल्दी आएंगी तो स्ट...Read More
कहानी- चरित्रहीन
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समझ नहीं पा रही कि बात शुरू कहां से करूं? पर कहीं-न-कहीं से शुरुआत तो करनी ही पड़ेगी. मैं कई दिनों से मन पर एक अनचाहा बोझ लेकर जी रही हूं. म...Read More
कहानी: लौट आओ
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रविवार की तरह आज भी पूर्वा को सुबह जल्दी विपिन के घर पहुंचना था, पर तैयार होते-होते देर हो गई. एक तो सुबह नौकरानी ही देर से आई, उससे सारा का...Read More
कहानी: पुनर्विचार
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कुछ अजब-सी उलझन में थे परिमल उन दिनों. उच्च जीवन मूल्योंवाले संस्कारयुक्त परिवार में पले-बढ़े परिमल को अपने आस-पास की दुनिया अति विचित्र लगत...Read More
कहानी: अजनबी
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डॉ. स्मिता वैसे भी कोई कॉन्फ्रेंस, सेमिनार आदि नहीं छोड़ती थी. फिर इस बार तो कॉन्फ्रेंस उनके छोटे भाई के शहर में थी. मां से मिलने का यह सुनहर...Read More
कहानी: क्यूटनेस ओवरलोडेड
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“मम्मीजी, नेहा दीदी का फोन है.” स्वरा की आवाज़ पर नलिनी ने फोन हाथ में लिया. ‘हेलो’ कहते ही नेहा की घबराई-सी आवाज़ आई, “मम्मी, एक प्रॉब्लम हो ...Read More
कहानी: मूल्यांकन
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