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राम-केवट संवाद देख भाव-विभोर हुए दर्शनार्थी

गाजीपुर। वनवास के दौरान वनप्रदेश की ओर चलते है तो अयोध्या वासियों सहित पहला विश्राम तमसा नदी पर करते है तथा दूसरे दिन भोर में ही अयोध्या वासियों को रास्ते में ही छोड़कर आगे लचते है फिर श्रृंगवेरपुर राज्य के राजा अपने मित्र निषादराज के पास ही एक वृक्ष के नीचे रात भर विश्राम करने के पश्‍चात निषादराज के साथ सूरसरी नदी के नट पर खड़ा होकर के केवट का मांगी नाव न केवट आना कहई तुम्हार मरमु मै जाना इस तरह से केवट से श्री राम कहते है कि हे केवट आप अपना नाव किनारे लाओ जिससे हम तीनों प्राणी सूरसरी पार करते जंगल की ओर बढ़े। इस पर केवट ने कहा कि प्रभु मैं इस तरह नही आ सकता और न ही मैं आपको नाव पर बैठा सकता हॅू क्योंकि मैं आपके मरम को भली-भांति जानता है। 

प्रभु ने पुछा भाई तुम मेरे बारे में क्या जानते हो इतना सुनते ही केवट जो है श्री राम से हाथ जोड़कर बीच नदी में ही कहता है कि प्रभु आप अयोध्या नरेश महाराज दशरथ जी के बड़े पुत्र है इस बात को हम लोगो के राजा निषाद राज ने पहले ही बता दिया मैं इतना तक जानता हू कि आप ब्रह्मर्षि‍ विश्‍वामित्र के साथ बक्सर जाते वक्त रास्ते में ताड़का सुबाहू का वध करते हुए थोड़ी दूर आगे जा रहे थे तो रास्ते में गौतम ऋषि ने अपने पत्नी अहिल्या को किन्ही करणवश क्रोध में आकर उन्होने श्राप देकर शिला बना दिया संयोग से आप उधर से ही गुरू विश्‍वामित्र के साथ जा रहे थे तो अपने पैर से उस षिला को स्पर्श करके गौतम पत्नी अहिल्या को अविरल भक्ति देते हुए अपने धाम को भेज दिया। 

सरकार अगर उसी प्रकार आप हमारे काठ के नाव को पवित्र व जादूभरे पैर से नाव को छू दिजिएगा तो कहीं वो पत्थर न बन जाये अगर ये दृश्य सामने आया तो प्रभु हम हमारे परिवार तथा बच्चे भुखो मर जायेगे इसलिए प्रभु आप से निवेदन है कि आप अपना जादूभरा चरण पखारने के लिए अनुमति दें। इस भाव को देखते हुए प्रभु श्री राम ने कहा ‘‘ केवट राम राजायशू पावा पानी कठौता भरि लै आवा‘‘ इतना सुनते ही केवट खुशी से उछलते हुए अपने घर गया और कठौता ले करके गंगा तट पर आते हुए गंगा जल को कठौता में पानी भर कर ‘‘ अति आनंद उमंगी अनुरागा चरण सरोज लागा‘‘  केवट भगवान श्री राम का बड़े आनंद के साथ भगवान की ओर टकटकी लगाये दर्शन करने व आनंदित होकर के भगवान श्री राम का चरण पखारने लगा। चार पांचवे बार पैर पखारने के बाद अंतिम बार श्री राम का चरण धोकर ‘‘ पद पखार जल पान करि आपू सहित परिवार। पितर पार करि प्रभु ही पुनि मुदित गयउ ले पार‘‘ जिस समय श्री राम लक्ष्मण सीता को केवट राज अपने नाव पर चढ़ाते है तो निशाद राज भी उनके साथ वन प्रदेश में जाने का आग्रह करते है काफी अनुनय विनय के बाद श्री राम ने कहा थोड़ी दूर जाने के बाद तुम वापस अपने राज्य को चले जाना केवट ने कहा कि प्रभु आप का जो आज्ञा इतना कहने के बाद निशाद राज प्रभु के साथ नाव पर बैठ जाते है और नाव खेने वाला मल्लाह (केवट) पतित पावनी माँ गंगा से अनुरोध करता है कि मोरे नैया में लक्ष्मण राम गंगा मैया धीरे बहो। 

इस तरह भक्ति भांव से पूरित होकर श्री राम के सपरिवार को सुरसरी पार कराते हुए तट पर उतार देता है और जमीन पर लेटकर षाष्‍टांग दण्डवत किया श्री राम संकोचवश केवट से कुछ नही बोला इतना देखते ही सीता ने अपनी पति श्री राम के भावना केा जानते हुए माता अरूंधती द्वारा दी गई अंगूठी उतार कर राम को देती है श्री राम अंगुठी लेकर केवट को नाव खेवाई देते है। इस पर केवट ने कहा ‘‘ अब कछुनाथ न चाहिए मोरे दीन दयाल अनुग्रह तोरे।‘‘ फिरती बार मोहे जो देवा सो प्रसाद मैं सिर धरी लेवा। इसके अलावा केवट ने कहा कि सरकार क्या मल्लाह से मल्लाह नाव खेवाई (मजदूरी) लेता है क्या कि मै आप से लूं। 

मैने तो छोटी सी नदी से पार किया हे भगवन जब मै अपनी आयु पुरी करके आपके धाप पर आउंगा तो आप मुझे भवसागर से पार कर दीजिएगा हमारी आप की मजदूरी बराबर हो जायेगी इतना सुनते ही प्रभु श्री राम के केवट की भावना को देखते हुए आंखों से आंसु आ गया और उन्होने कहा कि मित्र मै तुमको अविरल भंक्ति का वरदान देता हॅू। 

अति प्राचीन श्री रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वाधान में वंदे वाणी विनायकौ श्री आदर्श रामलीला मण्डल के द्वारा स्थानीय मुहल्ला विशेश्‍वरगंज स्थित पहाड़ खां पोखरा के दक्षिण साईड में डा. एसपी श्रीवास्तव के क्लिनिक के सामने हर वर्ष के भांति इस वर्ष भी रामलीला के दौरान शुक्रवार को सांम 7 बजे से श्री राम केवट संवाद, घरनैल पार द्वारा सुरसरी पार जाना लीला का मंचन तथा केवट राम संवाद चैपाई द्वारा आकर्शक ढंग से किया गया जिसको देखकर उपस्थित दर्शनार्थी भावुक होकर श्री राम की जयकार से पुरा लीला स्थल राम मय बना दिया इस मौके पर अध्यक्ष दीना नाथ गुप्ता, मंत्री ओम प्रकाश तिवारी, उप मंत्री लव कुमार त्रिवेदी, मेला व्यवस्था (कार्यवाहक) बीरेष राम वर्मा, उपप्रबंधक शिवपूजन तिवारी, अनुज अग्रवाल, सरदार दर्शन सिंह, राम नरायन पाण्डेय, ऋषि चतुर्वेदी, अजय पाठक, सुधीर अग्रवाल, मीडिया प्रभारी पं0 कृष्‍ण बिहारी त्रिवेदी (पत्रकार) आदि उपस्थित रहे।

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