कैकेयी के वरदान मांगते ही राजा दशरथ मुर्छित होकर गिर पड़े का मंचन देख दर्शक हुए भावुक
गाजीपुर। जिस समय महारानी कैकयी ने महाराज दशरथ को बाध्य करके बड़े पुत्र राम को वन जाने का बरदान आखिरकाल मांग ही लिया। जबकि महराज दशरथ के अनुनय विननय करने के बावजूद कैकयी ने कहा कि जब अपने बात को सही नही करना था तो झुठ ही दो बरदान देने का वचन दिया आज वो समय आ गया है। मुझे दो वरदान की अति आवश्यकता है। अन्त में राजा दषरथ ने कहा कि बोलो क्या चाहिए मैं मर के भी अपने वचन को आवष्य पुरा करूगां इतनी बात सुनते ही महारानी कैकयी ने कहा कि महाराज भरत को राज तथा राम को चौदह वर्ष का बनवास इतना सुनते ही दशरथ जी मुर्छित होकर जमीन पर गिर गये। उनके होश आने पर कैकयी ने राज दरबार में दूत भेज कर राम को बुलवाया और कहा बेटा राम अब तुम जल्दी ही तपस्वी का भेष धारण कर वन के लिए प्रस्थान करों। इतना सुनते ही राम, लक्ष्मण और सीता तपस्वी के भेष में माता कैकयी के कक्ष में जाते है और पिता जी से कहा पिता जी आपका आज्ञाकारी राम आपके समाने उपस्थित है। दशरथ ने लज्जित होकर राम की ओर ध्यान आकृष्ट किया उसके बाद उन्होने कुछ नही कहा इसके बाद राम, लक्ष्मण और सीता ने अपने पिता दशरथ, कुलगुरू वशिष्ट के साथ कैकयी के कक्ष से निकल कर राज दरबार के तरफ चले जहां अयोध्या वासियों का हुजुम जुटा हुआ था सबने राम को वन जाने से रोकने का कोशिश किया मगर श्रीराम ने एक भी नही सुना और रथ पर तीनो मुर्ति सवार होकर वन के लिए प्रस्थान कर जाते है।
उधर श्रीराम, लक्ष्मण, सीता को रथ में बैठाकर मंत्री सुमन्त थोड़ी दूर आगे जाने पर श्रीराम से कहते है कि यहां से अयोध्या नगरी का सीमा समाप्त हो जाता है और यहीं से थोड़ी दूर पर निशाद राज केवट का राज्य शुरू होता है और यहीं से वनदेश की शुरूआत हो जाती है अगर आप आदेश दें तो आप के बचपन के मित्र व सहपाठी निशाद राज गुह को आपके आने की सूचना दे दूं पर श्रीराम ने ऐसा करने से मना कर दिया। उसी राज्य में बहुत पुरानी बटवृक्ष पर निशान राज गुह का दुत पेड़ पर बैठकर राज के दूर-दूर तक निगरानी करता था उसने देखा कि ध्वज पताकांओं से सुसज्जित एक रथ अयोध्या की ओर से सीमा पार करते हुए तमसा नदी की ओर चला आ रहा है इसकी सूचना दूत ने अपने राजा को दिया और कहां कि महाराज हमने दो वीर राजकुमारों धनुश धारण किये और उनके साथ एक स्त्री भी है लोग उस राजकुमार को राम के नाम से संबोधित कर रहे है इतना सुनते ही निषाद राज खुशी से झुम उठता है और पूरे प्रजाजनों के साथ श्री राम की जयकार लगाते हुए दौड़ा हुआ अपने मित्र श्री राम के पास आता है दोनो एक दूसरे के गले लगकर आंशु बहाते हुए बचपना याद करते हुए आपस में हाल चाल का आदान-प्रदान करने लगे और श्री राम को वन आने के बारे में सारी जानकारी लिया। सारी बात सुनने के बाद उसने श्री राम को कहां कि मित्रवर आप अयोध्या के राज को ठुकरा कर वन में आये है। मै श्रृंगवेरपुर राज आपके नाम से लिख देता हूं आप यही के राजा बनकर हमारे बीच रहे मैं आपका दास बनकर आपका सेवा करता रहूगां।
श्री राम ने ऐसा होने से मना कर दिया। उन्होने कहा मै अपने पिता महाराजा दषरथ के आदेषानुसार वन क्षेत्र में आया हूं जिससे मै वन के ऋषि-मुनियों का दर्शन करके अपना जीवन सार्थक करूंगा काफी प्रयास के बाद केवट चुप हो गया और उसने अंत में कहा कि सरकार अगर आप राज नही लेना चाहते है एक रात हमारे बीच रहकर हमे तथा हमारे परिवार को सेवा करने का मौका दें श्री राम ने कहा नही निषाद राज मैं अपने पिता के अज्ञा के अनुसार चौदह वर्ष के लिए वन मे आया हूं। इसलिए मेरा नगर में जाना रघुवंशियों के लिए कलंकित होगा इसलिए हमे पिता का आज्ञा मानना अति आवष्यक है।
केवट ने जब देखा कि मित्र हमारे वचन को नही मान रहा है तो उसी वटवृक्ष के नीचे कुष का आसन बिछा दिया जिसपे सीता और राम किसी तरह रात बिताये उधर लक्षण पास वटवृक्ष के नीचे उस कुषासन पर वीरासन में रात भर बैठकर बड़े भैय्या श्री राम व सीता जी का पहरा देते रहे। अति प्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वाधान में हरिशंकरी मुहल्ला स्थित श्री राम सिंघासन से, लक्ष्मण, सीता और गुरू वषिश्ठ के साथ श्री राम की शोभायात्रा महाजन टोली, झुन्नू लाल चैराहा, आमघाट, महिला दिक्षा विद्यालय, राजकीय बालिका इण्टर कालेज ददरीघाट चैराहा, महुआबाग होते हुए श्री राम का रथ भजन कीरतन तथा बैंड बाजा के साथ पहाड़ खां के पोखरा स्थित डा0 सुमन के क्लिनिक के सामने श्री राम जानकी मंदिर पर आ कर आरती पुजन के साथ शोभायात्रा समाप्त हुआ इस मौके पर। इस मौके पर अध्यक्ष दिनानाथ गुप्ता, ओम प्रकाष तिवारी उर्फ बच्चा उपमंत्री लवकुमार त्रिवेदी (बड़े महाराज), कार्यावाहक प्रबंधक गिरेष राम वर्मा, उप प्रबंधक षिवपुजन तिवारी, गोपाल जी पाण्डेय, ष्याम नरायण पाण्डेय, जगदीष नरायण दिक्षीत, अषोक कुमार अग्रवाल, रोहित कुमार अग्रवाल, सूधीर कुमार अग्रवाल, हिमांषु अग्रवाल, कुषकुमार त्रिवेदी, कृश्णांष त्रिवेदी, अजय पाठक तथा मीडिया प्रभारी पं0 कृश्ण बिहारी त्रिवेदी पत्रकार उपस्थित रहें।
