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गाजीपुर: मगई के जलस्तर में बढ़ोत्तरी से धान की फसल चौपट

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर मुहम्मदाबाद बारिश के सीजन में मगई का जलस्तर किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। अगर जलस्तर इसी तरह बरकरार रहा तो शायद ही खेती हो पाएगी। इसके लिए किसान पूर्वाचल एक्सप्रेस वे के निर्माण में जल निकासी के लिए जगह- जगह पुलिया न बनाए जाने को जिम्मेदार मान रहे हैं। लगातार जलस्तर बढ़ने से खेती करना मुश्किल हो गया है। किसान दो बार धान की रोपाई कर चुके हैं। लगातार पानी बढ़ने से पौधे सड़कर नष्ट हो गए।

बरसात का सीजन शुरू होने के बाद हुई कई चक्र की बारिश ने मगई नदी के जलस्तर को काफी बढ़ा दिया। हालत यह है कि क्षेत्र के भाला, सुखपुरा, मोहनपुरा, जकरौली, प्रधान की बरेजी, पहाड़ीपुर, रघुवरगंज, हाटा, मानिकपुर, सिलाईच, खेमपुर, नसरतपुर, परसा, राजापुर, मुहम्मदपुर, उत्तमपुर, करीमुद्दीनपुर, लट्ठूडीह, गोड़उर, महेंद्र, सोनवानी आदि गांवों के सिवानों से होते ही मगई नदी बलिया जनपद स्थित गंगा में जाकर मिलती है। पहले बरसात में जलस्तर बढ़ने पर दो तीन दिनों में पानी आगे बढ़ जाता था, जिससे किसान खेती का कार्य करने लगते थे। इस वर्ष पूर्वाचल एक्सप्रेस वे के लिए काफी ऊंचा मिट्टी फेंककर सड़क निर्माण कराया गया है। इससे अब नदी का पानी चारों ओर फैलने के बजाए नदी के रास्ते ही आगे बढ़ रहा है।

फिलहाल शेरमठ के आगे एक्सप्रेस-वे के लिए नदी पर पुल बनाये जाने का कार्य किया जा रहा है। इसके चलते पुल का पिलर तैयार करने के लिए नदी में भी सपोर्ट के लिए सामान रखा गया है। इससे नदी से भी पानी पूरी तरह से नहीं निकल पा रहा है। नदी का पानी सिवानों में फैलने से खेतों में जल जमाव की समस्या हो गयी है। इसके चलते किसानों को धान की खेती करना बड़ी समस्या बन गई है। 

कई किसान दो-दो बार एक ही खेत में धान के पौधों की रोपाई किए लेकिन पौधे पानी में डूबकर नष्ट हो गए। जलजमाव से परेशान किसान रमेश राय, धीरेश राय, मृत्युंजय राय, राधा कृष्ण राय, विनोद राय, धर्मराज राय आदि ने बताया कि मगई नदी का पानी खेतों में जमा होने से उनके सामने धान की खेती मुश्किल हो गई है। दो बार रोपाई की गई लेकिन नदी का जलस्तर बढ़ने से पौधे डूबकर नष्ट हो गए। बताया कि पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे फिलहाल इस इलाके के किसानों के लिए अभिशाप साबित हो रहा है। अगर जल निकासी का उपाय नहीं किया गया तो आने वाले समय में भी किसान खेती करने से वंचित हो जाएंगे।

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