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गाजीपुर में मचान बना शौचालय और कपड़े का पर्दा बना दीवार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर बांस व लकड़ी के मचान पर वैकल्पिक शौचालय। इस पर लगे कपड़े का पर्दा। इसमें शौच को जाने की विवशता। भांवरकोल ब्लाक के सियाड़ी गांव की है यह निहंग तस्वीर। जिम्मेदारों के पास बड़े तर्क-कुतर्क होंगे इसे लेकर लेकिन आम जन को यह झकझोरने वाली है। कहते हैं आईना कभी झूठ नहीं बोलता..। सो यह तस्वीर सारी कहानी बयां कर रही है।

शौचालयों को लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपाते नहीं अघाती तो जिम्मेदार दावों की तीर चलाने में कोई परहेज नहीं करते। सियाड़ी गांव का पश्चिमी इलाका जहां प्रजापति व अनुसूचित के लोगों का निवास है। गांव के बीचो-बीच स्थित तालाब दो भागों में बांटता है। बरसात में पानी भर जाने से आने-जाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो जाता है ऐसे में वहां के लोग हमेशा बांस और बल्ली से बने शौचालय का प्रयोग करते हैं। करीब दर्जनभर परिवारों की स्थाई शौचालय का सपना देखते-देखते आंखें पथरा गईं पर स्थिति आज भी जस की तस है। विडंबना यह कि कागजी आंकड़ों के खेल में कहानी अलग है।

सिर्फ नाम लिखकर ले जाते हैं अधिकारी व कर्मचारी
सियाड़ी गांव निवासी रुक्मणि देवी, रीना देवी, कृष्णा देवी, राधिका व तारा देवी ने बताया कि कई बार जिला व विकासखंड के अधिकारी व कर्मचारी आए और नाम लिखकर ले गए, लेकिन कोई स्थाई कदम नहीं उठाया गया। शौचालय न होने के चलते बांस व लकड़ी का मचान बनाकर उसे कपड़े व प्लास्टिक से ढंक कर किसी तरह इज्जत बचाना पड़ता है।

बोले जिम्मेदार
वर्ष 2015 में 105 शौचालय निर्माण का पैसा आया था, लेकिन पात्रता सूची में मात्र 53 लोगों का नाम होने के कारण उतना ही शौचालय बना। वहीं जिला पंचायत राज विभाग द्वारा खाते में अधिक पैसा जाने का हवाला देते हुए रोक लगा दिया गया। बीते जून माह में खाता का संचालन शुरू हो पाया है। बरसात का समय समाप्त होने के बाद प्राथमिकता के तौर पर शौचालय निर्माण होगा। कमलेश राय, ग्राम प्रधान सियाड़ी ।

यदि ऐसा है तो बेहद गंभीर बात है। मेरी जानकारी में यह में यह नहीं था। टीम भेजकर हर हाल में जल्द से जल्द शौचालय बनवाया जाएगा। यह अब तक क्यों नहीं हो सका इसकी भी जांच कराकर जरूर जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी। जिलाधिकारी, के बालाजी।
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