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गोरखपुर में यूरिया का उत्पादन 2021 से शुरू होगा, बिक्री शुरू होगी मई 2020 से ; जानें- कैसे ?

गाजीपुर न्यूज़ टीम, हिंदुस्‍तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (HURL) मई 2020 से पहले खाद बेचना शुरू कर देगा। प्रबंधन ने यूरिया की खरीद के लिए राष्ट्रीय केमिकल्स एवं फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (RCF) से करार किया है। आरसीएफ के खाद कारखाने से एचयूआरएल के बैग में यूरिया पैक होकर आएगी। पहले चरण में तीन हजार मीट्रिक टन यूरिया मंगाई जा रही है।

फरवरी 2021 तक यूरिया उत्पादन का लक्ष्य
खाद कारखाना से फरवरी 2021 तक यूरिया उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए तेजी से काम भी चल रहा है। खाद कारखाना में यूरिया बनने से पहले एचयूआरएल प्रबंधन ने मार्केटिंग पर जोर देना शुरू कर दिया है। बिक्री के लिए गोरखपुर और बस्ती मंडल में डीलर व रिटेलर भी बना लिए गए हैं। मई तक इनके पास यूरिया पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

मुंबई से आएगी यूरिया
आरसीएफ देश में यूरिया बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। इसे भारत सरकार ने मिनी रत्न से सम्मानित भी किया है। मुंबई में इसकी दो बड़ी उत्पादन ईकाइयां हैं। यहीं से गोरखपुर के खाद कारखाना को आपूर्ति दी जाएगी।

मार्केटिंग लाइसेंस की अनुमति का इंतजार
एचयूआरएल प्रबंधन ने यूरिया की मार्केटिंग को लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। इसके मिलते ही यूरिया मंगाकर डीलरों के पास भेजने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

खाद कारखाना शुरू होने से पहले ही यूरिया की बिक्री शुरू कर दी जाएगी। आरसीएफ से पहले चरण में तीन हजार मीट्रिक टन यूरिया खरीदी जाएगी। इसके लिए करार भी हो चुका है। मार्केटिंग लाइसेंस मिलते ही एचयूआरएल गोरखपुर की खाद किसानों तक पहुंचने लगेगी। - सुबोध दीक्षित, वरिष्ठ प्रबंधक, एचयूआरएल।

खाद कारखाना : एक नजर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था शिलान्यास
सात हजार करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है हिंदुस्‍तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) का खाद कारखाना 10 हजार को रोजगार दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जुलाई 2016 को खाद कारखाना का शिलान्यास किया था। तब योगी आदित्यनाथ सांसद थे। जब योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो निर्माण कार्यों में जबरदस्त तेजी आई।

3850 मीट्रिक टन प्रतिदिन की होगी क्षमता
गोरखपुर के खाद कारखाना की उत्पादन क्षमता 3850 मीट्रिक टन प्रति दिन की होगी। खाद कारखाना के निर्माण की जिम्मेदारी पांच कंपनियों- नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल), इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड (आइओसीएल), द फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफसीआइएल) व हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशन लिमिटेड (एचएफसीएल) के संयुक्त उपक्रम एचयूआरएल को जिम्मेदारी सौंपी है।

ऐसे बनेगी यूरिया
खाद कारखाना में पहले यूरिया का घोल तैयार किया जाएगा। इसे प्रीलिंग टॉवर में ऊपर से एक मशीन के जरिये डाला जाएगा। ऊपर से घोल नीचे की तरफ आएगा और नीचे हवा ऊपर जाएगी। हवा के रीएक्शन से घोल यूरिया दाने के रूप में तब्दील होकर नीचे गिरेगा। गोरखपुर में बनने वाली यूरिया नीम कोटेड होगी।

विश्व का सबसे ऊंचा प्रीलिंग टॉवर
एचयूआरएल के खाद कारखाना में विश्व का सबसे ऊंचा प्रीलिंग टॉवर बना है। टॉवर की ऊंचाई 149.2 मीटर है। 

बन गया रबर डैम
खाद कारखाना के एक हिस्से में चिलुआताल के किनारे 28 करोड़ की लागत से रबर का बांध बन चुका है। 65 मीटर लंबा और दो मीटर ऊंचा है यह बांध बुलेट प्रूफ है। देश में पहली बार हवा आधारित बांध गोरखपुर में बना है। इसमें दक्षिण कोरिया की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
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