योगी आदित्यनाथ के नाम जुड़ा अनोखा रिकॉर्ड, ऐसा करने वाले BJP के पहले मुख्यमंत्री बने
योगी आदित्यनाथ (Yogi Aditya Nath) से पहले उत्तर प्रदेश में BJP की ओर से तीन मुख्यमंत्री बन चुके थे, लेकिन किसी ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया.
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने तीन साल पूरे कर लिए हैं. इन तीन वर्षों में सरकार के कामकाज की समीक्षा अलग-अलग तरीकों से की जा सकती है. लेकिन, इस सरकार के बारे में एक अकाट्य सत्य यह है कि यूपी में पहली बार इतनी बड़ी बहुमत से बीजेपी की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ पहले ऐसे भाजपाई मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने तीन साल का कार्यकाल पूरा किया. इतना ही नहीं, प्रदेश की यह पहली बीजेपी (BJP) सरकार होगी जो अपना पूरा कार्यकाल पूरा करेगी.
प्रचंड जीत के साथ बनी सरकार
वैसे तो इससे पहले बीजेपी के तीन मुख्यमंत्री प्रदेश में हुए, लेकिन कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका. योगी आदित्यनाथ से पहले जो भी बीजेपी के मुख्यमंत्री हुए उनका सबसे लंबा कार्यकाल 2 साल 52 दिन का रहा. साल 2017 में जब बीजेपी की प्रचंड बहुमत की सरकार बनी तो उससे पहले किसी को यह अनुमान नहीं था कि योगी आदित्यनाथ इस प्रदेश की कमान संभालेंगे. मोदी लहर के साथ भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में 312 सीटों पर अपना झंडा फहराया. चुनाव के बाद यह तय होने लगा कि किसे मुख्यमंत्री बनाया जाए. गाजीपुर से सांसद रहे मनोज सिन्हा का नाम लगभग फाइनल हो गया था, लेकिन अचानक से एक नाम बहुत तेजी से ऊपर आया. उसे गोरखपुर से विशेष विमान से दिल्ली बुलाया गया और यह बताया गया कि आपको यूपी की कमान संभालनी है. विधानमंडल दल की बैठक में आप को नेता चुना जाएगा. कुछ इस तरह योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री के तौर पर चुने गए. 19 मार्च 2017 को उन्होंने पद और गोपनीयता की शपथ ली.
पांच साल का कार्यकाल भी करेंगे पूरा
यूपी में बीजेपी को इससे पहले इतनी बड़ी जीत कभी हासिल नहीं हुई थी. जैसे यह एक सत्य है उसी तरीके से यह भी एक सत्य है कि योगी आदित्यनाथ के खाते में एक अलग उपलब्धि जुड़ गई है. वैसे तो प्रदेश में बीजेपी के कई मुख्यमंत्री बने और कई बार सरकार बनी, लेकिन योगी आदित्यनाथ ऐसे पहले मुख्यमंत्री होंगे जो 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा करेंगे. इतना ही नहीं, योगी आदित्यनाथ के नाम ये रिकॉर्ड भी जुड़ गया है कि वह बीजेपी के खाते से सबसे लंबे समय तक रहने वाले सीएम बन गए हैं.
राजनाथ सिंह (28 अक्टूबर 2000 - 8 मार्च 2002)
प्रदेश में जब पहली बार बीजेपी की कल्याण सिंह के नेतृत्व में 1991 में सरकार बनी थी, तब राजनाथ सिंह शिक्षा मंत्री बनाये गए थे. बोर्ड परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए नकल अध्यादेश इन्हीं के समय में लागू किया गया था. राजनाथ सिंह कुल 1 वर्ष 121 दिनों के लिए यूपी के मुख्यमंत्री रहे. 28 अक्टूबर 2000 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 8 मार्च 2002 को पद छोड़ दिया था. यूपी के तेजतर्रार नेताओं में गिने जाने वाले राजनाथ सिंह को बीजेपी ने कमान इसलिए दी थी कि आने वाले विधानसभा चुनाव में उसे जीत मिल सके. हालांकि ऐसा नहीं हो सका. योगी आदित्यनाथ की तरह राजनाथ सिंह भी जब यूपी के मुख्यमंत्री बने तो वह भी विधानसभा के सदस्य नहीं थे. अपनी राजनीतिक क्षमता को साबित करने के लिए राजनाथ सिंह ने हैदरगढ़ की सीट कांग्रेस के पुत्तू भैया से खाली करवाई थी और चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे.
राम प्रकाश गुप्ता ( 12 नवंबर 1999-28 अक्टूबर 2000)
राम प्रकाश गुप्ता को जब बीजेपी ने यूपी का मुख्यमंत्री बनाया तो किसी को भी इसका अंदाजा नहीं था. रामप्रकाश गुप्ता संघ के पुराने कार्यकर्ता थे, लेकिन उम्र ज्यादा होने से राजनीतिक परिदृश्य से ओझल थे. बीजेपी की आपसी खींचतान को थामने के लिए रामप्रकाश गुप्ता को आलाकमान ने यूपी की कमान दी थी. वह कुल 351 दिनों के लिए यूपी के मुख्यमंत्री बने. 12 नवंबर 1999 से 28 अक्टूबर 2000 तक रामप्रकाश गुप्ता यूपी के मुख्यमंत्री रहे. जब इन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया तब यह भी किसी सदन के सदस्य नहीं थे. इनका कार्यकाल और लंबा हो सकता था, लेकिन आने वाले चुनाव को देखते हुए एक नौजवान नेता को सूबे की कमान देना आलाकमान ने ज्यादा बेहतर समझा इसीलिए रामप्रकाश गुप्ता को हटाकर राजनाथ सिंह को कमान दी गई.
कल्याण सिंह ( 21 सितंबर 1997-12 नवंबर 1999), (24 जून 1991-6 दिसंबर 1992)
बीजेपी की ओर से यूपी में जो सबसे चर्चित मुख्यमंत्री रहे वह कल्याण सिंह थे. कल्याण सिंह इकलौते ऐसे शख्स हैं जो दो बार बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री बने. उनका पहला कार्यकाल 1 साल 165 दिनों का रहा और दूसरा कार्यकाल 2 साल 52 दिनों का रहा. कल्याण सिंह को अपने पहले कार्यकाल के लिए ज्यादा जाना जाता है. 1991 के चुनाव में बीजेपी को पहली बार यूपी में बहुमत मिला था. 419 में से 221 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बनाए गए थे, लेकिन कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साल भर बाद 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई और कल्याण सिंह को इस्तीफा देना पड़ा. इस तरह बीजेपी की यूपी में बनी पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार चली गई. 1996 में फिर चुनाव हुए, लेकिन इस बार बीजेपी को बहुमत नहीं मिला या यूं कहें कि किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला, त्रिशंकु विधानसभा हो गई. यह जरूर रहा 174 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी रही. चुनाव नतीजों के तत्काल बाद त्रिशंकु विधानसभा की सूरत में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया, लेकिन कल्याण सिंह और बसपा ने एक नया समीकरण खोज निकाला. इसी दौर में यह तय हुआ कि 6-6 महीने दोनों पार्टियों के नेता मुख्यमंत्री रहेंगे. पहले 6 महीने मायावती मुख्यमंत्री रहीं और इसके बाद कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन अंदरूनी खटपट और थिन मेजॉरिटी के कारण कल्याण सिंह ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री नहीं रह पाए. 2 साल 52 दिनों बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और राम प्रकाश गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया गया.