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यूपी: 60 फीसद से कम अंक वाले सामान्य वर्ग के छात्रों को नहीं मिलेगी छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ । उत्तर प्रदेश में सामान्य वर्ग के गरीब छात्र-छात्राएं यदि 60 फीसद से कम अंक लाकर पास होंगे तो उन्हें छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा नहीं मिलेगी। उत्तर प्रदेश सरकार सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति के नियम बदलने जा रही है। नियम बदलने के बाद सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राएं यदि प्रथम श्रेणी में पास नहीं हैं तो वे सामाज कल्याण विभाग की दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के आवेदन पत्र नहीं भर पाएंगे। 

दरअसल, समाज कल्याण विभाग व पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के नियम अलग-अलग हैं। समाज कल्याण विभाग में अभी नियम यह है कि 50 फीसद अंक वाले आवेदन कर सकते हैं। यहां सरकारी व प्राइवेट शैक्षिक संस्थानों की अलग-अलग मेरिट लिस्ट बनती है। सबसे पहले सरकारी विश्वविद्यालय, कॉलेज व संस्थान के छात्र-छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति होती है। इसके बाद जब बजट बचता है तो निजी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को योजना का लाभ मिलता है।

वहीं, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में सरकारी व प्राइवेट दोनों शैक्षिक संस्थानों की संयुक्त मेरिट लिस्ट बनती है। इस बार शुल्क प्रतिपूर्ति में दोनों विभागों के छात्रों में बड़ी असमानताएं सामने आईं थीं। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने ओबीसी की तर्ज पर सामान्य वर्ग के छात्रों की भी शुल्क प्रतिपूर्ति संयुक्त मेरिट लिस्ट के आधार पर करने का फैसला किया है। इसके लिए समाज कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति नियमावली में बदलाव होने जा रहा है।

समाज कल्याण विभाग इन दिनों इसका प्रस्ताव तैयार करने में जुटा है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के अनुभवों को देखते हुए सरकार सामान्य वर्ग के छात्रों के आवेदन के लिए न्यूनतम अंक 60 फीसद करने जा रही है। साथ ही संयुक्त मेरिट लिस्ट बनने से अब सरकारी व निजी दोनों कॉलेजों के छात्र मेरिट के आधार पर योजना का लाभ पाएंगे। वर्तमान नियम के चलते निजी कॉलेजों के बहुत कम छात्रों को लाभ मिल पाता था। शीघ्र ही नियमावली को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

नियम न बदले गए तो और आएगी दिक्कत
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020-21 में सामान्य वर्ग की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का बजट 325 करोड़ रुपये कम करके 500 करोड़ कर दिया है। बीते वित्तीय वर्ष 2019-20 में यह 825 करोड़ रुपये था। इनमें से 635 करोड़ रुपये समाज कल्याण विभाग 26 जनवरी 2020 तक 6.99 लाख छात्रों को बांट चुका था। इसके बाद बचे 190 करोड़ में से 187 करोड़ रुपये सरकार ने पिछड़ा वर्ग विभाग को दे दिए थे। ऐसे में सामान्य वर्ग के करीब ढाई लाख छात्र-छात्राएं पिछले वित्तीय वर्ष में ही योजना से वंचित रह गए। इस बार बजट 500 करोड़ रुपये ही है। ऐसे में आवेदन की न्यूनतम अर्हता 60 फीसद करने से आवेदन करने वालों की संख्या कम हो जाएगी।
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