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पत्‍नी बनी टॉपर तो पति को मिला 32वां स्‍थान, पहले ही प्रयास में JPSC में पाई सफलता

गाजीपुर न्यूज़ टीम, हजारीबाग के बड़कागांव बादल निवासी गौतम कुमार के लिए जेपीएससी का परिणाम दोहरी खुशी लेकर आया है। पहले प्रयास में स्वयं तो सफल हुए ही हैं उनकी पत्नी सुमन गुप्ता को भी सफलता मिली है। इसमें भी बड़ी बात यह है कि सुमन टॉपर बनी है तो पति गौतम ने 32 वां स्थान प्राप्त किया है। पहले प्रयास में ही दोनों को सफलता मिली है। हजारीबाग के बड़कागांव निवासी सुमन गुप्ता ने छठी सिविल सेवा परीक्षा में टॉप किया है। वे वर्तमान में हजारीबाग मुख्य डाकघर में पोस्टल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं। वर्तमान में गौतम रांची में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं और उनकी पत्नी हजारीबाग पोस्ट ऑफिस में पोस्टल असिस्टेंट के रूप में कार्य कर रही है। दोनों ने बताया कि वे मिलकर ही जेपीएससी की तैयारी कर रहे थे। गौतम के पिता बानी महतो किसान है। वहीं उनका छोटा बेटा अभी गढ़वा में प्रखंड विकास पदाधिकारी हैं।

मंगलवार को छठी सिविल सेवा परीक्षा का अंतिम परिणाम जारी कर दिया। इसमें विभिन्न सेवाओं में कुल 325 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए हैं। छठी सिविल सेवा परीक्षा की टॉपर सुमन गुप्ता के साथ-साथ उनके पति गौतम कुमार का भी चयन राज्य प्रशासनिक सेवा में हुआ है। गौतम वर्तमान में रांची में पुलिस सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं। दोनों पति-पत्नी ने अपने पहले प्रयास में ही यह सफलता प्राप्त की। गौतम को प्रशासनिक सेवा में 32वां रैंक प्राप्त हुआ है। सुमन का पोस्टल असिस्टेंट में चयन इंटरमीडिएट पास होने के बाद ही हो गया था। इसके बाद इग्नू से स्नातक की उपाधि हासिल की।

मिली दोहरी खुशी, परिणाम के लिए पांच साल का इंतजार

सुमन गुप्ता और गौतम कुमार के लिए छठी जेपीएससी का परिणाम दोहरी खुशी लेकर आया। हालांकि कई तकनीकी अड़चनों के कारण यह परिणाम पांच साल बाद जारी हो सका। इस कारण अन्य अभ्यर्थियों की तरह इन दोनों को भी पांच साल का इंतजार करना पड़ा। इस दोहरी सफलता से दोनों खुश हैं। दोनों की नजर अब यूपीएससी परीक्षा पर है।

बारीकी से अध्ययन और डिस्कशन का मिला लाभ
टॉपर सुमन गुप्ता ने बताया कि प्रारंभिक परीक्षा के बाद पांच साल का लंबा इंतजार काफी मुश्किल था। इस दौरान किताबें, एजुकेशनल एप और सहपाठी के रूप में पति की प्रेरणा से काफी मदद मिली। मेरे पति सिर्फ मेरे पति ही नहीं, बल्कि मेरे सहपाठी, मित्र भी हैं। प्रतियोगी के रूप में सदैव उनका साथ, मार्गदर्शन और प्रेरणा मुझे मिलता रहा। वहीं उनके बड़े भाई वर्तमान में बीडीओ गढ़वा का मार्गदर्शन भी मिला। हम दोनों ने साथ कोचिंग भी ली। एनसीइआरटी की किताबों का बारीकी से अध्ययन कर दो तीन सेट नोट्स तैयार किए। उन नोट्स पर बिंदुवार एक-एक टॉपिक पर काम किया। वहीं दोनों नियमित रूप से एक-दूसरे से डिस्कशन व डाउट क्लीयर करते थे।

फटकार से मिली सबक
अपनी पत्नी सुमन गुप्ता के साथ प्रशासनिक सेवा वर्ग में सफल रांची में पदस्थापित गौतम कुमार की सफलता की कहानी एक फटकार से शुरु होती है। वह बताते हैं कि  2015 में सिपाही बहाली के दौरान एक छोटी सी गलती के दौरान मिली फटकार उनके लिए प्रेरणा बन गई। दरअसल दौडऩे के क्रम में गौतम एक गलती कर गए थे, जिसे लेकर कहा गया था कि ऐसी हरकत करोगे तो सिपाही भी नही बन सकोगे। इसके बाद उन्होंने तय किया कि अब कोई ढिलाई कभी नहीं बरतेंगे।

इसके बाद सफलता का सिलसिला शुरू हुआ तो फिर थमा नहीं। सिपाही बहाली परीक्षा में सफल होने के बाद 2017 में वनरक्षी की परीक्षा पास की, लेकिन नौकरी नहीं की। फिर 2018 में दारोगा की परीक्षा पास कर गए। वर्तमान में वे दारोगा के रूप में रांची में पदस्थापित हैं। 2019 में हाई स्कूल शिक्षक की परीक्षा भी पास कर गए थे, लेकिन दारोगा पद को नही छोड़ा। गौतम कहते हैं कि  जेपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद भी वह पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुए हैं। अभी भी यूपीएससी में तैयारी रहेगी।
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