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सीमा पर दुश्मनों और घर पर सिस्टम से लड़ रहा जवान, न्याय के लिए काट रहा तहसील के चक्कर

गाजीपुर न्यूज़ टीम, अमेठी। लद्दाख में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में पूरा देश एकजुट है। सैनिक भी देश की एक-एक इंच भूमि की रक्षा के लिए अपना सबकुछ बलिदान करने के लिए सीमा पर पूरी मजबूती से डटे हैं। ऐसे में अमेठी की यह तस्वीर बहुत ही दुखदाई है। जहां सेना के एक जवान को अपनी जमीन बचाने के लिए दंबगों के साथ सिस्टम से भी लडऩा पड़ रहा है। दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाला जवान अपनों के सामने लाचार है। स्वयं की भूमि की रक्षा के लिए चार दिन तक अफसरों के चक्कर काटने के बाद  जब उसकी किसी ने न सुनी तो वह अपनी पत्नी और मासूम बेटे के साथ एसडीएम की चौखट पर धरने पर बैठ गया। 

जिले के संग्रामपुर कोतवाली क्षेत्र के कनू केवलापुर गांव निवासी बृजेश कुमार दूबे राष्ट्रीय राइफल डोगरा रेजीमेंट में सैनिक के पद पर कार्यरत हैं। वर्तमान में उनकी तैनाती जम्मू के पुंछ में है। गांव में जवान ने जमीन के एक टुकड़े को खरीद कर उसकी पैमाइश करवाई और उसके बाद वहीं पर एक छप्पर रखा। यह बात गांव के कुछ दबंगों को अच्छी नहीं लगी और दंबगई के बल पर उसके ही छप्पर रखे घर पर जाने से रोक दिया।

जवान को पुलिस व राजस्व विभाग के अधिकारियों का चक्कर काटना पड़ रहा है। लेखपाल की जांच के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी जवान की मदद के बजाय अपना कागजी कोरम पूरा करने में लगे हुए हैं। पुलिस ने जवान की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया है तो राजस्व विभाग लेखपाल की जांच के बाद भी कार्यवाई से बच रहा है।
तीन महीने से चल रही है रार
सैनिक बृजेश की माने तो तीन महीने से वह अपनी जमीन पर कब्जे के लिए परेशान है। पैमाइश के बाद ही हमने जमीन में छप्पर रखे हैं पर अब गांव के ही कुछ लोग जबरन हमें और हमारे परिवार को हमारी ही जमीन से बेदखल कर रहे हैं। 

बात बढ़ी तो चेता सिस्टम
सुनवाई न होने पर जवान बृजेश पत्नी संयोगिता, बेटे अॢजत के साथ एसडीएम कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए। कई घंटे बाद अधिवक्ताओं के हस्तक्षेप पर जवान को एसडीएम ने अपने कार्यालय में बुलाकर शिकायत सुनी और न्याय दिलवाने की बात कही। एसडीएम योगेंद्र सिंह ने बताया कि शिकायत मिली है। कार्रवाई होगी। सीओ पीयूषकांत राय ने बताया कि संग्रामपुर पुलिस ने दबंगों के खिलाफ केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। अब देखना यह कि यह सिस्टम कब तक देश के लिए मर मिटने वाले सैनिक को न्याय दिला पाता है?
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