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मऊ में अब तक 39 फर्जी शिक्षकों पर हो चुकी एफआइआर, कई अनुदेशकों की भी डिग्रियां फर्जी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, मऊ, शैक्षिक अभिलेखों में कूटरचना और फर्जीवाड़े के आधार के पर नौकरी हथियाने वाले शिक्षकों में कस्तूरबा की अनामिका शुक्ला का प्रकरण सामने आने के बाद खलबली मची हुई है। क्षेत्रफल में मऊ जिला भले ही छोटा है, लेकिन यहां भ्रष्टाचार के मामले बड़े-बड़े हैं। कोई बीए-बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर 10-10 साल से नौकरी कर रहा था तो कोई एक ही मृतक पर दो आश्रित विगत दो दशकों से बेसिक शिक्षा विभाग की नौकरी पर काबिज हैं। हालांकि, डेढ़ वर्ष के भीतर ऐसे 39 बेसिक शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों को नौकरी से बर्खास्त करते हुए उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई है। बेसिक शिक्षा विभाग के एक दर्जन शिक्षकों पर अब भी गोपनीय जांच की तलवार लटकी हुई है।

एक ही मृतक पर दो आश्रितों के अलग-अलग जिलों में नौकरी करने के मामले में जिले से संबंधित शिक्षक के विरुद्ध सारे साक्ष्य बेसिक शिक्षा विभाग से सतर्कता अधिष्ठान गोरखपुर यानि विजिलेंस को भेजा जा चुका है, लेकिन वहां से कोई रिपोर्ट अभी तक विभाग को नहीं मिली है। रिपोर्ट न आने से दंडात्मक कार्रवाई रुकी हुई है। मामले में हाल ही में जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ने सतर्कता अधिष्ठान को रिमाइंडर भी भेजा है। अनामिका प्रकरण सामने आने के बाद एक बार फिर से बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कस्तूरबा विद्यालयों के साथ-साथ विभागीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों के भी अंक-पत्रों एवं प्रमाण पत्रों के सत्यापन की तैयारी कर ली गई है। जल्द ही हर अनुदेशक के शैक्षिक अभिलेखों की जांच होगी और फर्जी पाए जाने पर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।

यूपी बोर्ड और संपूर्णानंद विवि तक फैली हैं भ्रष्टाचार की लपटें
शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो विभाग से भेजे जाने वाले शैक्षिक अभिलेखों की सत्यापन रिपोर्ट तक यूपी बोर्ड एवं संपूर्णानंद संस्कृत विवि वाराणसी से फर्जीवाड़ा करने वाले कुछ अपने मन माफिक करा लेते हैं। शिक्षा विभाग के अफसरों के बेहद ईमानदार होने और सतर्क नजर रखने के बाद ही मामले पकड़ में आ पा रहे हैं। फर्जीवाड़े के इस खेल को संरक्षण देने का काम शिक्षा विभाग के बाबुओं से लेकर यूपी बोर्ड और संपूर्णानंद विवि में बैठे बाबुओं तक फैला हुआ है।

शैक्षिक दस्तावेजों के सत्यापन में कूटरचना प्रमाणित
अलग-अलग माह में अब तक कुल 39 शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेजों के सत्यापन में कूटरचना प्रमाणित हुई। जिसके आधार पर सभी को बर्खास्त कर एफआइआर दर्ज कराई गई। एक दर्जन शिक्षकों की गोपनीय जांच की जा रही है। विजिलेंस से आने वाली रिपोर्ट का भी इंतजार किया जा रहा है। अनुदेशकों द्वारा दिए गए शैक्षिक दस्तावेजों की भी जांच की प्रक्रिया गतिमान है।- ओपी त्रिपाठी, बीएसए, मऊ।
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