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अनामिका की तरह बलिया में एक ही महिला दो पदों पर कर रही नौकरी, विभाग ने शुरू की जांच

गाजीपुर न्यूज़ टीम, बलिया। अनामिका नाम आज प्रदेश में चर्चित हो गया है। एक नाम से यह महिला शिक्षा विभाग के पूरी व्यवस्था को ठेंगा दिखा कर 25 जनपदों के स्कूलों में पढ़ाने के नाम पर वेतन उठा रही थी। इस तरह के कई मामले विभिन्न विभागों की फाइलों में दबे पड़े हैं। बाल विकास पुष्टाहार परियोजना में भी फर्जीवाड़े की बाढ़ है। बहुत से कार्यकर्ता इस विभाग में फर्जी प्रमाण पर नौकरी कर रही हैं, वहीं कुछ दूसरे के स्थान पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। हनुमानगंज विकास खंड के सागरपाली गांव में दो पदों पर एक ही महिला के काम करने का मामला प्रकाश में आया है। अधिकारी आज तक उस पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

ग्रामीणों की मानें तो सागरपाली आंगनबाड़ी केंद्र पर कार्यरत कार्यकर्ता के पद पर तैनात एक महिला जिसका मायका इसी गांव में है। उक्त महिला आंगनबाड़ी के साथ अपनी बहन आशा कार्यकर्ता की जिम्मेदारी भी संभालती है। वह 12 माह में 8 माह दिल्ली स्थित अपने परिवार के साथ रहती हैं। बीच-बीच में आकर पूरे माह की हाजिरी लगाकर चली जाती हैं। अगर कोई ग्रामीण इसके खिलाफ शिकायत करता है तो वह अपनी ऊंची पहुंच के बल पर उसे दबा देती हैं।

विभाग की ओर से जांच की जा रही है
यह मामला संज्ञान में आया है, इसकी विभाग की ओर से जांच की जा रही है। जांच में पुष्टि होने के बाद संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।-आरबी यादव, जिला परियोजना अधिकारी।

कस्तूरबा ही नहीं अनुदेशकों की भी डिग्रियों के फर्जी होने की संभावना
शैक्षिक अभिलेखों में कूटरचना और फर्जीवाड़े के आधार के पर नौकरी हथियाने वाले शिक्षकों में कस्तूरबा की अनामिका शुक्ला का प्रकरण सामने आने के बाद खलबली मची हुई है। क्षेत्रफल में मऊ जिला भले ही छोटा है, लेकिन यहां भ्रष्टाचार के मामले बड़े-बड़े हैं। कोई बीए-बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर 10-10 साल से नौकरी कर रहा था तो कोई एक ही मृतक पर दो आश्रित विगत दो दशकों से बेसिक शिक्षा विभाग की नौकरी पर काबिज हैं। हालांकि, डेढ़ वर्ष के भीतर ऐसे 39 बेसिक शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों को नौकरी से बर्खास्त करते हुए उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई है। बेसिक शिक्षा विभाग के एक दर्जन शिक्षकों पर अब भी गोपनीय जांच की तलवार लटकी हुई है।
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