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ताकि... बची रहे मेरे लाल की जान, नवजातों को खुद से दूर रख रही हैं कोरोना पॉजिटिव मांएं

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। अपने मासूम बच्चे की किलकारी सुनते ही सुनीता (परिवर्तित नाम) का दिल उसे गोद में लेने को मचल उठा। मगर कुछ ही पल में दिल पर पत्थर रखकर वह डॉक्टरों से अपने कलेजे के टुकड़े को खुद से दूर रखने की गुजारिश करने लगी। उसकी आंखों में खुशी और गम के आंसू छलक आए। एक तरफ पहली बार मां बनने के अहसास की खुशी, तो दूसरी ओर अपने बच्चे को छू भी न पाने का गम। यह कहानी सिर्फ सुनीता की नहीं, बल्कि ऐसी तमाम मांओं की है, जो इस वक्त कोविड हॉस्पिटल में भर्ती हैं। वहीं, नवजात उनसे दूर नेयोनेटल यूनिट (एनएनयू) में भर्ती हैं। 

दरअसल, कोरोना काल में कोविड पॉजिटिव मांएं अपने नवजातों को खुद से दूर रखने को मजबूर हैं। मकसद सिर्फ अपने लाल की जान बचाना है। इतना ही नहीं, कोविड पॉजिटिव मांओं के ये नवजात इस वक्त कोलेस्ट्रम (मां का पीला गाढ़ा दूध) से भी वंचित हो रहे हैं। कुछ समय पहले तक नवजात को जन्म लेने के एक घंटे के भीतर मां का दूध पिलाने की पैरवी की जाती थी। मगर नवजातों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने वाला यही कोलेस्ट्रम कहीं कोरोना काल में उनकी जान का दुश्मन न साबित हो सिर्फ इस खतरे से अपने कलेजे के टुकड़े को बचाने के लिए पॉजिटिव मांएं बच्चों को दूर रखने को मजबूर हैं। 

केजीएमयू के कोविड हॉस्पिटल में 20 मांएं भर्ती
केजीएमयू के कोविड हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. वीरेंद्र आतम कहते हैं, केजीएमयू में बनाए गए कोविड हॉस्पिटल में वर्तमान में करीब 20 मांएं भर्ती हैं। वह कहते हैं, भावनाओं में बंधी ये मांएं कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए खुद ही बच्चों को दूर रखने को कहती हैं। हालांकि, इस दौरान उनके बच्चों को एनएनयू वार्ड में रखा जाता है। जहां तीमारदार उनकी देखभाल करते हैं। हालांकि, गाइडलाइन का पालन करते हुए एसिमटोमेटिक लक्षण वाली मांओं को उनके बच्चे को दूध पिलाने के लिए दे दिया जाता है। मगर ज्यादातर मांएं खुद ही नहीं चाहती कि इस दौरान उनके बच्चों को उन्हें दिया जाए।

कोलेस्ट्रम में होते हैं एंटी-बैक्टीरियल गुण
केजीएमयू के एनएनयू में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएन सिंह कहते हैं, जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध नवजात को देने की सलाह इसीलिए दी जाती है क्योंकि इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो नवजात के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायक होता है। मगर कोरोना काल में कोविड पॉजिटिव मांओं व उनके परिजनों की इच्छा पर निर्भर करता है कि वे नवजात को कोलेस्ट्रम देना चाहते हैं या नहीं। हालांकि, फॉर्मूला फीड या ब्रेस्ट पंप से दूध लेकर नवजातों को  पिलाने की सलाह दी जाती है। इस वक्त इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने वाला कोलेस्ट्रम नवजात को पिलाना उनके लिए खतरनाक भी हो सकता है। नवजात को उसकी मां से कोरोना का संक्रमण होने का खतरा हो सकता है। एक तरफ कुआं और एक तरफ खाई है। हालांकि, समय के साथ बच्चों की इम्यून पावर खुद ही मजबूत होने लगती है इसलिए इस वक्त कोलेस्ट्रम देने से ज्यादा उनकी जान बचाना जरूरी है। ऐसे में, प्रोटोकाल व प्रोटेक्शन के साथ मां अपने बच्चे को दूध पिला सकती है। इस वक्त एनएनयू में कई नवजात भर्ती हैं। कुछ को घर भेज दिया गया। मगर मांओं का इलाज चल रहा है।

क्वीन मेरी में अब तक 50 कोविड गर्भवती आईं : 
क्वीन मेरी हॉस्पिटल की विभागाध्यक्ष डॉ. उमा सिंह ने बताया कि लॉक डाउन शुरू होने के बाद अब तक करीब 50 कोविड पॉजिटिव गर्भवती महिलाएं आ चुकी हैं। जिनमें 19 की डिलीवरी हुई। 11 सीजेरियन व आठ नॉर्मल डिलीवरी हुईं। 11 मरीज अभी भर्ती हैं।

15 मई को हुई थी पहली कोविड पॉजिटिव की डिलीवरी: 
क्वीन मेरी हॉस्पिटल में गाइनी व प्रवक्ता डॉ. स्मृति अग्रवाल ने बताया कि 15 मई को पहली कोविड पॉजिटिव गर्भवती की डिलीवरी हुई थी। इस दौरान एक पॉजिटिव गर्भवती की मौत भी हुई थी।

लोकबंधु में अब तक 200 भर्ती हुईं : 
लोकबंधु अस्पताल में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पीएन अहिरवार ने बताया कि मार्च से जुलाई तक करीब 200 गर्भवती कोविड पॉजिटिव भर्ती हो चुकी हैं। करीब आठ गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी हुई जिनमें पांच सीजेरियन व तीन नॉर्मल हैं। फिलहाल 24 गर्भवती कोविड हॉस्पिटल में भर्ती हैं। 

वहीं, झलकारीबाई अस्पताल की सीएमएस डॉ. सुधा वर्मा ने बताया कि अब तक दो पॉजिटिव गर्भवती आ चुकी हैं जिनकी पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद कोविड हॉस्पिटल रेफर किया गया। डफरिन की सीएमएस डॉ. लिली सिंह ने बताया कि कोरोना काल में एक भी पॉजिटिव  गर्भवती नहीं आई। संदिग्ध मरीजों की जांच कराने पर सीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आई।
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