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घर-घर पूजे जाएंगे नाग देवता, आज की शाम 4.12 बजे से पंचमी तिथि

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सनातन धर्म के अद्भुत परंपराओं वाले देश भारत वर्ष में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजा का विधान है। इस पर्व को नाग पंचमी कहते हैं। नाग पंचमी इस बार 25 जुलाई को पड़ रही है। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार सावन शुक्ल पंचमी तिथि 24 जुलाई को शाम 4.12 बजे लग रही है जो 25 जुलाई को दिन में 1.53 मिनट तक रहेगी। 

पूजन विधान : पौराणिक दृष्टि से नाग पूजा का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। तिथि विशेष पर घर के दरवाजे के दोनों ओर गोबर से नाग मूॢत बना कर या फोटो चिपका कर नाग पूजा करना चाहिए। इसमें भी पांच फण वाले नागों का अधिक महत्व है। वैसे तो हिंदी के बारहों मासों के शुक्ल पक्ष में हर पंचमी को एक नाग के पूजन का विधान होता है लेकिन नाग पंचमी को विधिवत नागों की पूजा से सभी तरह के नाग देवता प्रसन्न होते हैं। इस दिन नागों को दूध-लावा, खीर इत्यादि चढ़ाना चाहिए। 

12 प्रकार के नाग : शास्त्र अनुसार नाग 12 प्रकार के होते हैं। इनमें अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, करकोटक, उच्चतर, धृतराष्ट्र, शंखपाद, कालिय, तक्षक और पिंगल शामिल हैं। इनका पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। 

कथा : राजा परीक्षित एक बार आखेट के लिए निकले और समीक ऋषि के आश्रम में जा पहुंचे। तपस्यारत समीक ऋषि से जल मांगने पर जवाब न मिला तो उन्होंने गुस्से में मृत सर्प ऋषि के गले में डाल दिया। समीक ऋषि के पुत्र शृंगी ऋषि आए और देखा तो क्रुद्ध होकर परीक्षित को सातवें दिन तक्षक के डंसने से मृत्यु का श्राप दे दिया। परीक्षित की मृत्यु पर उनके पुत्र जनमेजय ने धरती को सांप विहीन करने का प्रण कर लिया और नाग यज्ञ किया। इसके प्रभाव से सभी तरह के श्राप यज्ञ कुंड में आकर गिरने लगे जिसे सर्पों की प्रार्थना पर रोका तभी से यह परंपरा चली आ रही है। इस दिन नागों की पूजा करने से सर्प का भय नहीं रहता। 

कुश्ती-दंगल : नाग पंचमी पर शहर गांव मोहल्लों में हर जगह कुश्ती-दंगल का भी आयोजन होता है। हालांकि इस बार कोरोना के कारण इस पर संकट है। इस दिन धरती को नहीं खोदना चाहिए। 

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